Nirbhaya Case: दिल्ली सरकार ने दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका खारिज करने की सिफारिश की
नई दिल्ली (पीटीआई)। निर्भया केस में चारो दोषियों को तीन मार्च को फांसी होनी थी मगर एक दिन पहले दोषी पवन गुप्ता ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजकर फांसी को फिर टलवा दिया। हालांकि सोमवार को ही दिल्ली सरकार के पास दया याचिका आ गई थी और केजरीवाल सरकार ने इसे खारिज करने की सिफारिश की है। सूत्रों की मानें तो दिल्ली सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से दया याचिका प्राप्त करने के कुछ ही मिनट बाद सिफारिश की। एक सूत्र ने पीटीआई को बताया, "दिल्ली सरकार ने पवन गुप्ता की दया याचिका को खारिज करने की सिफारिश की है। यह फाइल अब उपराज्यपाल अनिल बैजल को भेज दी गई है।" इससे पहले सोमवार को दिन में, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पवन (25) की दया याचिका प्राप्त की थी। मंत्रालय अब राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को उनके विचार और निर्णय के लिए याचिका को आगे बढ़ाएगा।
दया याचिका के चलते फांसी टली
दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को निर्भया केस में चार मौत की सजा पाए दोषियों को फांसी देने के आदेश को स्थगित कर दिया था। इन चारों दोषियों को मंगलवार सुबह 6 बजे फांसी होनी थी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने कहा कि दोषी पवन की दया याचिका के लंबित होने तक फांसी की सजा नहीं दी जा सकती। अदालत ने पवन की याचिका पर फैसला सुनाते हुए फांसी पर रोक लगाने की मांग की क्योंकि उसने सोमवार को राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की है।
क्या हुआ था सोमवार कोनिर्भया केस में चारों दोषियों के खिलाफ जारी डेथ वारंट अदालत ने अगले आदेश तक टाल दिया है। लिहाजा मंगलवार (3 मार्च) को फांसी नहीं दी जा सकी। इस मामले में अदालतों में सुनवाई के कारण सोमवार को दिनभर संशय बना रहा। पटियाला हाउस की एक अदालत ने पहले सत्र में डेथ वारंट पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पवन गुप्ता की क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी थी। इसके तुरंत बाद पवन की तरफ से दया याचिका दायर कर दी गई, जिसके बाद अदालत के दूसरे सत्र में अतिरिक्ति सत्र न्यायाधीश धर्मेद्र राणा ने डेथ वारंट टालने का आदेश दिया। देर शाम दिल्ली सरकार ने पवन की दया याचिका खारिज कर उचित निर्णय के लिए उपराज्यपाल के पास फाइल भेज दी है। दोषी पवन और अक्षय ने अर्जी दायर कर मांग की थी कि 3 मार्च के लिए जारी डेथ वारंट पर रोक लगाई जाए, क्योंकि उनकी याचिकाएं विचाराधीन हैं।