दुकानों की शोभा बढ़ा रही हैं स्वैप मशीनें
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ALLAHABAD: लोगों के व्यवहारिकता में बदलाव इतना आसान नही है। नोटबंदी के बावजूद जनता कैश लेन-देन को पसंद कर रही है। इसका सीधा सा उदाहरण दुकानों से स्वैप मशीन का गायब होना। अधिकतर दुकानों से यह मशीन गायब है या तो यूज नहीं की जा रही है। कुल मिलाकर सरकार का कैशलेस अभियान धड़ाम होने के कगार पर आ गया है।

चूना लगा रहा टीसी और रेंटल चार्ज
सरकार कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा तो दे रही है लेकिन बदले में हैवी चार्जेस भी ले रही है। स्वैप मशीन लगवाने पर दुकानदारों को पांच सौ रुपए तक प्रतिमाह किराया देना पड़ रहा है। इसके अलावा प्रति ट्रांजैक्शन दो फीसदी चार्ज भी देना पड़ता है। इससे उन्हें सीधे तौर पर नुकसान हो रहा है। यही कारण है कि अभी तक बैंक महज बीस फीसदी करेंट अकाउंट होल्डर्स को यह मशीन उपलब्ध करा सके हैं। नोटबंदी के समय पांच हजार मशीनों का ऑर्डर पेंडिंग था। लेकिन अब दुकानदार स्वैम मशीनें लेने को तैयार नहीं हैं।

पेटीएम पर है अधिक भरोसा
उधर ग्राहकों को पेटीएम पर अधिक भरोसा है। इसमें किसी तरह का चार्ज नहीं है। यहां तक कि खाते से पैसा भी ट्रांसफर कर सकते हैं। शहर में पेटीएम के लगभग 25 हजार ग्राहक मौजूद हैं। यह आंकड़ा जनसंख्या के लिहाज से कम है। कारण साफ है कि लोग अवेयर नहीं हैं। हालांकि, अब पेटीएम की ओर से केवाईसी की मांग भी की जाने लगी है। इसके चलते मार्च में कई खाते भी बंद कर देने से कैशलेस ट्रांजैक्शन करने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ा था। वहीं एटीएम में पैसा उपलब्ध हो जाने से लोग कैश पर अधिक निर्भर होने लगे हैं।

फैक्ट फाइल

20 से 30 फीसदी कुल स्वैप मशीन होल्डर दुकानदार

02 फीसदी प्रति ट्रांजैक्शन हैं ट्रांजैक्शन चार्जेस

400 से 500 रुपए प्रति माह है स्वैप मशीन रेंट

25000 के करीब शहर में पेटीएम होल्डर

02 से 05 फीसदी रोजाना स्वैप करने वाले ग्राहकों की संख्या

कॉलिंग

हम तो स्वैप मशीन रखे हुए हैं लेकिन ग्राहक तैयार नहीं होते। वह कैश में लेनदेन अधिक पसंद करते हैं। शहर का अधिकतर कस्टमर अपने खाते से लेनदेन से बचने की कोशिश करता है।

-रितेश अग्रवाल, व्यापारी

बैंकों की ओर से व्यापारियों से मनमानी चार्ज लिए जाते हैं। पहले स्वैप मशीन दे देते हैं और फिर कई तरह के चार्ज लगा दिए जाते हैं। इससे दुकानदार को नुकसान पहुंचता है।

-ओम प्रकाश, व्यापारी

देखा जाए तो ग्राहक हर सामान पर मोलभाव करते हैं। ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में हमें फायदा है। इसमे हमारा केवल एक से दो फीसदी कटता है और मोलभाव में अधिक नुकसान होता है।

-गनेश कीडिया, व्यापारी

लोगों में अवेयरनेस का अभाव है। यह लोग कैश में खरीदारी करना चाहते हैं। बैंक की वसूली से स्वैप मशीन फ्लॉप हो गई। पेटीएम बेहतर है लेकिन लोगों को इसकी अधिक जानकारी नही है।

-महेंद्र गोयल, व्यापारी

स्वच्छता अभियान

पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान की बात कहें तो फिलहाल अपने शहर में इसका कोई खास असर नहीं दिख रहा है। इसके लिए हर व्यक्ति को अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। तभी कोई बदलाव दिखेगा।

-अलीशा आब्दी

शहर में कई जगह पर कूड़े का ढेर अभी भी लगा रहता है। पीएम के अभियान को सबसे बड़ा चूना विभाग ही लगा रहे है। शहर में कई जगह कूड़ा घर बना है, लेकिन कूड़ा सही समय पर नहीं हटने से उसकी र्दुगंध हर तरफ फैलती है।

-गौरव श्रीवास्तव

शहर में अभी भी सफाई के लिए बहुत काम करने की जरूरत है। सिर्फ कहने और अभियान चलाकर उसे भूल जाने से कुछ नहीं होगा। शहर में जगह -जगह पर कूड़े का अंबर दिखता है।

-नीतू मौर्या

काफी हद तक काम हुआ है। अगर पहले से तुलना की जाए तो स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है। हालांकि इसमें अभी सुधार करने की बहुत गुंजाइस है। इसके लिए अभियान को बड़े स्तर पर चलाने और जनभागीदारी को जोड़ने की जरूरत है।

-विनीता सिंह

Posted By: Inextlive