वे घर से बेहतर जीवन का सपना देखकर काम की तलाश में मोसुल पहुंचे थे लेकिन वापस ताबूतों में बंद होकर लौटे। एक रिपोर्ट में पाया गया है कि इराक में भारतीय श्रमिकों की दर्दनाक मौत होने के बाद भी पंजाब के हजारों लोग उस खतरनाक जगह पर नौकरी पाने की उम्मीद करते हैं।


वैध कागजातों के बिना ही जा रहे लोगचंडीगढ़ (प्रेट्र)। आईएसआईएस के आतंकवादियों द्वारा इराक में मारे गए 39 मजदूरों में से 27 पंजाब के थे। ट्रैवल एजेंटों का कहना है कि कई लोग अभी भी पंजाब से इराक जैसे जगहों पर काम और मजदूरी करने के लिए जाने की प्लानिंग करते हैं। उन्होंने बताया कि कई लोग तो बिना वैध कागजात के इराक में काम के लिए पहुंच जाते हैं।   बेरोजगारी के कारण जा रहे लोग


पंजाब ट्रैवल एजेंट्स असोसिएशन के अध्यक्ष कुलजीत सिंह हायर ने प्रेट्र को बताया कि ‘लोग दूसरे देशों में सिर्फ पंजाब में बेरोजगारी के कारण जाते हैं।’ उनके मुताबिक 'जब वे अवैध ट्रैवल एजेंट के जरिये बाहर देशों में जाते हैं तो वे वहां फंस जाते हैं।’ बता दें कि अवैध तरीके से लोगों को इराक जाने में सहयोग करने वाले ट्रैवल एजेंटों का कोई पक्का आंकड़ा नहीं है, लेकिन इस इंडस्ट्री के विशेषज्ञ बताते हैं कि हजारों अवैध ऑपरेटर ऐसे काम करते हैं।इराक में ज्यादा होती है कमाई

जालंधर स्थित एक पंजीकृत एजेंट ने बताया कि लोग ऐसी खतरनाक जगहों पर नौकरियां इसलिए ढूंढते हैं क्योंकि इराक में मजदूरों के वेतन दुबई जैसे जगहों के मुकाबले दो या तीन गुणा अधिक हैं। उसने कहा कि 'कई लोग अभी भी इराक जा रहे हैं और कई ऐसे भी हैं जो पैसा कमाने के लिए हर जोखिम उठाने को तैयार हैं। एक एजेंट, जो मीडिया से अपनी पहचाना नहीं बताना चाहता था, उसने बताया कि कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को युद्धग्रस्त देश में कंस्ट्रक्शन्स के प्रोजेक्ट के लिए मजदूरों की आवश्यकता होती है। उसने कहा कि कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करने वाला एक मजदूर इराक में 50,000-65,000 रुपये प्रति माह कमा सकता है, जबकि दुबई में कोई व्यक्ति महीने में 22,000 रुपये ही कमा पाता है।

Posted By: Mukul Kumar