Meerut : बंगला नंबर 167 के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने मेरठ कैंट बोर्ड के अधिकारियों से कैंट एक्ट से संबंधित जानकारी मांगते हुए जनवरी माह में तारीख दी है. ये बताना काफी जरूरी है कि इस मुकदमे की पैरवी कैंट बोर्ड की ओर से पूर्व कानून मंत्री अश्वनी कुमार कर रहे हैं. अगर कैंट बोर्ड के हक में फैसला नहीं जाता है तो कैंट बोर्ड के इंजीनियरिंग सेक्शन के इंजीनियर्स के लिए काफी बड़ी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.


डीएचसी ने दिया समय बंगला नंबर 167 के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कैंट बोर्ड की ओर से पैरवी कर रहे पूर्व कानून मंत्री अश्वनी कुमार से कैंट एक्ट की जानकारी मांगी, जिसकी पूरी जानकारी देने के लिए कैंट बोर्ड को 21 जनवरी की तारीख दी है। वहीं दूसरा पक्ष पहले ही अपना पक्ष कोर्ट के सामने रख चुका है। कैंट बोर्ड की पहले भी इस मामले में कई बार किरकिरी हो चुकी है। केस हाथों से फिसलता देख पूर्व कानून मंत्री को सौंपा है। पांच साल पुराना केस
वर्ष 2008 में कैंट बोर्ड ने इस बंगले पर सिनेमाघर बनाने का नक्शा पास कर दिया था, जिस पर सरकार ने वो नक्शा इसलिए रिजेक्ट कर दिया कि बंगला आवासीय है और चेंज ऑफ पर्पस के तहत सिनेमाघर नहीं बनाया जा सकता। इसके खिलाफ वादी कोर्ट में चला गया। कोर्ट ने सरकार को केस दोबारा सुनने और फैसला सुनाने को कहा। सरकार ने अपना फैसला नहीं बदला। वादी ने इस फैसले पर तीन बार कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अंतिम बार कोर्ट ने वादी की रिट एक्सेप्ट कर ली। जिसके बाद गवर्नमेंट ने दिल्ली हाईकोर्ट चीफ जस्टिस बेंच में अपील दाखिल की थी। कर रहे दुआ


कैंट बोर्ड के इंजीनियरिंग सेक्शन के लिए ये केस काफी इंपोर्टैंट बन गया है। पूरा सेक्शन इस केस के लिए दिल से दुआ मांग रहे हैं। अगर दिल्ली हाईकोर्ट की इस बेंच में अगर कैंट बोर्ड हार जाता है तो डिपार्टमेंट पर गाज गिरना तय है, क्योंकि इन्हीं इंजीनियर्स ने 167 पर अपनी रिपोर्ट फाइल की थी, जिस पर तत्कालिक सीईओ ने मुहर लगाई थी।'कोर्ट ने इस केस संवैधानिक प्रश्न पूछे हैं क्योंकि ये एक नई बेंच है। इसके लिए हमारे वकील समय मांगा है। कोर्ट ने 21 जनवरी की तारीख दी है.'- एमए जफर, पीआरओ, कैंट बोर्ड

Posted By: Inextlive