- चंपा देवी पार्क में चल रहे मोरारी बापू के श्रीरामकथा में हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालु

GORAKHPUR:

गोरखनाथ मंदिर व राम कथा प्रेम यज्ञ समिति के तत्वावधान में ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी के स्मृति में आयोजित नौ दिनों तक चलने वाली राम कथा के तीसरे दिन मंगल भवन अमंगल हारी परमसिद्ध, शिवावतार, परमयोगी बाबा गोरक्षनाथ का स्मरण करते हुए मोरारी बापू ने कहा कि मानस स्वयं जोगी ही नहीं जोगीराज है, योगेन्द्र है तथा परमतत्व राम है। नाथ सकल संपदा है, अर्थात नाथ सकल व शुद्ध और परिपूर्ण विचार है। साधारण शब्दों में जो हम सब जैसे अनाथों पर कृपा करके हम सबको सनाथ बना दे वही नाथ है, और वही योगी है।

मानस में कुछ भी अशुद्ध है ही नहीं

कथा को विस्तार देते हुए बापू ने कहा कि हमारे जीवन से सब कुछ चला जाए पर योगी न जाए, इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने बताया कि सुंदर कांड ह्दय है, लंका कांड मस्तक है और उत्तर कांड मां जानकी की दी हुई प्रज्ञा है। घट से मानस न जाए क्योंकि ये धड़कता हुआ ह्दय है। अगर हृदय का धड़कना बंद हुआ तो मानवता का अंत हो जाता है। बापू ने कहा कि मानस में कुछ भी अशुद्ध है ही नहीं, सब कुछ शुभ ही शुभ है। यदि मानस में राक्षस का वर्णन मिले तो वह भी शुद्ध है, क्योंकि राक्षस के 'र' का अर्थ राम है तथा 'स' का अर्थ सीता से है। अशुभ व राक्षस में हम राम व सीता तब देख सकते हैं, जब हमें 'क्ष' किरण अर्थात आध्यात्मिक दिव्य दृष्टि की अनुभूति हो गई हो।

कथा में आओ बिल्कुल प्रखर और चैतन्य होकर आओ

मोरारी बापू ने कहा मेरा युवाओं को निमंत्रण है कि कथा में जब भी आओ बिल्कुल प्रखर व चैतन्य हो कर आओ। ये अत्यंत अनमोल घड़ी है कही ये यूं ही बीत न जाए। उन्होंने गोरक्षनाथ के एक कथा के माध्यम से गुरु कृपा के अभाव में पड़ने वाले अकाल को समझाया। एक बार गुरु गोरक्षनाथ नेपाल नरेश के यहां पधारे। वहां किसी बात पर रूष्ट होकर वे समाधि पर बैठ गए, जिससे संसार में गुरु कृपा का अकाल पड़ गया। नेपाल नरेश उत्यंत चिंतित हो उठे और अपने पुरोहित से इसका समाधान पूछा। पुरोहित ने कहा कि यदि इनके गुरु मत्स्येन्द्रनाथ यहां आ जाए तभी इनकी समाधि समाप्त हो सकती है। जब गुरु मत्स्येन्द्रनाथ वहां पहुंचे तभी गोरक्षनाथ अपनी क्ख् वर्षो से चल रही समाधि को समाप्त कर उठ खड़े हुए। उन्हें महिमा का भान था। इस प्रकार समस्त संसार पर पुन: कृपा दृष्टि बरसने लगी और गुरु कृपा रूपी अकाल समाप्त हो गया।

कथा के अंत में बापू ने श्रद्धालुओं के प्रश्नों के दिए उत्तर

क्-संत कृपा और भगवत कृपा में क्या अंतर है?

उत्तर- भगवान निरंतन कृपा करते हैं, परन्तु जब संत की कृपा होती है तभी भगवत कृपा फलित होती है अर्थात पचती है।

ख्- अनुभव सबका अलग-अलग होता है अथवा एक ही होता?

उत्तर- अनुभव सबका अलग-अलग होता है परन्तु अनुभूति सबकी एक होती है।

फ्- देश का भविष्य कैसा नजर आ रहा है?

उत्तर- पूरा देश यह महसूस कर रहा है कि देश सही रास्ते पर विकास के पथ पर अग्रसर है।

ब्- बापू किसी ने आपका दिल तोड़ा है?

उत्तर- बापू बोले मुझे क्यों उकसाते हो मैं शान्ति से बैठा हूं। मेरे हृदय में परमात्मा का वास है। इसे कोई नहीं तोड़ सकता है।

भ्- छात्र ने पूछा बापू मैं विधि का छात्र हूं, लेकिन मेरा मन पढ़ाई में नहीं लगता आप ही बताओ मैं क्या करूं?

उत्तर- बापू ने कहा आप रामचरित मानस व पवित्र भगवत गीता का पाठ करो। आपकी समस्या का समाधान हो जाएगा।

राम कथा के प्रसाद से नहीं होता है मधुमेह रोग

कथा के बीच में कहा कि मुझे हर्ष है कि हजारों लोगो ने कल प्रसाद ग्रहण किया। उन्होंने व्यास पीठ से बताया कि राम कथा में पधारे श्रद्धालुओं के लिए आज पूड़ी, रोटी, जीरा-चावल, आलू-परवल (लटपट) दाल फ्राई व मिष्ठान आदि का प्रबंध है। आप सभी से निवेदन है कि प्रसाद ग्रहण करें। हास्य मुद्रा में बापू ने कहा। राम कथा के भंडारे की मिठाई ग्रहण करने से मधुमेह रोग नहीं होता है।

क्ख्000 लोगों ने ग्रहण किया प्रसाद

कथा के दौरान बापू ने गोरक्षनाथ धाम यात्रा व दर्शन के बारे में चर्चा की। बापू ने बताया कि म् अक्टूबर को गोरक्षधाम दर्शन को पहुंचा तो देखा कि क्या मुख्यमंत्री, क्या प्रशासक वहां योगी वेश में अल्हड़ बैठा एक फकीर। जो केवल देने की इच्छा रखता है। लेने की नहीं। कथा में लगभग भ्भ्000 श्रद्धालुओं ने बापू के मुखारविंद से बरस रही राम कथा का रसपान किया। लगभग क्ख्000 लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। कथा के अंत में मुख्य यजमान जालान परिवार, वाराणसी काशी विश्वनाथ के सतुआ बाबा ने आरती के बाद व्यासपीठ के पास उपस्थित होकर पूज्य बाबा से आशिर्वाद ग्रहण किया।

Posted By: Inextlive