यूपी सरकार के अफसर विभिन्न विभागों के साथ कर रहे हैं मंथन

जल्द ही सर्वे कराकर नई स्कीम और प्रोजेक्ट लांच करेगी सरकार

गाजियाबाद-मेरठ समेत वेस्ट यूपी के सभी जनपदों को मिलेगा प्रमोशन

Meerut। रैपिड रेल के सहारे और कितना डेवलपमेंट हो सकता है, इसकी संभावना को यूपी गवर्नमेंट गंभीरता से खंगाल रही है। जल्द ही सरकार एक सर्वे कराने जा रही है, जिसमें हाईस्पीड ट्रेन के कॉरीडोर के आसपास डेवलेपमेंट की संभावनाओं को खंगाला जाएगा। बता दें कि गवर्नमेंट से लेकर लोकल लेवल पर गत दो वर्षो में हुई बैठकों में तरह-तरह की संभावनाओं पर चर्चा हो रही है। सरकार ने जिम्मेदार विभागों को अब संभावनाओं को जुटाने करने के निर्देश दिए हैं।

इन्हें मिली जिम्मेदारी

कमिश्नर मेरठ मंडल अनीता सी मेश्राम के नेतृत्व में मेरठ-गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर जनपदों के प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा विकास प्राधिकरण, नगर निगम, आवास विकास परिषद और यूपी स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलेपमेंट कॉरपोरेशन के अफसरों की टीम गठित हो रही है जो रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) के दिल्ली-मेरठ कॉरीडोर के आसपास सर्वे कराकर नई स्कीम और प्रोजेक्ट प्लान करेगी। यह टीम मुख्य सचिव के निर्देशन में काम करेगी। नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एनसीआरटीसी) इस टीम को टेक्निकल सपोर्ट करेगी। मुख्य सचिव के अलावा प्रमुख सचिव, आवास एवं शहरी विकास विभाग और प्रमुख सचिव, नगर विकास विभाग मॉनीटरिंग करेंगे। आरआरटीएस से यूपी गवर्नमेंट न सिर्फ वेस्ट यूपी बल्कि पूरे यूपी के विकास का तानाबाना बुन रही है। मेरठ से ईस्ट यूपी के साथ सुपर फॉस्ट कनेक्टिविटी के लिए मेरठ-प्रयागराज गंगा एक्सप्रेस-वे की फिजिबिलिटी रिपोर्ट में आरआरटीएस को शामिल किया गया है।

फंड भी जुटाएंगी सरकार

हालांकि गुरुवार को आरआरटीएस को लेकर मुख्य सचिव के साथ प्रस्तावित बैठक यूपी मंत्रिमंडल के विस्तार के चलते टल गई, किंतु मुख्य सचिव की ओर से सभी अधिकारियों को यह मैसेज दिया गया है कि वे आरआरटीएस कॉरीडोर के निर्माण की राह को आसान बनाएं। यह सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में शामिल है। इसके अलावा कॉरीडोर के आसपास इंडस्ट्रियल क्लस्टर को डेवलप करना, पॉलीसेटि्रंक एरिया में सर्किल रेट्स को बढ़ाना और फ्लोर एरिया रेशियो को बढ़ाकर हाईराइज बिल्डिंग का निर्माण करना शामिल है। मुख्य सचिव के स्तर से विभिन्न विभागों को यह भी टॉस्क दिया गया कि वे कॉरीडोर की लागत में किस तरह और कितना सहयोग कर सकते हैं।

रैपिड रेल प्रोजेक्ट

32 हजार करोड़ की लागत आएगी

21 हजार करोड़ तय की गई है बेस आय

15 हजार करोड़ का लोन लेकर प्रोजेक्ट को रफ्तार दी जाएगी

6000 करोड़ केंद्र सरकार वहन करेगी

5000 हजार करोड़ उत्तर प्रदेश सरकार लगाएगी

5000 करोड़ रुपए की लागत को विभिन्न स्रोतों के प्राप्त करेगी यूपी गवर्नमेंट

एक नजर में

5 अंडर ग्राउंड और 17 एलीवेटेड कुल 22 रैपिड स्टेशन होंगे दिल्ली-मेरठ कॉरीडोर में

गाजियाबाद में 4 स्टेशन्स के बीच 18 किमी में ट्रैक का निर्माण कार्य शुरू

2024 तक पूरा होगा प्रोजेक्ट

प्रोजेक्ट की खूबियां

160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार

100 किमी प्रति घंटा औसत स्पीड

60 मिनट से पहले पूरा होगा दिल्ली से मेरठ के बीच का सफर

चेयर कार के साथ-साथ मिलेगा एक्जीक्यूटिव क्लास

दिल्ली-मेरठ, दिल्ली-अलवर और दिल्ली-पानीपत, तीन कॉरीडोर बनेंगे

फायदे

58 प्रतिशत कम होगा सड़क से ट्रैफिक

13 हजार करोड़ रुपए बचेंगे वाहनों के ईधन पर

1 लाख निजी वाहनों का दवाब सड़क से होगा कम

दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल कॉरीडोर के बनने से मेरठ-एनसीआर का पॉलीसेंट्रिक डेवलेपमेंट होगा। यूपी गवर्नमेंट के निर्देश पर सभी विभाग शीर्ष प्राथमिकता में शामिल आरआरटीएस के निर्माण के संबंध में दी गई जिम्मेदारियों को पूरा कर रहे हैं। सर्वे कर डेपलेपमेंट की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है।

अनीता सी मेश्राम, कमिश्नर, मेरठ मंडल

Posted By: Inextlive