- समय के साथ खुद को डिजिटली साउंड कर रही हैं मदर्स

- बच्चों से जुड़ी हर अपडेट है मौजूद, पैरेंटिंग में लेती है सोशल साइट्स की हेल्प

ALLAHABAD: जमाना काफी बदल गया है। बच्चों के खेल-खिलौने बदल गए हैं। मोबाइल, टैबलेट्स, वीडियो गेम्स, गूगल सर्च पर ही वो ज्यादा टाइम स्पेंड करते हैं। वर्चुअल फ्रेंड्स के बीच ही खुशी तलाशते हैं। ऐसे में मां की रिस्पांसिबिलिटी भी काफी बढ़ गई है। किचन तक सिमट कर रहने वाली मॉम्स भी अब डिजिटली साउंड हो गई हैं। उन्होंने पैरेंटिंग की कोई क्लास नहीं ली लेकिन बेस्ट पैरेंटिंग के हर पहलू से वाकिफ हैं। बच्चे के लिए शहर का कौन सा स्कूल बेस्ट है या फिर दूर रहने वाले अपनों से कैसे इंटरेक्ट किया जाए, इसकी बखूबी नॉलेज है मां को। जी हां, मदर्स डे पर हमारी कोशिश आपको उन मदर्स से रूबरू कराने की है, जिन्हें सही मायने में डिजिटल मॉम कहा जा सकता है।

पैरेंटिंग के लिए खुद को कर रहीं अपडेट

हैदराबाद में रहने वाली सुप्रिया इन दिनों राजापुर स्थित अपने मायके आई हुई हैं। उनके हसबैंड साफ्टवेयर इंजीनियर हैं। उनकी बड़ी बेटी सिद्धीका और छोटी बेटी सारा अभी छह माह की है। सुप्रिया खुद को डिजिटली रिच रखती हैं। उनका कहना है कि आज के युग में महिलाएं खुद को अपडेट कर रही हैं। खासतौर से बच्चों की परवरिश में किसी तरह की कमी नहीं छोड़ना चाहती हैं। बच्चों के जन्म से लेकर अगले कुछ सालों तक उनकी केयर बहुत सोच-समझकर करनी होती है। यही कारण है कि वह अपनी छोटी बेटी सारा की पैरेंटिंग के लिए इंटरनेट का बखूबी इस्तेमाल करती हैं। किस महीने में बच्चे की कितनी डाइट होनी चाहिए। उसे कौन सा फूड सप्लीमेंट देना है। कब कौन सा टीका लगवाना है। ठंड से लेकर गर्मी तक के मौसम में छोटे बच्चों को कौन सी बीमारी हो सकती है और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए। यह सभी इंटरनेट और चाइल्ड केयर साइट्स पर उपलब्ध हैं। सुप्रिया मानती हैं कि आज के जमाने में महिलाओं को समय के साथ चलना जरूरी है। खासतौर से छोटे बच्चों को स्पेशल केयर की जरूरत होती है। पुराने तौर-तरीके पर डिपेंडेंसी ठीक नहीं, बदलते वक्त के साथ महिलाओं का अपडेट रहना जरूरी है। देखा जाए तो इस जमाने की बहुत सी महिलाएं अपने बच्चों की बेहतरीन परवरिश के लिए इंटरनेट का सहारा ले रही हैं। इससे दो फायदे हैं। पहला यह कि जरूरी जानकारी आसानी से अवेलेबल हो जाती है और दूसरे छोटी-छोटी चीजों के लिए समय की बर्बादी नहीं होती है।

व्हाट्सएप के थ्रू मिलती है पल-पल की जानकारी

बेटी बड़ी हो गई है और दूसरे शहर में पढ़ने गई है तो उसकी चिंता होना लाजिमी है। हॉस्टल में रहती है, कब सोकर उठती है, क्लासेज ज्वॉइन की या नहीं, फ्रेंड्स उसके कैसे हैं, कहां घूमने जाती है। इसके अलावा और भी कई जानकारी होना जरूरी है। म्योर रोड की रहने वाली तमन्ना आहूजा कहती है कि कॉलेज गोइंग बच्चों के बारे में अपडेट लेने का मतलब यह नहीं कि पैरेंट्स उन पर शक करते हैं। हकीकत यह है कि हम उनकी केयर करते हैं। वह पढ़-लिखकर सक्सेज हों, इसके लिए उनको सही रास्ता दिखाना जरूरी है। उनकी बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है और छोटी बेटी शुभांगी लखनऊ के आईएचएम कॉलेज में होटल मैनेजमेंट में बीएससी कर रही है। अपने बुटीक बिजनेस के बीच तमन्ना बेटी की पल-पल की अपडेट लेती रहती हैं। यहां तक कि अगर बेटी कहीं घूमने जाती है तो व्हाट्सएप पर रिलेटेड प्लेस की पिक्स अपलोड करती है। ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर में क्या खाया है, यह भी बताती है। मां-बेटी एज ए फ्रेंड एक-दूसरे से हर चीज सोशल मीडिया के जरिए शेयर करती हैं। तमन्ना कहती हैं कि आज की मदर्स के लिए डिजिटली अपडेट रहना बेहद जरूरी है। यह समय की मांग है।

वीडियो कॉलिंग पर रोजाना होती है बात

गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड की वाइस चेयरमैन (एचआरर) अनीता गांगुली की बेटी अनामिका की शादी टीबी सप्रू रोड के रहने वाले डेंटिस्ट शोभित रस्तोगी से हुई है। अनीता मदर्स डे पर अपनी बेटी से मिलने यहां आई हैं। आई नेक्स्ट से बातचीत में उन्होंने कहा कि उनकी दो बेटियां हैं और दोनों की शादी हो चुकी है। वह खुद गुजरात के बडोदरा शहर में रहती हैं। दोनों बेटियों के सेटल हो जाने के बाद भी वह खुद को अकेला नहीं समझती हैं। कारण साफ है कि वह डिजिटली रिच हैं। उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना खूब आता है। दिन में कई बार वह स्काइप, व्हाट्सएप, फेसबुक आदि सोशल साइट्स के जरिए अपनी बेटियों का हालचाल लेती रहती हैं। उनसे अपनी बातें शेयर करती हैं। जरूरत पड़ने पर वीडियो कॉलिंग भी करती हैं। वह कहती है कि इस युग में टेक्नोलॉजी के बगैर रहना मुश्किल है। आप इसका यूज करके अपनों से दूर रहकर भी उनके साथ रह सकते हैं। इससे अकेलापन फील नहीं होता है। साथ ही अपने बच्चों की जरूरतों और तबियत से रूबरू भी होते रहते हैं। उनके मुताबिक आज की मदर्स केवल इंटरटेनमेंट ही नहीं, बल्कि अपनी रिस्पांसिबिलिटी पूरा करने के लिए भी सोशल मीडिया का सहारा ले रही हैं।

जरूरत की चीजें ऑनलाइन मंगा लेते हैं

पहले का समय और था जब बच्चे घर से बाहर होते थे तो मां को उनकी फिक्र होती थी। पता नहीं चलता था कि आखिर उनका बच्चा किस हाल में है। अगर किसी सामान की जरूरत होती थी तो पति का इंतजार होता था। लेकिन, अब मॉम्स इस टेंशन से दूर हैं। यह कहना है कि अशोक नगर की रहने वाली गुरमीत सचदेवा का। उनका एक बेटा और दो बेटियां हैं। वह कहती हैं कि ख्क्वीं सदी की मां अब काफी हद तक सेल्फ डिपेंडेंट हो चुकी है। अगर मुझे किसी चीज की जरूरत होती है तो वह मैं ऑनलाइन परचेज कर लेती हूं। इसके लिए मुझे किसी का इंतजार नहीं करना पड़ता है। बच्चे कॉलेज में हैं और उनसे कुछ शेयर करना है इंस्ट्रक्शन देना है तो यह सब सोशल मीडिया के जरिए पॉसिबल हो जाता है। बच्चे भी फटाफट रिप्लाई कर देते हैं। अगर स्कूल या कॉलेज बदलना होता है तो ऑनलाइन पूरी डिटेल मिल जाती है। इंफॉर्मेशन कलेक्ट करने के लिए दर-दर भटकना नहीं पड़ता है। सही मायनों में देखा जाए तो डिजिटल मां को पैरेंटिंग के लिए किसी पर डिपेंड होने की जरूरत नहीं है। टेक्नोलॉजी के जरिए वह अपने बच्चों की केयर कर सकती है।

किसी पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ती

राजापुर की रहने वाली दिव्या श्रीवास्तव की छोटी बेटी इरा तीन साल की हो चुकी है। उसके स्कूल जाने का टाइम नजदीक आ रहा है। ऐसे में एक मदर के लिए सिटी के बेस्ट स्कूल का सेलेक्शन करना कठिन काम होता है। फिलहाल, दिव्या इस जिम्मेदारी के लिए खुद को तैयार कर चुकी हैं। वह अपनी बेटी के लिए डिजिटली बेहतर स्कूल का चुनाव कर रही हैं। उन्हें पता है कि कौन सा स्कूल उनकी बेटी को बेहतर शिक्षा और इन्वॉयरमेंट प्रोवाइड करा सकता है। इसके लिए उन्हें किसी पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। इतना ही नहीं, वह अपने बच्चों के लिए जरूरी सामानों की परचेजिंग ऑनलाइन करने में इंट्रेस्ट रखती हैं। वह कहती है कि समय के साथ चलना आज की मदर्स के लिए जरूरी है। अगर आप डिजिटल युग में पिछड़ जाएंगे तो इसका असर सीधे तौर पर बच्चों पर पड़ेगा। आजकल के बच्चे टेक्नोसेवी होते हैं और वह उम्मीद करते हैं कि उनके पैरेंट्स भी अपडेट हों। दोनों पीढि़यों के बीच इस खाई क ो पैदा होने से रोकने के लिए मदर्स खुद को डिजिटली अपडेट कर रही हैं। देखा जाए तो केवल शहर ही नहीं, गांव और कस्बे की महिलाएं भी टेक्नोलॉजी के इस युग में पीछे नहीं रहना चाहती हैं। ऐसा करने से बच्चे और पैरेंट्स के बीच बेटर अंडस्टैंडिंग डेवलप होती है।

Posted By: Inextlive