प्रधानमंत्री आवास बनाने के लिए आमंत्रित की थीं निविदा

टेंडर की कई बार बढ़ चुकी है डेट, एक बार फिर कवायद

Meerut। पीपीपी मॉडल पर प्रधानमंत्री आवास के निर्माण कि लिए प्राधिकरण को डेवलपर नहीं मिल रहा है। लगातार चौथी बार टेंडर की लास्ट डेट तक एक भी बिल्डर ने ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया है। बुधवार को एक बार फिर टेंडर की डेट आगे बढ़ा दी गई है। नई नीति आने के बाद भी पीएमएवाई में बिल्डर्स का रुझान न होने से प्राधिकरण के माथे पर बल पड़ रहे हैं वहीं शासन जल्द से जल्द निर्माण कार्य पूरा कर लाभार्थियों को आवास सौंपने के लिए दबाव बना रहा है।

15 अक्टूबर तक किया इंतजार

प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के अंतर्गत मेरठ में अफोर्डेबल हाउसिंग इन पार्टनरशिप स्कीम प्रोजेक्ट के लिए एमडीए ने टेंडर जारी किए थे। शासन के निर्देश पर 31 मार्च 2019 तक मेरठ में 10 हजार प्रधानमंत्री आवास का निर्माण होना है। मेरठ बागपत के लिए संचालित ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया की शामिल होने की अंतिम तिथि 12 अक्टूबर थी। 15 अक्टूबर को टेक्निकल बिड्स ओपन होने थे। आलम यह है कि बुधवार तक एक भी बिल्डर ने पीपीपी मॉडल पर पीएमएवाई के निर्माण में इंट्रेस्ट शो नहीं किया। जिसके बाद एमडीए ने वेबसाइट से टेंडर की डिटेल को हटा दिया है।

लगातार चौथी बार बढ़ी डेट

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) मेरठ और बागपत विकास क्षेत्र के अंतर्गत निजी क्षेत्र की सहभागिता (पीपीपी मॉडल) के साथ पीएम आवास का निर्माण होना है। शासन के निर्देश के बाद एमडीए ने इस दिशा में कई बार रीयल एस्टेट कारोबारियों के साथ मीटिंग कर कार्ययोजना भी तैयार की है। प्रोजेक्ट के लिए टू-बिड पद्धति पर टेंडर आमंत्रित किए गए हैं किंतु सभी प्रयास असफल रहे। आलम यह है कि लगातार चौथी बार टेंडर की डेट आगे बढ़ाने के बाद भी बिल्डर योजना में हाथ डालने से घबरा रहे हैं।

मेरठ में पीपीपी मॉडल पर प्रधानमंत्री आवास के निर्माण के लिए टेंडर जारी कर दिए थे। अंतिम तिथि तक एक भी टेंडर न आने पर प्रक्रिया को निरस्त कर दिया गया। प्राधिकरण एक बार फिर बिल्डर्स से बात करके टेंडर प्रक्रिया आरंभ करेगा। वहीं बिल्डर्स की शर्तो को शासन के समक्ष रख दिया गया है।

साहब सिंह, उपाध्यक्ष, मेरठ विकास प्राधिकरण

बिल्डर्स न रखीं शर्ते

प्रधानमंत्री की शीर्ष प्राथमिकता में शामिल स्कीम में बिल्डर्स रुचि क्यों नहीं ले रहे हैं? इस बार की पड़ताल के लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने शहर के प्रमुख बिल्डर्स से मुलाकात की और वजह जाननी चाही। बिल्डर्स से प्रावधानों की छूट की बात कही तो वहीं उनका कहना था कि वे मकान तो अवश्य बना दें किंतु रखरखाव नहीं कर सकते। रीयल एस्टेट कारोबारी अतुल गुप्ता ने बताया कि उनकी प्राधिकरण से बात चल रही है। फिलहाल अफोर्डेबल हाउसिंग इन पार्टनरशिप स्कीम प्रोजेक्ट में 3 प्रमुख कारण आड़े आ रहे हैं

1-प्रोजेक्ट का रेरा में रजिस्ट्रेशन बिल्डर नहीं कराना चाहते। बिल्डर्स का कहना है कि वे नो प्राफिट, नो लॉस पर मकान तो बना देंगे किंतु मुकदमेबाजी में नहीं पड़ेंगे।

2-योजना के तहत मकान तो प्राइवेट बिल्डर बनाकर देने के लिए तैयार हैं किंतु उनका कहना है कि बिक्री प्राधिकरण करे। रजिस्ट्री भी प्राधिकरण और लाभार्थी के बीच हो।

3-लाभार्थी से प्राधिकरण बिल्डर को 10 हजार रुपए की एडवांस दिलवा दे, बाकी का पैसा पजेशन पर दिलवा दे। बिल्डर अपना पैसा नहीं फंसाना चाहते।

शासन को भेजा मांगपत्र

बिल्डर्स का मांगपत्र एमडीए वीसी साहब सिंह ने आवास एवं शहरी नियोजन विभाग को भेज दिया है। हालांकि 12 जुलाई के शासनादेश में पीएमएवाई स्कीम में भागेदारी दर्ज कराने वाले बिल्डर्स के लिए खास स्कीम सरकार द्वारा जारी की गई थी। पीपीपी मॉडल पर संचालित इस योजना में बिल्डर्स को विकसित आवासीय योजना के अफोर्डेबल हाउस को भी शामिल कर सकता है तो वहीं वाह्य विकास शुल्क में रियायत का प्रलोभन भी सरकार ने दिया है। ऑनलाइन टेंडर्स के बारे में जानकारी एमडीए की वेबसाइट www.mdaMEERUT.in पर होगी। फिलहाल टेंडर डिटेल को वेबसाइट से हटा लिया गया है।

Posted By: Inextlive