अब आपको रॉनी की नहीं सताएगी चिंता
- दिल खोलकर मनाइए छुट्टियां हॉस्टल में रहेगा आपका डॉगी
- सिटी में कई जगह चल रहा है डॉग केयर व हॉस्टल, सेहत के साथ डॉगी को मिलेगी पूरी सुरक्षा पिछले महीने प्रियंका सिंह अपनी फैमिली के साथ विदेश यात्रा पर निकल गई. जाने से पहले वह घर की चाभियां अपने एक रिश्तेदार को दे गईं. साथ ही अपने डॉग ब्रूनों को खाना-खिलाने की जिम्मेदारी भी उन्हें ही सौंप दी. रिश्तेदार शुरुआत के एक दो दिन तो उनके घर गए और ब्रूनों को खाना खिला आए, लेकिन उसी बीच रिश्तेदारों को भी किसी काम से बाहर जाना पड़ा और उस दिन ब्रूनों को भूखा सोना पड़ा. अगले दिन भी उसे खाना रात के समय मिला. इस तरह ब्रूनो का खाना कई दिन तक मिस हुआ. अंत में उसने खाना ही छोड़ दिया. इस बात की जानकारी जब प्रियंका को हुई तो उन्हें जल्दी-जल्दी वहां से लौटना पड़ा.डॉग केयर होम है ना
यह कहानी सिर्फ प्रियंका की नहीं बल्कि सिटी के उन तमाम लोगों से जुड़ी है जिन्होंने पेट्स पाल रखे हैं. जब कभी भी किसी को बाहर जाना होता है तो उसे सबसे पहले अपने पेट्स की चिंता सताती है. पर अब आपको अपने पेट्स को लेकर ज्यादा फिक्र करने की जरुरत नहीं है. क्योंकि स्मार्ट सिटी बनारस में अब आपके डॉगी की देखभाल करने का इंतजाम हो चुका है. यहां ऐसे डॉग केयर होम, क्रैच और हॉस्टल शुरू हो गए हैं जहां पेट्स को छोड़कर आप बाहर जा सकते हैं. यहां उनके रहने, खाने, पीने और अन्य डेली रूटीन का पूरा ख्याल रखा जा रहा है. फिलहाल शहर में लक्सा, महमूरगंज और भेलूपुर एरिया में डॉग केयर होम संचालित हो रहे हैं.
जांच के बाद लेते हैं पेट्स इन दिनों शहर में कई ऐसे डॉग केयर होम संचालित हो रहे हैं जहां लोग अपने पालतू पशुओं को रखकर बाहर जा रहे हैं. हालांकि इसके लिए मोटी रकम भी दी जा रही है. डॉग ट्रेनर्स की मानें तो हॉस्टल्स में पहले से मौजूद सभी पेट्स वैक्सीनेटेड होते हैं. लोगों के डॉग की प्रॉपर जांच-पड़ताल करके इन्हें यहां लिया जाता है. पहले पेट की डाइट के बारे में जाना जाता है फिर उनका रूटीन. जैसे उसे कितना घुमाना है, उसकी पसंद-नापसंद व मील टाइमिंग, जिससे उनकी देखभाल करने में आसानी हो. ऐसे होते हैं पेट्स एडजस्टहॉस्टल के नए माहौल को एडजस्ट कर पाना पेट्स के लिए कितना आसान होता है. यह सवाल आपके मन में जरुर आता होगा.अगर कभी हॉस्टल में पेट को छोडना पड़े भी तो इसमें बहुत ज्यादा परेशान होने की जरुरत नहीं है. जब भी कोई पेट किसी नई जगह जाता है तो उसे पहले एक दो दिन एडजस्ट करने में दिक्कत होती है, उसके बाद सब नॉर्मल हो जाता है. हॉस्टल में जाने वाले पेट्स के आसपास दूसरे पेट्स भी होते हैं. जिनमें घुल मिलकर वो रुटीन पर आ जाते हैं.
-------- क्या-क्या मिलती हैं सुविधाएं -दिन में दो टाइम सुबह शाम सैर कराना -दो वक्त का खाना दिया जाता है. खाने में पैडीग्री, दूध, बोनलेस चिकन मिलता है. -पेट्स को गर्मी में कूलिंग एरिया एवं सर्दी में गर्म एरिया के लिए अलग से पेट् हाउस दिया जाता है. -अगर पेट् बीमार भी हो जाए तो उसके लिए मेडिकल व डॉक्टर केयर दिया जाता है. -अगर किसी पेट् को कुछ विशेष सुविधा की जरूरत है तो उसकी भी व्यवस्था रहती है. इतना आता है खर्च -150 से 600 रूपए डेली है हॉस्टल का चार्ज -200 से 300 से ज्यादा सिर्फ किया जाता है खाने पर खर्च -कुछ केस में ब्रीड के मुताबिक खर्च कम ज्यादा आता है-पेट्स को अपनी जरूरत के मुताबिक हॉस्टल में छोड़ा जा सकता है. कुछ घंटे, एक से दो दिन, एक सप्ताह या फिर एक साल तक.
लोगों की समस्या का समाधान करने के लिए डॉग केयर होम की शुरुआत की गयी है. हॉस्टल में तमाम ऐसे लोग अपने डॉगी को छोड़ने आते हैं, जिन्हें जरुरी काम से घर से बाहर जाना होता है. फिक्स रेट को छोड़कर इनकी फीस इनके डाइट पर निर्भर है. -जैकी राइस, हॉस्टल संचालक