- डीजीसीए ने राहत कार्यो के लिए हेली सेवाओं पर लगाई थी रोक

- प्रदेश सरकार ने सैटरडे को डीजीसीए के सामने रखा पक्ष

DEHRADUN: प्रदेश में अब हेली सेवाओं के जरिये आपदा राहत कार्य सीधे डायरेक्ट जनरल सिविल एविएशन (डीजीसीए) की निगरानी में संचालित किए जाएंगे। बीते रोज डीजीसीए ने इन हवाई सेवाओं को निलंबित कर दिया था। इस पर प्रदेश सरकार ने सैटरडे को डीजीसीए के सामने अपना पक्ष रखा। इसके बाद डीजीसीए ने राहत कार्यो के लिए सशर्त हेली सेवा के संचालन की अनुमति प्रदान की है। डीजीसीए ने साफ किया है कि तब तक प्रदेश सरकार द्वारा हेली सेवाओं के संचालन को स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) नहीं बनाए जाते तब तक राहत कार्यो में हेली सेवाएं उनकी निगरानी में संचालित होगी।

दो हेलीकॉप्टर हो चुके हैं दुर्घटनाग्रस्त

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में राहत कार्यो के लिए हेली सेवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है। राहत कार्यो के दौरान दो हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। वेडनसडे 21 अगस्त को हुई दुर्घटना में हेलीकॉप्टर के पायलट और इंजीनियर स्टाफ समेत तीन लोगों की मौत हो गई थी। इस दुर्घटना के बाद डीजीसीए के एक दल ने मौका मुआयना कर कारणों की जांच की थी। वहीं, फ्राइडे को राहत कार्यो में लगे एक अन्य हेलीकॉप्टर को आपात लेंडिंग करनी पड़ी थी। इसमें पायलट को चोटें आई है। इस घटना के तुरंत बाद डीजीसीए ने राहत कार्यो के लिए हेली सेवाएं पर रोक लगा दी थी। इस पर सैटरडे को उत्तराखंड नागरिक उड्डयन प्राधिकरण और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों ने डीजीसीए जाकर सरकार द्वारा सुरक्षित हवाई सेवाओं के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी। इस पर डीजीसीए ने राहत कार्यो के लिए हेली सेवाओं के सशर्त संचालन को अनुमति प्रदान की। डीजीसीए ने साफ किया है कि आपदा राहत के लिए हवाई सेवाएं केवल डीजीसीए के फ्लाइट ऑपरेटिंग इंस्पेक्टर की सीधी निगरानी में ही संचालित की जाएंगी। सचिव नागरिक उड्डयन दिलीप जावलकर ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार भी आपदा राहत कार्यो में लगे पायलट की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। इसके लिए जल्द ही एसओपी बनाई जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हवाई मार्ग में किसी तरह की रुकावट न हो। इसके लिए मंडे को विभागीय अधिकारियों की बैठक बुलाई गई है।

Posted By: Inextlive