देवदीपावली पर असंख्य दीपों की रोशनी से नहा उठे गंगा घाट

अलौकिक नजारे का साक्षी बनने दुनिया पहुंची काशी

काशी में गंगा किनारे मंगलवार की शाम अंधियारा छाया ही था कि एक साथ असंख्य दीप जल उठे। देवदीपावली पर अनगिनत ज्योति रश्मियों ने तम के साम्राज्य को उखाड़ फेंका। गोधूलि बेला में उजाला ऐसा कि धरती ही नहीं आकाश भी आलोकित हो गया। इस विहंगम दृश्य ने स्वर्ग की परिकल्पना को वास्तविकता का रूप दे दिया। इस देख शब्द भी नि:शब्द हो गए। इस अलौकिक दृश्य को देखने दुनिया के कोने-कोने आए लोगों स्तब्ध रह गए।

जहां तक नजर गई, जगमग दीपों की लंबी कतार और रोशनी ने एक ऐसा संसार रचा कि एहसास हुआ इसे इंसानों ने नहीं स्वर्ग में बैठे देवताओं ने स्वंय अपने हाथों से रचा है। मानों उन्हीं के लिए तो यह आयोजन था। मानवों ने देवताओं के साथ देव दीपावली का पर्व मनाया।

आस्था का उफान

देवदीपावली के अद्भुत नजारे का साक्षी बनने के लिए दोपहर बाद से लोगों की भीड़ घाटों की तरफ बढ़ने लगी। हर-हर महादेव और हर-हर गंगे का उद्घोष कर भीड़ का बहाव आगे बढ़ रहा। शाम होते-होते घाटों पर पांव रखने की भी जगह नहीं रही। आस्थावानों ने राजघाट से लेकर अस्सी तक दीपों की लड़ी लगा दी। अंधेरा होते ही बाद हजारों हाथों से लाखों दीये में पड़ी बात्ती को अग्नि अर्पित होते ही गंगा किनारा रोशनी से नहा उठा। पंचगंगा घाट पर प्रकाशित होने वाला हजारा (हजार दीपों का मंच) भी अनोखे प्रकाश पर्व पर आभा बिखेरता नजर आया।

हर दृश्य ने रोका कदम

हर घाट को अलग तरीके से दीपों की झांकियों से प्रस्तुत किया गया। प्रहलाद घाट पर राम मंदिर का मॉडल बना तो तुलसी घाट पर श्रीनगर का लाल चौक। हर घाटों पर रंगोली सजाते लोगों ने अनोखे थीम पर घाटों की रंगत भी निखारने में कोई कोताही नहीं बरती। घाटों पर गुब्बारों और फूलों संग सजावट ने विदेशी मेहमानों को चमत्कृत किया तो रेत पर श्रीराम की आकृति उकेर कर पर्व में अलग रंग सजाया।

कुंड-तालाब हुए जगमग

इस विशिष्ट आयोजन में सिर्फ गंगा के घाट नहीं बल्कि कुंड-तालाब भी दीपों से रोशन हुए। दुर्गाकुंड, लक्ष्मीकुंड, रामकुंड, ईश्वरगंगी कुंड, कुरूक्षेत्र तालाब, रामजानकी मंदिर, बाबा कीनाराम आश्रम स्थित तालाब, पिशाचमोचन तालाब पर दीप जलाए गए। साथ ही काशी विश्वनाथ मंदिर के साथ तिलभांडेश्वर महादेव, सारंगनाथ महादेव, बीएचयू स्थित विश्वनाथ मंदिर दीपों की लडियों ने प्रकाश पर्व के आयोजन को खास बनाया। वहीं राजघाट पर लेजर शो के आयोजन ने मानो देव दीवाली पर गंगा तट पर समां बांध दी। वरुणा नदी के तट पर रामेश्वर और शास्त्री घाट भी दीपों और रोशनी से दिन ढलने के साथ ही नहा उठा।

व‌र्ल्ड रिकॉर्ड का प्रयास भी

एक अनुमान के मुताबिक देर शाम तक गंगा तट पर 21 लाख से अधिक दीप जलाए गए। गंगा तट के 84 घाटों, कुंडों और घरों में दिये ऐसे जलाए गए कि वर्ष 2020 के व‌र्ल्ड रिकॉर्ड में भी यह आयोजन शामिल हो जाएगा। वहीं शाम होते ही 16 घाटों पर संगीत का कार्यक्रम भी हुआ। देवदीपावली पर कला के प्रति बेपनाह जुनून का गवाह तुलसी घाट बना हुआ है जहां पर भद्रा-गायत्री की जोड़ी ने भी अपने प्रर्दशन से लोगों को चमत्कृत कर दिया।

तैरती रहीं नावें

देव दीपावली का आयोजन हो और लघु भारत की झलक न देखने को मिले ऐसा हो ही नहीं सकता। उप्र संस्कृति विभाग के निर्देश पर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र वाराणसी ने गंगा घाटों पर विविध कार्यक्रमों के आयोजन किया गया। देवदीपावली के अद्भुत नजारे को देखने के लिए लोग घाटों के अलावा नावों में देर शाम तक गंगा की लहरों पर तैरते रहे।

Posted By: Inextlive