'इंजीनियर' फेल, मरीज रहे झेल
बेली हॉस्पिटल की डिजिटल एक्सरे मशीन हुई खराब, दिसंबर से नही हुआ एक भी चेस्ट एक्सरे
PRAYAGRAJ: बेली हॉस्पिटल की डिजिटल एक्सरे मशीन खराब हो चुकी है। इस मशीन से चेस्ट एक्सरे नही हो पा रहा है। सबसे अहम कि हॉस्पिटल प्रशासन की शिकायत करने के बावजूद मशीन की सप्लाई देने वाली कंपनी इसे ठीक नहीं करा पा रही है। सबसे ज्यादा होता है चेस्ट एक्सरे पांच साल पहले हॉस्पिटल में डिजिटल एक्सरे मशीन लगाई गई थी। डिजीटल एक्सरे कराने वालों से यहां कोई शुल्क वसूल नहीं किया जाता था प्राइवेट में इसी जांच के 400 से 500 रुपए लिए जाते हैं। दिसंबर से इस मशीन में चेस्ट यानी सीने का एक्सरे नही हो पा रहा है। मशीन की तकनीकी खराबी के चलते ऐसा हो रहा है। बेली हॉस्पिटल में दिन भर में सबसे ज्यादा चेस्ट एक्सरे के मरीज आते हैंइस हॉस्पिटल को मंडलीय अस्पताल का दर्जा प्राप्त है
यहां आसपास के जिलों से आने वाले मरीजों को निराश लौटना पड़ रहा है तो कंडम घोषित कर देगा हॉस्पिटलकंपनी का इंजीनियर अब तक मशीन बनाने के नाम पर चार से पांच विजिट कर चुका है। वह इसे दुरुस्त नहीं करा पाया। हास्पिटल प्रशासन का कहना है कि कंपनी लिखित में दे दे तो मशीन को कंडम घोषित कर सरकार से नई मशीन की डिमांड की जाए। कंपनी का इंजीनियर ऐसा कर नहीं रहा है तो मामला पेंडिंग है। सोर्सेज बताते हैं कि र्डिजिटल एक्सरे में खराब हुआ पार्ट स्पेन से आना है।
एसआरएन में लगता है मिनिमम चार्ज बेली हॉस्पिटल में डिजिटल एक्सरे फ्री आफ कास्ट है। एसआरएन हॉस्पिटल में इसका मिनिमम चार्ज वसूला जाता है। यही कारण है कि मरीज बेली में आकर अपनी जांच कराने में सहूलियत समझते हैं। चेस्ट एक्सरे कराने वाले अधिकतर मरीजों को टीबी के संदेह के चलते यह जांच लिखी जाती है। अक्टूबर से लेकर अप्रैल तक चेस्ट एक्सरे कराने वाले मरीजों की संख्या काफी अधिक होती है। शासन को और संबंधित कंपनी को जानकारी दे दी गई है। इंजीनियर्स का कहना है कि जल्द ही मशीन की मरम्मत कर देंगे। अगर ऐसा नही हुआ तो मरीजों के हित को देखते हुए आगे की कार्रवाई की जाएगी। -डॉ। सुषमा श्रीवास्तव, सीएमएस, बेली हॉस्पिटल