डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के दोनों सिरों को जोड़ने का प्रपोजल पिछले साल भर से लटका

अंडरपास या फुटओवरब्रिज बना मरीजों को राहत देने का प्रस्ताव शासन के पास

पूर्व सीएम व केंद्रीय मंत्री की मांग पर भी सुनवाई नहीं। मरीजों को होती है दिक्कत

BAREILLY:

सड़क के चलते बंट गए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के दोनों छोरों को जोड़ने की कवायद शुरू होते ही ठप पड़ गई है।

हॉस्पिटल को दोनों छोर को जोड़ने के लिए जिस अंडरपास के निर्माण का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। वह पास होने के इंतजार में ही लटका रह गया। हॉस्पिटल के मरीजों को राहत देने और सड़क पर जाम की स्थिति से बचने की मंशा से डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के दोनों छोरों को जोड़ने की जरुरत समझी गई थी। लेकिन साल भर पहले भेजे गए प्रस्ताव पर शुरुआती तेजी के बाद ब्रेक लग गए। प्रपोजल के बाद अंडरपास या फुटओवरब्रिज बनाए जाने से पहले फिजिबिलटी इंस्पेक्शन कराए जाने की तैयारी भी हुई, लेकिन फिर सारी कवायद ठंडी पड़ गई।

बसपा सरकार में भी उठी मांग

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के दोनों सिरों को जोड़ने के लिए केन्द्रीय मंत्री व बरेली सांसद संतोष कुमार गंगवार ने मांग उठाई थी। केन्द्रीय मंत्री ने हॉस्पिटल के एक कैंपस से दूसरे कैंपस तक जाने में मरीजों को दिक्कत होने की समस्या बताते हुए अंडरपास या फुट ओवरब्रिज बनाने की मांग की थी। जिसके बाद हॉस्पिटल प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग को इस संबंध में एक प्रपोजल बनाकर भेजा। हालांकि फरवरी 2008 में सीएम रही मायावती के हॉस्पिटल दौरे के बाद भी अंडरपास या फु टओवरब्रिज बनाए जाने के लिए प्रपोजल भेजा गया था। जिस पर सुनवाई नहीं हुई।

बना रहता है जाम

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल से होकर जाने वाली सड़क जबरदस्त एनक्रोचमेंट का शिकार है। नॉवेल्टी से लेकर कुतुबखाना तक सड़क के दोनों सिरों पर फेरी वालों का कब्जा है। ऐसे में हॉस्पिटल के दोनों छोर के मुहाने पर जाम की समस्या बनी रहती है। हॉस्पिटल के दूसरे सिरे पर ऑपरेशन थिएटर, सर्जिकल वार्ड, बर्न यूनिट, टीबी-एमडीआर वार्ड और आयुष विंग है। रोजाना सैंकड़ों मरीज व उनके तीमारदारों को 60 मीटर चौड़ी सड़क पर काबिज इसी जाम से जूझते हुए जाना पड़ता है। अंडरपास या फुटओवरब्रिज बनने से यह समस्या हमेशा के लिए हल हो जाती और मरीजों को राहत मिलती।

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हॉस्पिटल के दोनों सिरों को जोड़ने के लिए अंडरपास या फुटओवरब्रिज का प्रपोजल भेजा गया था। फिजिबिलिटी जांचने के लिए टीम को भी आना था। लेकिन फिर शासन से न तो कोई जवाब आया न ही कोई टीम। शासन को इसके लिए रिमांइडर भेजा जा रहा है। - डॉ। डीपी शर्मा, कंसल्टेंट एडवाइजर

Posted By: Inextlive