शुक्रवार को चातुर्मास लगने से शादी विवाह मुंडन कर्ण छेदन जैसे मांगलिक कार्य निषेध हो जाएंगे और उसके उपरांत आषाढ़ सावन भादो कुमार और आधा का एक का महीना पूजन पाठ व्रत उपवास और साधना का विशेष महत्व रहेगा...


चार महीनों में मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। अधिक से अधिक पूजन पाठ व्रत जप करने का विधान इन चार महीनों में शास्त्रों में बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु 4 महीने के लिए क्षीरसागर में योग निद्रा पर निवास करते हैं। इस दौरान ब्रह्मांड की सकारात्मक शक्तियों को बल पहुंचाने के लिए व्रत पूजन और अनुष्ठान का भारतीय संस्कृत में अत्याधिक महत्व है। सनातन धर्म में सबसे ज्यादा त्यौहार और उल्लास का समय भी यही है। चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु की पूजा होती है। इस समय वह छीर सागर में विश्राम करते हैं।


एक कालखंड में जिन लोगों की जन्म पत्रिका में केमद्रुम योग कालसर्प योग मांगलिक दोष है वह शनि और मंगल की बीज मंत्रों का उच्चारण करें। भारतीय परंपरा के इस खूबी को गहनता से समझने की जरूरत है चातुर्मास त्योहारों की पूरी क्रमवाली करके आता है। गुरु पूर्णिमा से लेकर के छठ पूजा तक सभी त्यौहार इन्हीं चार महीनों में पढ़ते हैं। चातुर्मास में देवताओं के सो जाने तक का मान्यता रखकर विवाह लग्न आदि की मांगलिक कार्य निषेध होते हैं। तो दूसरी ओर इसी बीच चातुर्मास में गुरु पूर्णिमा नाग पंचमी रक्षाबंधन कृष्ण जन्म करवा चौथ दशहरा दीपावली भैया दूज पूरी श्रद्धा व नियम बनाने का प्रावधान है।

12 जुलाई को देवशयनी एकादशी, जानें इस हफ्ते पड़ने वाले सभी व्रत त्योहारों के बारे मेंचातुर्मास बरसात का मौसम होता है। मौसम में सबसे ज्यादा बदलाव इन्हीं महीनों में होता है। गर्मी से बारिश और बारिश से फिर सर्दी का मौसम चातुर्मास में ही पड़ता है। इस मौसम में सूर्य की किरणें सीधी पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती जिसे देवताओं की शयन का प्रतीक माना जाता है। शरीर में भोजन पचाने की शक्ति कम हो जाती है। बारिश के कारण हानिकारक बैक्टीरिया भी पैदा हो जाती हैं। शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से शरीर आसानी से रोगी हो जाता है। यही वजह है कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए इस मौसम में तमाम नियम संयम व्रत बताए गए हैं। पंडित दीपक पांडेय

Posted By: Vandana Sharma