वेक्टर बॉर्न डिजीज के लिए अस्पतालों में नहीं लगे हेल्प डेस्क, वार्ड भी नहीं तैयार

दवाइयों की भी किल्लत, ब्लड बैंक भी नहीं हैं तैयार

Meerut। मानसून के साथ ही वेक्टर बॉर्न डिजीज का सीजन इस साल भी शुरू होने वाला है। बावजूद इसके इनकी रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग और अस्पतालों में मुकम्मल तैयारियां नहीं हैं। बारिश से पहले न तो साफ-सफाई की व्यवस्था है न ही अन्य बचाव कार्य पूरे हुए हैं। गौरतलब है कि गत वर्ष डेंगू और चिकिनगुनिया ने जमकर कहर बरपाया था।

अस्पतालों में नहीं हैं इंतजाम

वेक्टर बॉर्न डिजीज को लेकर अस्पताल पूरी तरह से सजग नहीं हैं। वार्ड, दवाइयों से लेकर स्टाफ तक यहां टोटा बना हुआ है। जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज दोनों की यही स्थिति है। यही नहीं मरीजों की मदद के लिए हेल्प डेस्क तक नहीं है। जबकि शासन की ओर से अस्पतालों को इस बाबत पहले ही निर्देश दे दिए गए थे।

ब्लड बैंकों की तैयारियां अधूरी

वेक्टर बॉर्न डिजीज को लेकर ब्लड बैंक भी संजीदा नहीं हैं। यहां न तो ब्लड मैंनेटन किया जा रहा है न ही प्लेट लेट्स को लेकर पर्याप्त व्यवस्था है। जबकि डेंगू और चिकिनगुनिया में सबसे ज्यादा जरूरत इन्हीं की पड़ती है। स्थिति ये हैं कि सरकारी ब्लड बैंकों में कुछ दिनों का ही स्टॉक है। बीमारियों के बढ़ते ही यहां भी मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। सरकारी ब्लड बैंक में निगेटिव ब्लड ग्रुप का पूरी तरह से टोटा है।

लार्वा मिलने पर चालान

वेक्टर बॉर्न डिजीज की रोकथाम के लिए खुद मलेरिया विभाग की तैयारियां अधूरी हैं लेकिन लार्वा मिलने का ठीकरा एक बार फिर घरों और कार्यालयों पर फोड़ा जाएगा। पहली बार लार्वा मिलने पर संबंधित व्यक्ति को विभागीय निर्देशों के तहत नोटिस दिया जाएगा। जबकि दूसरी बार लार्वा मिलने पर आईपीसी की धारा 188 के तहत 1000 रूपये जुर्माना या जेल या जुर्माना और जेल दोनों हो सकते हैं।

नहीं गठित हुई टास्क फोर्स

सीजनल बीमारियों के लिए नगर निगम, आईसीडीएस, पंचायती राज विभाग व वन विभाग को जल भराव और कूड़ा जनित जगहों को चिंहित कर स्वास्थ्य विभाग को सूचना देने के लिए कहा गया था। इतना ही नहीं इनकी सफाई के लिए स्पेशल टास्क फोर्स का गठन भी किया जाना था। इसके अलावा एएनएम, आशाओं के द्वारा लोगों को जागरूक किया जाना था लेकिन अभी तक इसकी व्यवस्था नहीं हुई है।

कैसे चलेगी स्पेशल क्लास

बच्चों को वेक्टर बॉर्न डिजीज के बारे में जानकारी देने के लिए विभाग को स्कूलों में स्पेशल क्लास भी चलानी थी। इसके तहत मलेरिया विभाग की टीमों को प्राइवेट-सरकारी स्कूलों के बच्चों को बीमारियों के प्रति जागरूक करने के निर्देश दिए गए थे। सुबह एसेंबली के दौरान भी बच्चों को डेंगू-मलेरिया के कारण-बचाव और रोकथाम के बारे में बताया जाना था। मगर इस दिशा में विभाग अभी तक रणनीति ही नहीं बना सका है।

ये है एडवाइजरी

डेंगू के बारे में स्कूली बच्चे जागरूकता फैलाएंगे।

स्कूलों में ड्रेस कोड लागू होगा।

स्वास्थ्य विभाग की ओर से संगोष्ठी आयोजित होंगी।

सभी अस्पतालों में फीवर हैल्प डेस्क बनाई जाएगी।

डेंगू व चिकिनगुनिया रोगियों के लिए 10 से 20 बैड रिजर्व रखे जाएंगे।

ओपीडी में मरीजों व परिजनों की अत्याधिक आवाजाही वाले स्थान पर डेंगू कंट्रोल बैनर चस्पा किए जाएंगे।

नगर मलेरिया अधिकारी व नगर निगम अधिकारी डेंगू संभावित क्षेत्रों में सफाई अभियान चलाएंगे।

जिला मलेरिया विभाग की ओर से कूलर व कंटेनर सर्वे होगा

ये है पिछला रिकार्ड

डेंगू

2018- 153

2017- 660

2016- 183

2015- 307

चिकिनगुनिया

2018- 00

2017- 00

2016- 1105

2015- 00

ये हैं वेक्टर बॉर्न डिजीज

वेक्टर बॉर्न डिजीज मच्छरों के काटने से होनी वाली बीमारियां हैं। ये मानसून में ये तेजी से पनपती हैं। इनमें डेंगू, चिकिनगुनिया, मलेरिया आदि बीमारियां शामिल हैं।

डेंगू व चिकिनगुनिया के लक्षण

तेज बुखार

डायरिया

सिर में तेज दर्द, भूख न लगना

जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द

स्किन में जलन, लाल चक्कते पड़ना

गले में सूजन, बॉडी में रेशेज

ऐसे करें बचाव

हर हफ्ते कूलर, बाल्टी, कंटेनर आदि का पानी बदलें।

साफ पानी के बर्तन ढककर रखें।

पूरी आस्तीन के कपड़े पहने।

रात में सोने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें।

बुखार होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।

यह न करें

नालियों, बर्तन, कूलर, टायर, गमलों में पानी स्टोर न होने दें।

घर के आसपास कूड़ा इकट्ठा न होने दें।

बिना डॉक्टरी परामर्श के किसी प्रकार की दवा न लें।

सभी विभागों को गाइडलाइन जारी कर दी गई है। अस्पतालों को भी निर्देश दिए गए हैं। सभी को अलर्ट और जागरूक रहने के लिए कहा गया है।

डॉ। राजकुमार, सीएमओ, मेरठ

Posted By: Inextlive