2017 में उन्नाव में निष्काषित भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर द्वारा एक महिला के अपहरण और दुष्कर्म के मामले में दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को अपना फैसला सुना दिया है। दिल्ली के तीस हजारी जिला जज धर्मेश शर्मा ने 10 दिसंबर को आरोपियों व केंद्रीय जांच ब्यूरो सीबीआई की दलीलें सुनने बाद इस मामले में फैसले को सुरक्षित रख लिया था।

नई दिल्ली (पीटीआई)। दिल्ली की एक अदालत ने उन्नाव में निष्काषित भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर द्वारा एक महिला के अपहरण और दुष्कर्म के मामले में अपना फैसला सुना दिया है। महिला को कथित रूप से 2017 में सेंगर द्वारा अपहरण और दुष्कर्म किया गया था, तब वह नाबालिग थी। इस मामले में कुलदीप सेंगर को दोषी करार दिया गया है। वहीं, बुधवार को उनके खिलाफ सजा सुनाई जाएगी। सेंगर को आईपीसी और पोक्सो अधिनियम के तहत दोषी करार दिया गया है. जज ने फैसला सुनाते वक्त कहा, 'सेंगर पावरफुल व्यक्ति था, पीड़ित गांव की लड़की थी, महानगरीय शिक्षित क्षेत्र से नहीं, जिसके कारण मामला दर्ज करने में देरी हुई.
पीड़िता का हुआ यौन उत्पीड़न
कोर्ट ने आगे कहा, 'मैंने उसके बयान को सत्य और बेदाग पाया कि उसके साथ यौन उत्पीड़न हुआ और बाद में उसे धमकी भी दी गई.' अदालत ने कहा कि दोषी ने पीड़िता पर खूब अत्याचार किए, जब उसने उसके खिलाफ मुख्यमंत्री को पत्र लिखा तो सेंगर ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करके पीड़िता के परिवारवालों पर कई केस दर्ज करवाए। उन्नाव दुष्कर्म मामले में चार्जशीट दाखिल करने में सीबीआई की देरी पर कोर्ट ने हैरानी जताई और कहा कि इसके चलते सेंगर के खिलाफ लंबे समय तक मुकदमा चला।
शशि सिंह को किया गया बरी
अदालत ने मामले में सह-आरोपी शशि सिंह को बरी कर दिया है। यूपी के बांगरमऊ से चार बार के भाजपा विधायक सेंगर को अगस्त 2019 में भाजपा से निष्कासित कर दिया गया था। अदालत ने 9 अगस्त को विधायक और सिंह के खिलाफ धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 363 (अपहरण), 366 (शादी के लिए मजबूर करने के लिए एक महिला का अपहरण या उत्पीड़न), 376 (दुष्कर्म और अन्य संबंधित धाराओं), यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत आरोप तय किए थे। बता दें कि इन अपराधों में आजीवन कारावास की सजा होती है।

Arguments on the sentencing to held on 19th December. https://t.co/gMTNMBbOtP

— ANI (@ANI) December 16, 2019


9 अप्रैल को न्यायिक हिरासत में पिता की हो गई थी मौत
कैमरे की कार्यवाही के दौरान, जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने कहा था कि वह 16 दिसंबर को सीबीआई और मामले के अभियुक्तों द्वारा अंतिम बहस सुनने के बाद फैसला सुनाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर लखनऊ की एक अदालत से दिल्ली केस ट्रांसफर होने के बाद जज ने इस मामले की सुनवाई 5 अगस्त से दिन-प्रतिदिन के आधार पर की। इस साल 28 जुलाई को, पीड़िता की कार एक ट्रक से टकरा गई थी और वह गंभीर रूप से घायल हो गई थी। इस हादसे में महिला की दो चाची की मौत हो गई थी और बाद में उसके परिवार को कथित तौर पर धमकी भी मिली थी। उसके पिता को अवैध हथियार मामले में कथित रूप से फंसाया गया था और 3 अप्रैल, 2018 को गिरफ्तार किया गया था। 9 अप्रैल को न्यायिक हिरासत में रहते हुए उनकी मृत्यु हो गई।
पीड़िता की मां और चाचा मामले में मुख्य गवाह
यहां की स्थानीय अदालत ने विधायक, उनके भाई अतुल और नौ अन्य के खिलाफ हत्या और अन्य आरोप तय किए हैं। बता दें कि दुष्कर्म मामले में सुनवाई के दौरान जो कैमरे में कैद हुआ, तेरह अभियोजन पक्ष के गवाहों और नौ बचाव गवाहों की जांच की गई। पीड़िता की मां और उसके चाचा मामले में मुख्य गवाह हैं। लखनऊ के एक अस्पताल से एयर लिफ्ट करने के बाद पीड़िता का बयान दर्ज करने के लिए यहां एम्स अस्पताल में एक विशेष अदालत भी आयोजित की गई थी। शीर्ष अदालत के आदेशों के अनुसार महिला और उसके परिवार को सीआरपीएफ सुरक्षा प्रदान की गई है। उन्हें अब दिल्ली महिला आयोग (DCW) की सहायता से राष्ट्रीय राजधानी में एक किराए के आवास में शिफ्ट कर दिया गया है।

Posted By: Mukul Kumar