15 करोड़ की लागत से बनाया गया था कान्हा उपवन

800 पशुओं को रखने का दावा किया था नगर निगम ने

6 माह बाद ही चारे के भुगतान को लेकर खड़ा हो गया संकट

3 माह से कर्मचारियों को नहीं मिला है वेतन

- शहर में सड़कों पर बढ़ रही निराश्रित पशुओं की संख्या

Meerut । गोवंश के संरक्षण के लिए सीएम योगी आदित्य नाथ की महत्वाकांक्षी कान्हा उपवन योजना का भी खास असर नहीं दिखाई दे रहा है। इस योजना के मुताबिक शहर में घूम रहे निराश्रित पशुओं का संरक्षण करना था, लेकिन नगर निगम की लापरवाही के चलते शहर की सड़कों पर एक बार फिर निराश्रित पशुओं की भरमार हो चुकी है। निगम का कहना है कि अधिकतर पशु कान्हा उपवन में भेजे जा चुके है, बावजूद इसके, शहर की सड़कों पर अच्छी खासी संख्या में निराश्रित घूम रहे हैं।

परतापुर में कान्हा उपवन

गौरतलब है कि सरकार की योजना के तहत परतापुर के बराल में कान्हा उपवन बनाया गया था। करीब 15 करोड़ की लागत से बने इस कान्हा उपवन में 800 पशुओं को रखने का निगम ने दावा किया था। इन पशुओं के चारे से लेकर सभी प्रकार की सुविधाएं कान्हा उपवन में उपलब्ध कराई गई थी, लेकिन शहर की सड़कों पर कान्हा उपवन से अधिक गोवंश दिखाई दे रहे हैं। निगम का दावा था कि अधिकतर पशुओं को या तो उनके मालिकों के पास भेजा जा चुका है या फिर कान्हा उपवन में रखा जा रहा है।

भुगतान पर विवाद

वहीं अगर निगम के कान्हा उपवन के संचालन पर नजर डालें तो बनने के छह माह के अंदर ही चारे से लेकर पानी तक का संकट मंडराने लगा था। चारा सप्लाई करने वाली कंपनी ने अपना भुगतान ना होने पर चारा सप्लाई करना तक बंद कर दिया था। पानी की कमी के कारण पशुओं को नहाना तो दूर पीने तक के पानी की किल्लत हो गई थी। इसके बाद कान्हा उपवन पर डयूटी में लगे कर्मचारियों ने अपने तीन माह का वेतन ना मिलने पर काम बंद कर दिया था। ऐसे में अपने ही विवादों में उलझे निगम ने भी निराश्रित पशुओं को पकड़ने का अभियान ही बंद किया हुआ है। जिसके चलते शहर की सड़कों पर एकबार फिर निराश्रित पशुओं की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है।

पशुओं को आश्रय देने का अभियान लगातार जारी है। ऐसा नही है कि गो संरक्षण में लापरवाही बरती जा रही है। एक बार फिर अभियान चलाकर पशुओं को खुला छोड़ने वालों पर जुर्माना लगाया जाएगा।

- अरविंद चौरसिया, नगरायुक्त

Posted By: Inextlive