Patna : मंगलवार दोपहर 2 बजे. आस्था का महापर्व छठ समाप्त हो चुका था. व्रती अपने-अपने घर जा चुके थे. लोग प्रसाद खा रहे थे. पर वह मनहूस गली अब भी मौत की कहानी बयां कर रही थी. बिखरे हुए चप्पल साडिय़ां कपड़े दउरा व अघ्र्य के तमाम समान उस 'जलजले' का गवाह थे जो सोमवार की शाम में आया था.


उनके लिए काल बन जाएगाअदालतगंज घाट की ओर जाने वाली गली में मची भगदड़ में दबने से 20 लोगों की मौत हो गई थी। गंगा घाट पर हर साल हजारों की संख्या में छठ व्रती भगवान सूर्य को अघ्र्य देते थे। सुख, समृद्धि और परिवार की खुशियां भगवान सूर्य से मांगते थे, पर किसे पता था कि जिस घाट पर वे अपने लिए खुशियां मांगने आए हैं, वही उनके लिए काल बन जाएगा। और फिर मौत का तांडव शुरू
सोमवार की शाम कुछ लोग अघ्र्य देकर लौट रहे थे, तो कुछ भगवान की पूजा कर ही रहे थे। कोई पीपा पुल क्रॉस कर अघ्र्य देने जा रहा था, तो कोई अदालत घाट की ओर से पीपा पुल पर चढऩे की कोशिश कर रहा था। अचानक से भीड़ बेकाबू हो गई और मौत का तांडव शुरू हो गया। आ रहे, जा रहे लोगों की भीड़ में उस संकरी गली में कुछ लोग दब गए, जो दबते चले गए और उठ नहीं सके। लगभग दो घंटे तक वहां हो-हंगामा होते रहा.  मौत की सीढ़ी के बाद मौत की गली


अदालतगंज घाट पर बहने वाली गंगा अब इस घाट को छोड़कर लगभग दो किलोमीटर उत्तर की ओर चली गई है। घाट के किनारे अब गंगा नहीं, शहर की नालियां बहती हैं। व्रती को गंगा नदी तक पहुंचाने के लिए प्रशासन की ओर से पीपा पुल बनवाया गया, लेकिन किसे पता था कि यह फैसिलिटीज ही लोगों के लिए मौत का कारण बन जाएगा। पीपा पुल समाप्त होते ही अदालतगंज घाट की सीढ़ी शुरू हो जाती है, जो बिल्कुल सीध में है। लोगों का हुजूम एक बार में सीढ़ी पर चढऩे की कोशिश करने लगा और दूसरी ओर गली की ओर से तमाम व्रती घाट की ओर आने लगे, तभी यह हादसा हुआ।Report by : Rinku Jha

Posted By: Inextlive