RANCHI: भगवान के प्रसाद को भी मिलावटखोरों ने नहीं छोड़ा। जी हां, सावन में देवघर जाने वाले हर श्रद्धालु के लिए भगवान को जल चढ़ाना जितना महत्व रखता है, उतना ही महत्व देवघर से प्रसाद के रूप में पेड़ा लेकर आना भी होता है। लेकिन इस सावन में देवघर में जो पेड़ा बन रहा है, वही नकली मावा में बन रहा है। यह चौंकानेवाला खुलासा देवघर की अलग-अलग 43 दुकानों से पेड़ा के सैंपल की जांच में हुआ है। स्टेट फूड एंड ड्रग लेबोरेटरी नामकुम रांची के फूड एनालिस्ट चतुर्भुज मीणा ने बताया कि देवघर के पेड़ा के 43 सैंपल की जांच में 38 फेल पाये गए हैं। गौरतलब हो कि देवघर एसडीओ द्वारा जुलाई में कई पेड़ा दुकानों के सैंपल जब्त कर फूड लेबोरेटरी नामकुम रांची जांच के लिए भेजे गए थे।

पेड़ा में ऐसे हो रही मिलावट

नामकुम फूड लेबोरेटरी के फूड एनालिस्ट चर्तुभुज मीणा ने बताया कि देवघर के पेड़ा का जितना भी सैंपल आया था, लगभग सभी फेल पाए गए हैं। पेड़ा बनाने के लिए जिस मावा का यूज हो रहा है उससे घी निकालने के बाद उसमें तेल डालकर पेड़ा बनाया जा रहा है। मावा से घी निकालने के बाद चिकनाई रखने के लिए तेल मिलाया जा रहा है। साथ ही कई सैंपल में मावा में मैदा की मात्रा भी अधिक पाई गई है। वहीं, मिठाई को कलर देने के लिए येलो कलर का भी इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जा है। ये सब सेहत के लिए बेहद खतरनाक हैं।

10 लाख से ज्यादा श्रद्धालु आते हैं देवघर

हर साल सावन महीने में देश और विदेश से भी श्रद्धालु देवघर में बाबा भोलेनाथ को जल चढ़ाने के लिए पहुंचते हैं। इसके बाद सभी की यही चाहत होती है कि देवघर का पेड़ा प्रसाद के रूप में लेकर घर जरूर लौटें। हर साल करीब दस लाख से ज्यादा लोग बाबा बैद्यनाथ धाम पहुंचते हैं। ऐसे में अगर लोगों को मिलावट वाला पेड़ा खिलाया जा रहा है तो ऐसे में सरकार और राज्य की भी बदनामी हो रही है।

वर्जन

देवघर की मिठाई दुकानों का सैंपल लेकर जांच किया गया है। ऐसा करने वाले लोगों के खिलाफ देवघर जिला प्रशासन द्वारा कार्रवाई की जाएगी।

-डॉ नितिन मदन कुलकर्णी, प्रधान सचिव, स्वास्थ विभाग, झारखंड

जुलाई में ही देवघर की कई दुकानों का सैंपल जब्त कर जांच के लिए फूड लेबोरटरी नामकुम भेजा गया था। जांच में अधिकतर सैंपल फेल पाए गए हैं। अब ऐसी दुकानों को नोटिस भेजकर कार्रवाई की जाएगी।

विशाल सागर, एसडीओ, देवघर

देवघर की मिठाई दुकानों के सैंपल की जांच की गई है। पेड़ा के अधिकतर सैंपल के मावा में स्टार्च मिलाया गया है। साथ ही मिठाई बनाने के लिए कलर का इस्तेमाल भी ज्यादा किया गया है।

चतुर्भुज मीणा, फूड एनालिस्ट, फूड लैबोरेटरी, नामकुम रांची

Posted By: Inextlive