मुंबई के धारावी इलाके में एशिया की सबसे बड़ी झोपड़पट्टी है। आप को जानकर हैरानी होगी कि 22 लाख की आबादी वाली इस स्‍लम एरिया में 22 हजार छोटे और बड़े कारोबारी हैं। ये करोबारी कहीं रजिस्‍टर्ड तो नहीं हैं पर इनका भारत की अर्थव्‍यवस्‍था में छुपा हुआ योगदान है। यहां होने वाले कारोबार का सालाना टर्नओर 10 हजार करोड़ से भी अधिक है। आइए आप को बताते हैं कैसे फलता-फूलता है इस बस्‍ती में हजारों करोड़ रुपये का कारोबार।


अब अपराध नहीं यहां फलता-फूलता है करोबारधारावी में घुसते ही आप का स्वागत तो नहीं होगा पर यहां हकीकत, जिद और जीवटता से आप का सामना जरूर होगा। धारावी गैंगवार, भाईगिरी, अपराध की दुनिया है लेकिन अब यह धारणा बदल गई है। जिंदगी जीने की कला ने धारावी के मायने बदल दिए हैं। 1882 में ब्रिटिश राज के दौरान शहर की लेबर क्लास को रहने के लिए किफायती जगह देने के लिए धारावी को बसाया गया था। अब धारावी की गलियों में कारोबार फल-फूल रहा है। वो भी एक दो हजार करोड़ का नहीं पूरे 10 हजार करोड़ रुपये का। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस के सर्वे का तो यहीं कहना है। मतलब मोदी का मेक इन इंडिया यह की हर गली में बसता है वो भी वर्षो से।सिर्फ रिसाइक्लिंग कारोबार से जुड़े हैं चार लाख लोग


धारावी स्थित सनाउल्लाह कंपाउंड, बनवारी, नौरंग कंपाउंड यहां की मशहूर गलियां हैं। अफ्रीका के जंगलों की तरह धूप यहां भी जमीन नहीं छूती। सनाउल्लाह कंपाउंड की 300 वर्गफुट में बनी 20 फुट की पांच मंजिला झोपड़ी है। इस पांच मंजिल झोपड़ी की पहली मंजिल पर दुनिया की प्रतिष्ठित कंपनी किलर की डेनिम जिंस पैंट सिली जाती हैं। वहीं दूसरी मंजिल पर देशभर में सप्लाई होने वाली पटवार समाज की राखियां बनती हैं। तीसरी मंजिल जॉनसन एंड जॉसन कंपनी का स्टिचिंग थ्रेड बनता है, जिसकी सप्लाई देश के बड़े अस्पतालों में होती है। चौथी मंजिल पर गायतुंडे लेदर की बेल्टें बन रही हैं। पांचवी मंजिल पर मुंबई के बड़े बार और रेस्त्रां में भेजी जाने वाली नमकीन बनती है। धारावी में सिर्फ रिसाइक्लिंग के कारोबार से 4 लाख लोग अपने घरों की रोजी-रोटी चलाते हैं।400 से अधिक व्यापारी ई-कामर्स से जुड़े, हार्वर्ड कर चुका है रिसर्च

धारावी की इस विशालकाय बस्ती पर हार्वर्ड बिजिनेस स्कूल की ओर से रिसर्च भी हो चुकी है। रिसर्च बताती है कि धारावी बिना कोई लीगल हैसियत रखे देश की इकोनॉम को मजबूत कर रही है। धारावी में काम करने वाले 400 से अधिक कारोबारी प्रसिद्ध ई-कॉमर्स कंपनी स्नैपडील में रजिस्टर्ड हैं। स्नैपडील इसे हाईलाइट भी करता है। 62 साल के इमामुद्दीन अशरफी बताते हैं कि उनकी लेदर वर्कशॉप में 22 लोग काम करते हैं। अशरफी का लेदर कारोबार का सालाना टर्नओवर सात करोड़ से भी अधिक है। इस सेल का बड़ा हिस्सा स्नैपडील से आता है। धारावी के कुल व्यापारियों का 30 प्रतशित हिस्सा लगभग इतना ही सालाना टर्नओवर कमाता है। अशरफी जैसे कारोबारी देश के किसी आर्थिक दस्तावेज में शामिल न हों लेकिन यह छुपी हुई अर्थव्यवस्था लोगों को काम देकर उन्हें बेरोजगारी के श्राप से बचा रही है।बॉलीवुड का पहला आस्कर भी है धारावी की देनदुनियाभर में बॉलीवुड के नाम से मशहूर हिंदी सिनेमा उद्योग में भी धारावी की बड़ी भागीदारी है। फिल्मों में काम करने वाले सहायक कलाकार धारावी से हैं। आप को यह जानकार हैरानी होगी कि बॉलीवुड को पहला आस्कर दिलाने वाली स्टोरी और नायक दोनों ही धारावी के ही थे। भले ही इसका निर्देशन विदेशी निर्देशक डेनी बायल ने किया हो। भारतीय शेतकारी कामगार पक्ष के मुंबई महासचिव राजू कोरड़े कहते हैं कि धारावी इस बात का सबूत है कि यह मुंबई की लाइफलाइन हैं। चाहे फिल्म जगत हो या छोटे बड़े उद्योग धंधे सब धारावी पर ही निर्भर करते हैं।

Posted By: Prabha Punj Mishra