- मेरठ के स्पीडस्टर दीपक कुमार का एमआरएफ पेस फाउंडेशन में चयन

- एमआरएफ में जगह बनाने वाले पहले मेरठी क्रिकेटर बने दीपक

Meerut : सपनों को जहन में रखकर कुछ कर दिखाने की चाह, धूप में उगलती उस सोने की मिट्टी के बराबर है जिसमें लगी आग कई चमचमाते तिनके छोड़ जाती है। ऐसी ही माटी से निकलकर गांव के एक नौजवान ने अपने सपनों की तरफ कदम बढ़ा दिया है। यानि क्रिकेट की दुनिया में अब प्रवीण कुमार, भुवनेश्वर कुमार के बाद एक और कुमार दीपक कुमार ने अपने कदम बढ़ा दिए हैं। इस मुकाम में पहली सफलता दीपक को चेन्नई स्थित एमआरएफ पेस फाउंडेशन में चयनित होकर हाथ लगी है।

तूफानी है ये दीपक

बिजनौर के मंडोरा गांव के दीपक कुमार दो साल पहले तक पूरे दिन अपने गांव में खेती करता था, बचे हुए समय में मैदान में पसीना बहाता था। फिर दो साल पहले ही दीपक मेरठ की मेरठ कॉलेज क्रिकेट एकेडमी में पहुंचकर कोच संजय रस्तोगी से मिला। तब से दीपक ने गेंदबाजी की हर तकनीक यही पर सीखी।

जब पीके को किया खुश

दीपक बेहद गरीब परिवार से है। प्रवीण कुमार जब एकेडमी में प्रैक्टिस करने पहुंचे तो उन्होंने नेट पर दीपक को गेंदबाजी करते देखा। यहां पर दीपक की गेंदबाजी को देखकर पीके ने उसे गेंदबाजी के लिए जूते गिफ्ट किए। और ऐसे मिल गई मंजिल

दरअसल, दीपक कुमार एकेडमी का सबसे उभरता हुआ लेफ्ट आर्म फास्ट बॉलर है। दीपक ने पिछले दो सालों में कर्नाटक और तमिलनाडु की टीम के खिलाडि़यों को रणजी मैचों के दौरान प्रैक्टिस कराई। लास्ट ईयर तमिलनाडु के कोच डब्लूवी रमन ने दीपक की फुटैज बनाकर चेन्नई स्थित एमआरएफ पेस फाउंडेशन में दी। बस यहीं ये दीपक के अनोखे सफर की शुरुआत हुई।

एकेडमी में मिले मैकग्रा

दीपक को ट्रायल के लिए कॉल आई और उसने म् फरवरी से लेकर क्ख् मार्च तक का समय वहीं बिताया। इसमें दीपक ने एकेडमी के चीफ कोच पूर्व तेज गेंदबाज ग्लैन मैकग्रा क अंडर कोचिंग ली। जिसके बाद यूपीसीए को दीपक के सैलेक्ट होने का लेटर मिल गया। अब दीपक को ख्भ् मार्च से दोबारा एमआरएफ पेस एकेडमी ज्वाइन करनी है।

इन्होंने दी बधाई

दीपक के चयन पर मेरठ जिला क्रिकेट संघ के सचिव डॉ। युद्धवीर सिंह, वाईएम कृष्णमूर्ति, रविन्द्र चौहान, सुरेन्द्र चौहान, संजय रस्तोगी आदि ने बधाई दी है।

मैं खुश हूं मेरा इस एकेडमी में चयन हुआ है। अब बस मुझे अपना क्00 प्रतिशत देना है। जिससे मेरा आगे का लक्ष्य पूरा हो सके।

दीपक कुमार, लेफ्ट आर्म फास्ट बॉलर

बेहद खुशी है कि गांव की माटी से जुडे़ खिलाड़ी को ये सफलता मिली है। दीपक बहुत मेहनती है, उसने सुबह शाम प्रैक्टिस करके ये मुकाम हासिल किया है। खास बात ये है कि दीपक ने कोई भी बोर्ड ट्राफी अभी तक नहीं खेली।

संजय रस्तोगी, दीपक के कोच

Posted By: Inextlive