GORAKHPUR: गोरखनाथ मंदिर व श्रीराम कथा प्रेम यज्ञ समिति के सहयोग में ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की स्मृति में आयोजित नौ दिवसीय राम कथा के छठवें दिन राम कथा मर्मज्ञ मोरीरी बापू ने 8ब् सिद्ध व नवनाथ धारा को व्यासपीठ से प्रणाम करते हुए कहा। राष्ट्र देवो भव: प्रेम देवा भव: और परस्पर देवा भव:

शाबर मंत्रों का है उल्लेख

उन्होंने बताया कि नाथ चरित्र में भी शाबर मंत्रों की श्रृंखला है और मानस में भी शाबर मंत्र का उल्लेख है। उन्हाेंने कहा कि शाबर का प्रतीक अर्थ होता है। ग्राम्य अथवा अपरिष्कृत। अत्यंत सरल भाषा में पाए जाने वाले सभी मंत्र शाबर की श्रेणी में आते हैं। शाबर मंत्रों का जन्म प्राय: सिद्ध साधकों द्वारा हुआ है। ये अंत करण से निकले मंत्र है। बापू ने कहा कि पूरी नाथ धारा ने शाबर मंत्रों को सिद्ध किया है। ये मंत्र केवल त्रिभुवन गुरु का प्रकाश देते हैं। इनमें कोई छन्दबद्धता नहीं है। इनका दिया प्रकाश ही छन्दबद्धता है। बापू ने कथा को विस्तारित करते हुए कहा कलयुग में मन, कर्म व वचन से लबार अर्थात विमुख होना ही शील भंग है।

वक्ता बने रहे विनम्र

उन्होंने श्रद्धालुओं की तरफ श्रद्धापूर्वक प्रणाम करते हुए कहा कि आपे सभी 'श्रद्धालु' हमें (मोरारी बापू) को आशीर्वाद दे कि हम वक्ता के लिए मानस में वर्णित पंचशील का निर्वहन कर सके। उन्होंने कहा कि वक्ता की भक्ति ऐसी होनी चाहिए कि भक्ति में साक्षात मां कौशल्या आ जाएं। हमें बहुकालिन वस्तु का अनुभव होने लगे। राम के साक्षात दर्शन होने के बाद भी हम 'वक्ता' विनम्र बने रहे। बापू ने इसके उपरांत श्रोताओं के लिए पंचशील सूत्र को बताते हुए हास्य रूप में कहा कि अब ख्0-ख्0 क्रिकेट के स्लांग ओवर में फ्री हीटींग का समय है।

वैष्णव नहीं हो सकते

पूज्य बापू ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को मानस से दीक्षित 'प्रवीण' व्यक्ति बताते हुए कहा। बापू प्रबुद्ध थे, वे स्वयं एक संत थे। महात्मा गांधी ने कहा था। कुछ धार्मिक व सामाजिक संस्थाएं धर्म के नाम पर धंधा कर रही है। ये वे संस्थाएं है जो वैष्णव नहीं है। आजादी के लड़ाई में ऐसे लोगों ने अंगेजो का साथ दिया था। ये कतई वैष्णव नहीं हो सकते। ये भारत माता के शत्रु है। बापू ने महात्मा गांधी के सम्मान में श्वैष्णव जन ता तेने कहिए अत्यंत लोक प्रिय भजन गा कर वैष्णव होने का अर्थ बताया।

ये स्थाई नहीं है

मर्मज्ञ बापू ने नौ दिवसी कथा के छठवे दिन वक्ता-श्रोता पंचशील सिद्धांत, लघु कथाओं के माध्यम से मानव स्वभाव, मानव आचरण, मानव प्रवृति, अंतकरण, अनुशासन, विवेकशीलता जैसे गुणों पर प्रकाश डालते हुए कहा सम्पन्न कुलीन लोगों को इस जीवन यात्रा में प्रारब्ध के कारण जो धन प्राप्त हुआ है। उसे मानव मात्र के सेवा में लगाना चाहिए। ये स्थायी नहीं है। इसलिए अधिक से अधिक दीन-दुखियों की सहायता में इसे लगाओं।

गुरुवर आपके अनुसार कौन है योगी

बापू ने बताया कि गोरखनाथ ने गुरू मत्स्येन्द्रनाथ से पूछा है गुरूवर आप के अनुसार योगी कौन है। गुरूवर ने कहा। योगी वो है, जो दूसरों के विष में कभी नहीं सोचता। योगी सदैव खुद के चिंतन में रहता है। भोगी लोग सदैव देसरों के चिंतन-प्रपच में डूबे रहते है। उन्हें खुद में कोई कभी नहीं दिखाई देती केवल अन्य लोगों में कमी नजर आती है। अगर आप मानते है कि आप में काई कमी नीं है तो ये आप की गलत प्रवृति है।

भीड़ का है विष

पुन: गोरखनाथ ने पूछ योगी कैसे बने। गुरूवर ने कहा योग पाना है तो कभी समेह अथवा भीड़ में मत रहना। अकेला होकर भजन करना। ये आंतरिक विषय है। भीड़ का विष नहीं है। भीड़ में केवल किर्तन संभव है। बापू ने इस प्रसंग के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को यशस्वी बताते हुए कहा कि हमारे लिए ये गर्व का विषय है कि प्रधानमंत्री ने यूनाइटेड नेशन जैसे पटल पर अपने भाषण में कहा कि। 'भारत ने जगत को बुद्ध दिया है। युद्ध नहीं' यह भारत की मूल धारा है।

तीस हजार लोगों ने किया रसपान

भजन के माध्यम से छठे दिन की कथा को विराम देते हुए श्रद्धालुओं से प्रसाद ग्रहण करने का निवेदन किया। उन्हेाने बताया कि कल लगभग ख्7000 लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। आज पांडाल में लगभग फ्0000 लोगों ने राम कथा का रसपान किया।

Posted By: Inextlive