- कैश लेन-देने में आई कमी

- कुछ समस्याएं भी है खड़ी

आगरा। देश से कालाधन खत्म करने की मुहिम को एक साल बुधवार को पूरा हो गया है। इस बीच नोटबंदी से फायदे और नुकसान पर व्यापार, उद्योगजगत के साथ बैंकिंग और जनता से बातचीत की गई। इसमें कैशलेश ट्रांजेक्शन पर भी फोकस किया गया। कहीं खुशी कहीं गम की स्थिति दिखी और व्यापारी जरूर जीएसटी पर आक्रोशित रहे।

पीएम ने देश से कालाधन खत्म करने के लिए पहला कदम 8 नवंबर 2016 को उठाया। उन्होंने 500 और 1000 के नोट चलन में बंद करने की घोषणा की। इन नोटबंदी के कारण हलचल पैदा हो गई। लोग महीनेभर तक नोट बदलने के लिए बैंकों में कतार लगाकर घंटों खड़े रहे। इस बीच कैशलेश सिस्टम पर जोर दिया गया और लोगों से डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने की बात कही गई। इसका असर हर क्षेत्र में पड़ा। आगरा में भी शू, पेठा, संगमरमर समेत कई अन्य का बड़ा व्यापार है। यहां बड़ी संख्या में सरकारी कर्मी के साथ अन्य रोजगारपरक कर्मी भी हैं। इनमें से अधिकांश लोगों का कहना है कि कैशलेस ट्रांजेक्शन का क्रेज बढ़ा है। एटीएम, पेटीएम समेत अन्य डिजिटल सिस्टम का रुपया लेन-देन में इस्तेमाल किया जा रहा है। इसे कई लोग अपनाने में अब भी परहेज कर रहे हैं। इससे लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। व्यापारियों को नोटबंदी से नहीं बल्कि जीएसटी की लागू दरें से परेशानी है। वे नोटबंदी को बेहतर बता रहे हैं, लेकिन जीएसटी को नुकसानदायक।

कई स्थानों पर नहीं सुविधा

नोटबंदी के बाद डिजिटल ट्रांजेक्शन पर जोर दिया गया। इसमें पेट्रोल पंप, शॉप समेत सभी प्रतिष्ठानों में एटीएम, क्रेडिट-डेबिट कार्ड समेत अन्य डिजिटल माध्यमों को अपनाने पर जोर दिया गया। अधिकांश व्यापारियों ने इसे अपना भी लिया है, लेकिन कई व्यापारी अभी-भी पुराने तौर तरीके से ही रुपया का लेनदेन कर रहे हैं। इससे उन ग्राहकों को परेशानी होती है, जो पूरी तरह से कैशलेस सिस्टम को अपना चुके हैं।

नोटबंदी में फायदा, जीएसटी में घाटा

शहर में शू उद्योग बड़ा व्यापार है। इसमें एक्सपोर्ट को मिलाकर लगभग 6 हजार करोड़ रुपया का व्यापार होता है। नोटबंदी के दौरान सेल डेढ़ गुणा बढ़ गई थी। ये उस दौरान के कैशमेमो साबित करते हैं। कैशलेस लेनदेन भी बढ़ा है। इससे नगदी लेन-देन से लेकर कई अन्य समस्याएं खत्म हो गईं। नोटबंदी जिस लिए की गई। उसका पूरा फायदा जरूर नहीं मिल पाया। निचले स्तर पर बैंक कर्मियों ने नोट बदलने में जमकर धांधली की। हां जीएसटी से शू व्यापार जरूर प्रभावित हो रहा है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है।

पेठा व्यापार में 30 फीसदी की कमी

पिछली दीपावली से इस बार व्यापार 30 फीसदी कम रहा। शहर में लगभग 150 करोड़ रुपया पेठा व्यापार होता था, जो सिमटकर लगभग 110 करोड़ रुपये में आ गया है। इसका सबसे बुरा असर किसान और मजदूर वर्ग को पड़ा है। पहले किसान का पेठे में इस्तेमाल होने वाला फल 12 से 15 रुपया किलो में बिकता था। वह अब 4 से 5 रुपया में आ गया है। खपत कम हो गई है। वहीं सीजन में पेठा बनाने वाली 500 यूनिट में भी कई बंद हो गई हैं। इससे मजदूरों में संकट आ गया है। इसका आभास सरकार को भी है। बाजार में वह रौनक नहीं रही।

रियल स्टेट में बूम

रियल स्टेट में नोटबंदी का अनुकूल असर पड़ा है। नोटबंदी के बाद लोगों ने अपना कर्जमाफ कर लिया। लोन का रुपया जमा कर दिया। ये रियल स्टेट को मजबूत कर गया। इसका असर भी देखने को मिल रहा है। यही वजह है कि फ्लैट और घरों के दामों में कमी आई है। आशियाना बनाने वालों का सपना पूरा हो रहा है। ऑन लाइन ट्रांजेक्शन से ग्राहकों का विश्वास भी बढ़ा है।

Posted By: Inextlive