PATNA : ट्रेन में यात्रा के दौरान पैसेंजर्स को एसी कोच में कंबल, चादर, पिलो और तौलिया मिलता है। जो अक्सर गंदा ही रहता है। हाल ही में इस बात का खुलासा भी हुआ था कि भारतीय रेल में मिलने वाले कंबल ख्-ख् महीने तक नहीं धुलते। इस बेडरोल और कंबल को लेकर पैसेंजर्स ने रेलवे को इसकी काफी शिकायत भी की। पैसेंजर्स की ओर से यह फीडबैक भी दिया जाने लगा कि रेलवे द्वारा उपलब्ध कराए गए कंबल से लोगों को सबसे अधिक परेशानी होती है। जिसे लेकर रेलवे ने कई महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए थे। यात्रियों की सुविधा और कंफर्ट जर्नी को लेकर रेलवे ने एलान किया था कि अब पैसेंजर्स को बदबूदार और गंदे कंबलों से आजादी मिल जाएगी। रेलवे ने कंबलों को हर इस्तेमाल के बाद धोने का फैसला भी किया था। इसके साथ यह भी घोषणा हुई थी कि अब पैसेंजर को हल्के कंबल दिए जाएंगे। रेलवे में जो कंबल फिलहाल इस्तेमाल हो रहे हैं, उनकी जगह नरम कपड़े से बने नए डिजाइन के हल्के कंबलों का इस्तेमाल किया जाएगा। इन कंबलों व बेडरोल को हर इस्तेमाल के बाद धोया जा सकेगा। लेकिन, जब आई नेक्स्ट की टीम ने पटना जंक्शन पहुंचने वाली लंबी दूरी की कुछ ट्रेनों का स्कैन किया तो मामला कुछ और ही निकला।

बिना रैपर के ही दे दिया बेडरॉल

गाड़ी संख्या क्ब्0भ्म् ब्रहमपुत्र मेल दिल्ली से चलकर पटना जंक्शन होते हुए डिब्रूगढ़ को जाती है। गाड़ी के पटना जंक्शन पहुंचने पर आई नेक्स्ट की टीम ने एसी बोगियों का जायजा लिया और यात्रियों ने बातचीत की। इस दौरान कई यात्रियों ने शिकायत की कि उन्हें जो बेडरोल दिया गया है वो बिना रैपर में पैक किया हुआ था। वैसे यात्री जो कानपुर, मिर्जापुर, इलाहाबाद जैसे बीच के स्टेशनों पर बोर्ड किए थे उनका कहना था कि जो कंबल व बेडरोल उन्हें मिला है वो धुला हुआ नहीं था। शिकयत करने पर केबिन स्टाफ ने कोई कार्रवाई नहीं किया। लेकिन, इस बीच दिल्ली में बोर्ड किए यात्रियों ने यह कहा कि उन्हें कंबल और अन्य सामग्री साफ सुथरे मिले थे। ब्रहमपुत्र के पैसेंजर को सबसे अधिक शिकायत दिए गए कंबल से ही थी। यात्रा कर रहे एक यात्री ने कहा कि ट्रेनों में साफ और हल्के कंबल मिलेंगे यह तो सपना ही रह गया है।

बेडरोल ठीक कंबल से हो रही परेशानी

गाड़ी संख्या क्ख्फ्क्7 अकालतख्त एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय से लगभग घंटे भर लेट पटना जंक्शन पहुंची। सियालदह से चली इस ट्रेन के अधिकांश पैसेंजर्स को सबसे अधिक शिकायत कंबल से हो रही थी। लोगों ने कहा कि रेलवे में बदलाव तो दिख रहा है लेकिन, पैंट्री और बेडरोल के मामले में अभी बहुत कुछ बदलना बाकी है। कई यात्रियों ने कहा कि उनके कंबल बिना धुले हुए थे। बी थ्री बोगी में सफर कर रहे तारिक आलम को बरेली जाना है। तारिक ने कहा कि हमने गंदे व बदबू वाले कंबल को बदलने को भी कहा। लेकिन, स्टाफ अनसुना करते हुए आगे बढ़ गया।

यहां तो जनरल जैसा ही हाल है

भागलपुर से चलकर दिल्ली को जाने वाली बिक्रमशिला एक्सप्रेस के पैसेंजर सबसे बुरी स्थिति में नजर आए। अपने ही बर्थ पर बैठे पैसेंजर विदाउट टिकट वाले लग रहे थे। एसी थर्ड कोच में सफर कर रहे अनिल गुप्ता ट्रेन के रुकने के बाद राहत की सांस लेते हैं। गुप्ता कहते हैं कि लग ही नहीं रहा है कि हम एसी का किराया देकर सफर रहे हैं। उन्होने बताया कि भागलपुर के बाद से एसी और जनरल बोगियों का भेद मिटना शुरू हो जाता है। एसी और स्लीपर में वैसे पैसेंजर मिले जिनका टिकट ही वेटिंग रह गया था। इसके साथ ही लोकल यात्रा करने वाले पैसेंजर भी स्लीपर और एसी बॉगियों में सफर करते नजर आए।

इस तरह की शिकायत है। इसे दूर करने की दिशा में काम भी तेजी से चल रहा है। अबतक महीने में एक दिन ही कंबल धुलता था। अब कहा गया है कि कंबल के धोने की फ्रिक्वेंसी को बढ़ाया जाए। जल्द ही बेहतर बदलाव नजर आएंगे।

एके रजक, सीपीआरओ, ईसीआर

बीमार बना रहा कंबल

हाल ही में इस बात का खुलासा हुआ था कि भारतीय रेल में मिलने वाले कंबल ख्-ख् महीने तक नहीं धुलते। ऐसे में ट्रेन में मिलने वाले कंबलों से पैसेंजर्स को कई बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। डॉक्टर के अनुसार गंदा कंबल ओढ़ने चिकेनपॉक्स, टीवी, वायरल इंफेक्शन जैसी कई बीमारियां हो सकती हैं। साथ ही अस्थमा रोगियों के लिए तो यह बहुत ही नुकसानदेह हो सकता है।

मुझे बरेली जाना है। कंबल ऐसा दिया है कि इसे ओढ़कर तो बिल्कुल नहीं सो सकता। मैने तो इसे बेड डाल लिया है चादर की तरह।

- तारिक आलम

मुझे पंजाब जाना है रेलवे ने जो बेडरोल दिया है वो बिना रैपर का था। इसमें तो काफी डस्ट भी है। ऐसे गंदा कंबल ओढ़ने से हम बीमार हो जाएंगे।

- गौरप्रीत

मैं तो अपना चादर साथ लेकर ट्रैवल करता हूं। रेलवे का कम्बल ओढ़ने लायक नहंी होता है। बस केवल चादर और तकिया ही ठीक है।

- शुभम त्रिपाठी

ट्रेन में भीड़ इतनी अधिक थी कि पटना आने तक में कि अपनी ही सीट पर किसी तरह बैठकर आया हूं। एसी में भी धड़ल्ले से लोग घुसे जा रहे हैं।

- जीतेंद्र

एसी और जनरल में कोई अंतर ही नहीं रह गया है। इससे अच्छा तो स्लीपर में टिकट ले लिया होता।

- दिनेशलाल

Posted By: Inextlive