RANCHI : खेलगांव स्थित वेलोड्रम स्टेडियम में एक तरफ तेजी से भागती इटली की पिनारेलो और दूसरी तरफ उसे चुनौती देती झारखंड की देसी 'पिनारेलो'। शनिवार को साइक्लिंग स्टेडियम के वेलोड्रम में यह नजारा देखकर एक बार लोग चौंक गए। आप भी चौंक जाएंगे, क्योंकि एक है इटली की बनी हुई पिनारेलो साइकिल, जो पूरे व‌र्ल्ड में साइक्लिंग कॉम्पटीशन में पार्टिसिपेट करने वाली व‌र्ल्ड क्लास साइकिल है। इसकी कीमत साढ़े तीन लाख रुपए है। वहीं, दूसरी तरफ झारखंड के कुछ जुनूनी साइक्लिस्ट्स ने दो से तीन हजार रुपए कीमत वाली देसी साइकिल को जुगाड़ टेक्निक से मोडिफाई करके इसे पिनारेलो की तरह साइक्लिंग इवेंट में पार्टिसिपेट करनेवाली साइकिल बना दिया है। इस साइकिल से ये न सिर्फ प्रैक्टिस कर रहे हैं, बल्कि इसके सहारे वह नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर साइक्लिंग इवेंट में मेडल जीतने का भी सपना देख रहे हैं।

और बना ली अपनी 'देसी पिनारेलो'

मनोहरपुर के पास सनवा के रहनेवाले जेकोव तुड़ी नेशनल लेवल का साइक्लिस्टि बनना चाहते हैं, लेकिन इनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि साइक्लिंग कॉम्पटीशन के लिए जो साइकिल आती है, उसे खरीद सकें। इन साइकिल्स की कीमत साढ़े तीन लाख रुपए होती है। ऐसे में जेकोव तुड़ी ने देसी साइकिल को देसी तरीके से मोडिफाई करके एक नई साइकिल बना ली। अपनी देसी जुगाड़ के बारे में जेकोव बताते हैं कि जो साइक्लिंग कॉम्पटीशन में यूज होनेवाली साइकिल का हैंडल आगे से झुका हुआ और छोटा होता है। साथ ही उसमें मड गार्ड नहीं होता है। उसका ब्रेक भी अलग तरीके से सेट होता है। आगे का बे्रक नहीं होता है। ऐसे में इसी को आधार बनाकर एक दिन उन्होंने एक देसी साइकिल को मोडिफाई किया। फिर इस साइकिल से प्रैक्टिस करना शुरू किया। जब यह टेक्निक सफल हुई, तो दूसरों ने भी साइकिल को मोडिफाई किया और यह साइकिल झारखंड की देसी पिनारेलो के नाम से फेमस हो गई। आज यह साइकिल झारखंड के गांव-देहात के यूथ में हिट है और वे लोग इस साइकिल से प्रैक्टिस करके नेशनल और इंटरनेशनल साइक्लिस्ट बनने का सपना देख रहे हैं।

वेलोड्रम में हो रही प्रैक्टिस

झारखंड गवर्नमेंट ने नेशनल गेम्स के समय झारखंड में साइक्लिंग इवेंट्स को बढ़ावा देने के लिए इटली से क्ख् पिनारेलो साइकिल्स मंगाई थीं। लेकिन, नेशनल गेम्स के बाद ये साइकिल्स कभी यूज ही नहीं हो रही थीं। इस बार वेलोड्रम स्टेडियम में साइक्लिंग के समर कैंप में इन साइकिल्स को प्रैक्टिस के लिए बाहर निकला गया है। लेकिन, इस पिनारेलो साइकिल के साथ ही इस समर कैंप में जुगाड़ टेक्निक से बनी देसी पिनारेलो से भी यूथ प्रैक्टिस कर रहे हैं। इस बारे में यहां के कोच का कहना है कि झारखंड के गरीब बच्चों के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वे कॉम्पटीशन में पार्टिसिपेट करनेवाली स्पो‌र्ट्स साइकिल खरीद सकें। इसलिए, उन्होंने जुगाड़ टेक्निक से स्पो‌र्ट्स साइकिल बनाई है। इससे यह अच्छी प्रैक्टिस करते हैं, लेकिन अगर इन सभी बच्चों को असली पिनारेलो से प्रैक्टिस कराई जाए, तो ये मेडल जीतकर दिखा सकते हैं।

मेडल जीतना चाहती हूं

मनोहर की रुक्मणि आजकल वेलोड्रम स्टेडिमय में देसी स्पो‌र्ट्स साइकिल से प्रैक्टिस कर रही हैं। रुक्मणी कहती हैं- मैं अपने गांव में भी इसी साइकिल से प्रैक्टिस करती हूं, क्योंकि हमलोगों के पास इतने पैसे नहीं हैं कि तीन लाख रुपए की स्पो‌र्ट्स साइकिल खरीद सकें। लेकिन, इसके बावजूद मैं नेशनल लेवल पर साइक्लिंग इवेंट में मेडल जीतना चाहती हूं।

शानदार अनुभव है 'देसी पिनारेलो' का

वेलोड्रम में प्रैक्टिस कर रहीं सावित्री कहती हैं- इटली की बनी पिनारेलो साइकिल तो बेस्ट है, लेकिन हमलोग जो देसी जुगाड़ से बनाई गई स्पो‌र्ट्स साइकिल देसी पिनारेलो चला रहे हैं, उसका अनुभव शानदार है। यह वेलोड्रम पर शानदार तरीके से चलती है।

हमारी साइकिल अच्छी चलती है

साइक्लिस्ट नायसी हेम्ब्रम का कहना है- साइक्लिंग कॉम्पटीशन के लिए जो स्पो‌र्ट्स साइकिल आती है, वह काफी महंगी होती है। हमलोग उसे खरीद नहीं सकते हैं। इसलिए, हमलोगों के पास देसी जुगाड़ है। हमारी देसी साइकिल भी अच्छे से चलती है। इससे प्रैक्टिस करके हमलोग मेडल जीतेंगे।

इनके जज्बे को सलाम

साइक्लिंग कोच मोहम्मद अरशद खान कहते हैं- कभी झारखंड के गांवों में बांस से हॉकी स्टिक बनाकर यहां की लड़कियां हॉकी खेलने की शुरुआत करती थीं। इसके बाद अपनी मेहनत और लगन से वो नेशनल और इंटरनेशनल प्लेयर बनीं। ऐसे ही अब झारखंड के गांवों में इन उत्साही बच्चे देसी जुगाड़ से स्पो‌र्ट्स साइकिल बनाकर प्रैक्टिस कर रहे हैं। खासकर ग‌र्ल्स। ऐसे लोगों के जज्बे को सलाम। एक दिन ये बच्चे साइक्लिंग में मेडल लाएंगे।

Posted By: Inextlive