- गोरखपुर में मिले सात केस, इसमें सिर्फ एक को पड़ी हॉस्पिटल पहुंचने की जरूरत

- पहले फेज में टीचर्स को किया जा रहा है सेंसिटाइज, नेक्स्ट फेज में टीचर्स स्टूडेंट्स को करेंगे अवेयर

GORAKHPUR: डेंगू का डंक हमेशा से ही लोगों को परेशान करता आया है। प्लेटलेट्स की कमी होने पर ही लोग डेंगू की जांच कराने हॉस्पिटल और पैथोलॉजी में पहुंच जाते हैं। गवर्नमेंट भी कई तरह की कोशिशें कर डेंगू के डंक से आजादी दिलाने की कोशिश में लगी है, लेकिन अवेयरनेस की कमी से इसको दूर नहीं किया जा सका है। लेकिन अब 'वन टू का फोर' थीम से डेंगू के डंक से आजादी मिलेगी। विश फाउंडेशन ने सरकार के साथ मिलकर इसकी शुरुआत भी कर दी है। सिटी में इसके लिए एक सेंसिटाइजेशन प्रोग्राम ऑर्गनाइज किया गया, जिसमें टीचर्स को डेंगू, इसके कारण और इससे बचने के तरीके बताए गए।

स्कूल में चलेगी पाठशाला

फ‌र्स्ट फेज में जहां टीचर्स, सेकेंड फेज में स्टूडेंट्स और थर्ड फेज में फैमिली और नेक्स्ट फेज में आसपास के लोगों को अवेयर करने की खास प्लानिंग की गई है। पहले फेज में एक्सप‌र्ट्स के जरिए टीचर्स को ट्रेनिंग दी जा रही है, जिसके बाद सेकेंड फेज में टीचर्स अपने स्कूल के बच्चों को डेंगू से जुड़ी जानकारी और बचाव के तरीके बताएंगे। नेक्स्ट फेज में बच्चे अपने घर पर पेरेंट्स और फैमिली मेंबर्स को अवेयर करेंगे, वहीं अगले फेज में वह आसपास के लोगों को इससे अवेयर करेंगे। इस तरह से एक खास चेन बन जाएगी और अवेयरनेस काफी तेजी से फैल सकेगी।

गोरखपुर में सात डेंगू के केस

गोरखपुर की बात करें तो अब तक जिले में क्8ब् डेंगू के सस्पेक्टेड केस मिले हैं। इसमें सभी की जांच के बाद सात मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ। एके पांडेय की मानें तो गोरखपुर में जो भी केस डायग्नोज हुए हैं, इसमें से छह की डायग्नोसिस प्राइमरी स्टेज में ही हो गई है, जिसकी वजह से उन पेशेंट्स का घर पर ही इलाज किया गया है। वहीं एक पेशेंट हॉस्पिटल में एडमिट हुआ है। ख्0क्म्-क्7 और ख्0क्7-क्8 से कंपेयर करें, तो इस साल डेंगू के केस में काफी गिरावट दर्ज की गई है। यह सिर्फ अवेयरनेस से ही संभव हो पाया है, जिसकी वजह से अवेयरनेस कैंपेन पर खास फोकस है।

डेंगू को जानिए

- प्लेटलेट का कम होना हमेशा डेंगू नहीं होता है।

- समय से अस्पताल आने पर डेंगू का सस्ता इलाज संभव है।

- समय से चिकित्सालय पहुंचने पर डेंगू जानलेवा रूप नहीं धारण करता।

- चिकनगुनिया और डेंगू के लक्षण एक तरह के होते हैं। जांच के बाद ही पता चल सकता है कि मरीज को डेंगू है या चिकनगुनिया।

- चिकनगुनिया की खतरनाक अवस्था में शरीर झुक जाता है और वह कभी ठीक नहीं होता।

- डेंगू और चिकनगुनिया एक ही प्रजाति के मच्छर के काटने से होता है और दोनों बीमारियों के मच्छर दिन में काटते हैं।

- मच्छरों से बचाव कर हम चिकनगुनिया और डेंगू को रोक सकते हैं।

इस पर दें ध्यान

- साफ पानी में पनपता है डेंगू का मच्छर

- डेंगू बुखार एडिज एजिप्टाइज मच्छर के काटने से होता है।

- साफ पानी में ही अंडे देता है यह मच्छर

- घर या ऑफिस में लगे कूलर, गमले, ओवर हेड टैंक, टायर या फिर हौदियों में रुके पानी में इसके अंडे मिलते हैं।

- दिन में ही काटता है डेंगू का यह मच्छर।

ऐसे करें बचाव

- घर के सदस्यों को दिन में पूरी बांह की कमीज, फुल पैंट और पैरों में मोजा पहनना चाहिए।

- घरों में मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करना चाहिए।

- बुखार होने पर दवा का इस्तेमाल करने से पहले सावधानी बरतें।

- सिर्फ पैरासिटामॉल की गोली दें और बॉडी को पानी से भीगी पट्टियों से पोछें।

- बुखार तेज होने पर तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।

यह न करें

- घरों के आसपास पानी न रुकने दें।

- डेंगू बुखार से पीडि़त मरीज को बगैर मच्छरदानी के न रहने दें।

- मरीज को एस्प्रीन, ब्रुफेन और कार्टिसोन दवा कतई न दें।

वर्जन

डेंगू को लेकर प्राइवेट सेक्टर से कई बार अपील की गई है कि वह डेंगू के केस को रिपोर्ट जरूर करें, जिससे इसकी फाइनल जांच कराकर रिजल्ट देखा जा सके। लेकिन कोई भी इसे शेयर नहीं करता है, जिससे केस की सही पोजीशन नहीं पता चल पाती है।

- डॉ। आईवी विश्वकर्मा, एसीएमओ

Posted By: Inextlive