- चंपा देवी पार्क में मोरारी बापू को सुनने के लिए लगा रहा भक्तों का तांता

GORAKHPUR: गोरखनाथ मंदिर व रामकथा प्रेम यज्ञ समिति की ओर से ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की स्मृति में चंपा देवी पार्क में आयोजित नौ दिवसीय रामकथा में मुख्य विषय 'मानस जोगी' के उद्घोष मंत्रोचारण के साथ दूसरे दिन की रामकथा का शुभारंभ मोरारी बापू ने बजरंग बली की मंगल स्तुति के साथ किया। 'मंगल भवन, अमंगल हारी, द्रवउ सो दशरथ अजिर बिहारी' चौपाई के साथ महायोगी भगवान भोलेनाथ के महायोगी रूप की स्तुति करते हुए उन्होंने कहा कि परम योगी महादेव के अवतार प्रभु गोरक्षनाथ भी अजन्मे हैं, जैसे की स्वयं भगवान शंकर हैं। इनका जन्म नहीं होता, ये समस्त ब्रम्हांड में अपने मूल रूप में विद्यमान हैं। आज गुरु गोरक्षनाथ के उत्पत्ति स्थल को लेकर विद्वानों में बड़ा विवाद है, किसी ने भगवान गोरक्षनाथ को इधर प्रकट किया तो किसी ने उधर प्रकट किया। परंतु सारे लोग उन्हें हृदय में प्रकट करना भूल गए।

'राम तथा भरत एक'

सात्विक एवं तात्विक चर्चा करते हुए मोरारी बापू ने कहा कि जिस प्रकार भक्त, भक्ति, भगवान और गुरु के नाम में भेद है, परंतु तत्वत: ये सभी एक ही हैं। वैसे ही मानस में प्रभु श्रीराम का नाम, राम की कथा, स्वयं भगवान राम तथा भरत एक ही हैं, केवल नाम में भेद है। जो कार्य प्रभु श्रीराम ने त्रेता युग में किया, वही कार्य हमारे लिए कलयुग में श्रीराम की कथा व राम का नाम कर रहा है। अत: ये कलयुग नहीं बल्कि कथा युग है।

रामायण की रूपरेखा का किया बखान

भारत जैसा चितंन कही नहीं हुआ, भारत जैसा सदग्रन्थ कहीं नहीं है। मोरारी बापू ने रामचरित मानस के बारे में भक्तों को बताया कि रामायण की रूपरेखा यहीं से शुरू होती है। धार्मिक दृष्टि से रामायण के बालकांड अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। बापू ने कथा के दौरान कहा कि हृदय में राम विराजमान हैं। कागभुसुण्ड़ी को तुलसीदास ने सुशील कहा था, क्योंकि कागभुसुण्ड़ी कथा व मंगलाचरण कर रहे थे तभी गरुड़ देव पधारे। कागभुसुण्ड़ी जी ने कथा बीच में छोड़ दी और गरुड़ देव का स्वागत किया, इससे उनकी सुशीलता का बोध होता है। मोरारी बापू ने कहा कि क्08 स्मृतियां हैं लेकिन ज्ञानी लोग चार को महत्व देते हैं।

'ऐसा योगी जो विश्व का करे कल्याण'

बापू ने कथा को विस्तार देते हुए कहा कि आज विश्व को एक ऐसे योगी की आवश्यकता है जो गुफाओं-कन्दराओं में बैठकर तपस्या न करता हो बल्कि सदाशिव हो और सदैव विश्व कल्याण करता हो।

गोरक्षनाथ की उत्पत्ति पर डाला प्रकाश

उन्होंने कथा के दौरान नाथ परंपरा और गोरक्षनाथ की उत्पत्ति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक गरीब ब्राह्मणी जिसके कोई पुत्र नहीं था, उसने गुरु मत्स्येन्द्रनाथ से प्रार्थना की कि हे प्रभु मुझे वरदान दें कि मुझे पुत्र की प्राप्ति हो। गुरु मत्स्येन्द्रनाथ ने ब्राह्मणी को अपने यज्ञ कुंड से भस्म निकाल कर दी और कहा कि तुम इसका सेवन करो, तुम्हें महादेव जैसा पुत्र प्राप्त होगा। परन्तु लोकलाज व निंदा के डर से ब्राह्मणी ने भस्म को अपने घर के समीप गोबर में समाहित कर दिया। गोरक्ष चरित्र में कहा गया है कि बारह वर्ष के उपरांत जब गुरु मत्स्येन्द्रनाथ ब्राह्मणी की कुटिया पर उसके पुत्र के दर्शन के लिए पधारे तो उन्हें देखकर ब्राह्मणी संकोच में पड़ गई। ब्राह्मणी से पुत्र के बारे में पूछने पर बताया कि लोक निंदा के कारण भस्मरूपी प्रसाद को मैंने गोबर के ढेर में फेंक दिया था। तब गुरु मत्स्येन्द्रनाथ ने गोबर के ढेर के पास जाकर आवाज दी तो बारह वर्ष के एक शिवयोगी उस ढेर से निकले। बारह वर्षो तक वह उस ढेर में जागते रहे क्योंकि परमार्थ के कार्य के लिए इस धरा पर उनका अवतरण हुआ।

पचास हजार श्रद्धालुओं ने सुनी कथा

चंपा देवी पार्क में रामकथा के दूसरे दिन लगभग भ्0000 श्रद्धालुओं ने सिद्ध मर्मज्ञ मोरारी बापू के मुखारविंद से बरस रही राम कथा का रसपान किया। लगभग 7000 श्रद्धालुओं ने इस अवसर पर प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर गोरखनाथ मंदिर और काशी विश्वनाथ वाराणसी के लगभग ख्भ्0 कार्यकर्ता व्यवस्था में लगे हुए थे। कथा स्थल पर पेयजल, टॉयलेट एवं पार्किग की समुचित व्यवस्था की गई है। साथ ही मेडिकल कैंप, गीता प्रेस का स्टॉल, बापू कथा डीवीडी, पेन ड्राइव स्टॉल, फायर ब्रिगेड, पुलिस चैकी की समुचित व्यवस्था है। आयोजन समिति के कार्यकर्ताओं ने बड़ी मुस्तैदी व फुर्ती के साथ आगंतुक श्रद्धालुओं की हर समस्या का समाधान किया। कथा के दौरान बच्चे, बूढ़े, जवान हर कोई मोरारी बापू के भजनों पर झूम उठा। त्योहारों की छुट्टियां होने के कारण बुजुर्गो के साथ-साथ बच्चों और युवाओं में काफी उत्साह देखने को मिला।

Posted By: Inextlive