आज भारत का बाजार डिजिटल क्रांति के मुहाने पर खड़ा है। कोरोना वायरस महामारी के दौरान सामाजिक व आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई है। इस दौरान डिजिटलीकरण और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। ऐसे में ई-काॅमर्स अपनाने वालों की तादाद तेजी से बढ़ी है।


आदर्श मेनन (सीनियर वाइज प्रेसिडेंट, फ्लिपकार्ट होलसेल)एक मशहूर कहावत है, 'पौधा लगाने का सबसे अच्छा समय 20 साल पहले था और दूसरा सबसे अच्छा समय अब है।' भारत का असंगठित बी2बी खुदरा बाजार डिजिटल क्रांति के मुहाने पर खड़ा है, वह इंतजार कर रहा है कि डिजिटलीकरण के बीज बोए जाएं और इस कवायद के फल किराना तथा एमएसएमई (सूक्ष्म-लघु-मध्यम उद्यम) को भी प्राप्त होंगे जो कि भारतीय खुदरा बाजार की रीढ़ हैं। कोविड-19 महामारी के बाद तो डिजिटलीकरण और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि इस वायरस ने दुनिया भर में सामाजिक व आर्थिक गतिविधियों पर असर किया है और आपूर्ति श्रृंखला पर गंभीर प्रभाव डाला है। ग्राहकों के बर्ताव में बहुत बदलाव आया है और ई-कॉमर्स को अपनाने वालों की तादाद तेजी से बढ़ी है। हम क्या खरीदते हैं, कैसे खरीदते हैं, कहां खरीदते हैं, क्यों खरीदते हैं, इन सभी पहलुओं पर ग्राहकों की आदतों में तेजी से परिवर्तन हो रहा है।खरीदारी करने के लिए सुरक्षित, आसान व सुविधाजनक तरीका
डिजिटल टेक्नोलॉजी और ई-कॉमर्स को लोगों ने बहुत तेजी से अपनाया है। महामारी से सबक लेते हुए यह खरीदारी करने के लिए सुरक्षित, आसान व सुविधाजनक तरीका बनकर उभरा है। इससे बी2बी रिटेल ईकोसिस्टम में भी आमूलचूल परिवर्तन आएगा, जिसका लाभ सभी स्टेकहोल्डर्स को निश्चित रूप से मिलेगा। पहला, आधुनिक डिजिटल बी2बी मार्केटप्लेस कई फायदे लेकर आया है। जैसे ज्यादा पारदर्शिता, ज्यादा बचत, कम स्टॉक-आउट्स, ज्यादा फिल-रेश्यो, विभिन्न प्रकार के उत्पादों की उपलब्धता और वह भी एक ही प्लेटफॉर्म पर। ये सभी परिचालन क्षमता व लाभदेयता बढ़ाते हैं और साथ ही यह भी सुनिश्चित करते हैं कि खुदरा कारोबार सुगमता से हो। दूसरा, जब ये सभी फायदे किराना और एमएसएमई तक पहुंचेंगे तो समाज में समावेशी विकास आएगा।कारोबार को स्टॉक चयन में डाटा के आधार पर तैयार सिफारिशों से मदद


किराना खुदरा कारोबार की रीढ़ है और हमारे देश में लगभग 1.30 करोड़ किराना कारोबारी हैं। डिजिटलीकरण की बदौलत किराना कारोबारियों की पहुंच बड़े पैमाने पर विभिन्न उत्पादों तक है और उन्हें स्टॉक चयन में डाटा के आधार पर तैयार सिफारिशों से मदद भी मिलती है। एक आधुनिक, डिजिटली सक्षम थोक विक्रेता कुछ ही समय में मार्केट इंटेलीजेंस और रुझानों पर अहम जानकारी प्राप्त कर सकता है जो विनिर्माता या रिटेलर तक पहुंचाई जा सकती है, परिणामस्वरूप वे सही उत्पादों की खरीद व बिक्री कर पाएंगे और इस प्रकार पूरा ईकोसिस्टम मजबूत होगा। तीसरा, एमएसएमई को भारत के विकास का इंजन कहा जाता है, किंतु यह क्षेत्र पर्याप्त धन की कमी से जूझ रहा है और इसके पास घरेलू व वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं तक पहुंच का भी अभाव है।एमएसएमई सेक्टर को भारत में आगे बढ़कर अपनाना होगा डिजिटलीकरणभारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा व सबसे तेजी से बढ़ता ई-कॉमर्स बाजार है, ऐसे में एमएसएमई सेक्टर को आगे बढ़कर डिजिटलीकरण को अपनाना होगा। ताकि वह अपनी वास्तविक क्षमता से काम कर सके और देश को वैश्विक मानचित्र पर स्थापित कर सके। सिस्को इंडिया द्वारा हाल ही में किए गए अध्ययन के अनुसार यदि लघु व मध्यम उद्योग टेक्नोलॉजी व डिजिटलीकरण को अपनाएं तो वे देश की जीडीपी में 158-216 अरब डॉलर तक की बढ़ोतरी कर सकते हैं।डिजिटलीकरण को अपनाने और उसका लाभ लेने के लिए तत्पर हैं लोग

थोक बिक्री का डिजिटल मॉडल और साथ में सर्वोत्तम टेक्नोलॉजी एवं नवाचार मिलकर इतनी क्षमता रखते हैं कि आपूर्ति श्रृंखला को बेहद मजबूत और काबिल बना दें। ये सभी कोशिशें भारत में डिजिटल फर्क को दूर करने में मददगार होंगी और हमें ज्यादा आत्मनिर्भर बनाएंगी। मैसूर से मेरठ तक और आगरा से राजामुंद्री तक छोटे शहरों ने ये दिखाया है कि वे डिजिटलीकरण को अपनाने और उसका लाभ लेने के लिए तत्पर हैं और उन्होंने महामारी के दौरान ई-कॉमर्स चैनलों का इस्तेमाल बढ़ाया है।
छोटे व मध्यम उद्यमों को इस अवसर का उठाना चाहिए पूरा फायदानवोन्मेष क्षमता के मामले में भारत की रैंक 130 देशों की सूची में 48वें नंबर पर है। बेशक, भारत का शुमार दुनिया के सबसे आकर्षक रिटेल डेस्टिनेशंस में होता है। ऐसे में भारत को बिल्कुल यह करना ही चाहिए कि वह बी2बी रिटेल ईकोसिस्टम का डिजिटलीकरण करे और उसके लाभ उठाए। आज पूरा विश्व एक वैश्विक बाजार का आकार ले रहा है, भारत के छोटे व मध्यम उद्यमों को इस अवसर का पूरा फायदा उठाना चाहिए और घरेलू व वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को पुख्ता बनाकर भारत निर्मित उत्पादों को दुनिया तक पहुंचाना चाहिए। वर्तमान वैश्विक स्थिति की वजह से टेक्नोलॉजी व डिजिटल माध्यम का जीवन के सभी क्षेत्रों में प्रसार हो रहा है। भारत में बी2बी रिटेल ईकोसिस्टम के लिए डिजिटल बदलाव का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता था। सही मायनों में देश को आत्मनिर्भर बनाने की चाबी इसी में छिपी है।

Posted By: Satyendra Kumar Singh