दुनिया के सारे दुख दर्द और तकलीफें जिनके चरणों की शरण लेते ही छूमंतर हो जाती हों। जिनके दर पर जाने से सारे सपने सारी मुरादें पूरी हो जाती हों। भगवान के दर पर जाते ही सारे रोग दूर हो जाते हैं। अगर उन पर कोई संकट आए तो क्‍या होगा। हम बात कर रहे हैं भगवान की। क्या आपने कभी सुना है कि भगवान बीमार हो गए हैं। शायद नहीं सुना होगा। पुरैना तालाब स्थित जगन्‍नाथ धाम मंदिर के कपाट इसलिए बंद कर दिए गए क्‍योंकि भगवान बीमार हो गए हैं।


बीमार है जगन्नाथ धाम के भगवानउदयपुर के पुरैना तालाब स्थित जगन्नाथ धाम मंदिर में भगवान बीमार हो गए है। उनके बीमार होने की खबर जंगल में आग की तरह फैली गई है। भगवान के बीमार होने के कारण कोई भक्त उनके दर्शन नहीं कर पा रहा है। दर्शन के लिए दूर-दूर से आ रहे श्रद्धालुओं को वापस लौटना पड़ रहा है। क्योंकि उन्हें खबर मिली है कि भगवान बीमार हैं। वे अपने लोगों को देखने में असमर्थ हैं। परंपरा के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ को 35 स्वर्ण घाटों पर महास्नान कराया गया। उसके बाद उन्हें सोने के सिंहासन पर बिठाकर आमरस का सेवन कराया गया। अमरस का सेवन करने के बाद से भगवान बीमार हैं। वैद्यराज ने भगवान की नब्ज देख बताया ज्वर


जगन्नाथ धाम मंदिर के पुजारी ने कहा कि भगवान बीमार हो गए हैं। वो औषधी सेवन कर रहे हैं। अभी वह पंद्रह दिन आराम करेंगे। भगवान की बीमारी का जायज़ा लेने के लिए हर दिन वैद्यराज आएंगे। पुरैना तालाब स्थित जगदीश स्वामी मंदिर के पुजारी पंडित नर्मदा प्रसाद गर्ग ने बताया कि भगवान जगन्नाथ स्वामी को सोमवार की सुबह से तेज ज्वर होने से वह शयन में लीन हो गए हैं। सोमवार को वैद्यराज को बुलाया गया और उन्होंने भगवान की नब्ज देखी तो तेज ज्वर बताया।एक परंपरा के चलते बीमार होते हैं भगवानयह जगन्नाथ धाम मंदिर में हर वर्ष मनाई जाने ये एक वाली परंपरा है। जो काफी समय से ओडिशा के पुरी में बने जगन्नाथ मंदिर में भी मनाई जाती है। इस परंपरा के चलते इस बार उदयपुर के जगन्नाथ भी बीमार हो गए। पुरी ऐसा मंदिर है जहां माना जाता है कि भगवान इंसान के रूप में रह रहे हैं। इसलिए लोगों पर लागू होने वाले प्राकृतिक नियम भगवान पर भी लागू होते हैं। वैद्य के बताए अनुसार अब भगवान को 15 दिनों तक आराम करना होगा। साथ ही हल्का भोजन दिया जाएगा। जिसमें मंगू की दाल, दलिया, खिचड़ी का भोग लगाया जाएगा। इसके साथ ही दवा के रूप में जड़ी-बूटी और काढ़ा बनाकर दिया जाएगा।जगन्नाथ यात्रा से पहले 15 दिन रहते हैं कपाट बंद

जगन्नाथ धाम के कपाट अब आषाढ़ शुक्ल यानी पांच जुलाई को खुलेंगे। इसके साथ ही उन्हें रथ पर उनके भाई-बहन सुभद्रा और बालभद्र के साथ घुमाया जाएगा। महाप्रभु जगन्नाथ की यह रस्म रथ यात्रा से संबंधित है। इसलिए 15 दिन पहले भगवान को बुखार होता है इसे अंसारा Anasara प्रथा कहा जाता है। जिसके चलते मंदिर का पट बंद किया जाता है। पुजारी के साथ मिलकर भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा भगवान का उपचार करते हैं। ऐसा जगन्नाथ के और मंदिरो में भी होता है। इनमें उदयपुर और ओडिशा के जगन्नाथ भी शामिल है।

Posted By: Prabha Punj Mishra