सभी अस्पतालों और हेल्थ सेंटर्स पर बनेगा काउंटर

अस्पतालों को मच्छरदानी लगाकर 10 बेड का वार्ड करना होगा तैयार

Meerut . मामूली बुखार को डेंगू- चिकनगुनिया बताकर प्राइवेट क्लीनिक में महंगे-महंगे टेस्ट से अब मरीजों को राहत मिल सकेगी. इसके तहत सभी सरकारी अस्पताल और हेल्थ सेंटर्स पर फीवर हेल्प डेस्क तैयार कराई जाएगी. ऐसे में मरीज पहले यहां आकर काउंसलिंग और इलाज ले सकता है. यहां मरीजों को डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया समेत अन्य सभी तरह के बुखार के बारे में जानकारी दी जाएगी. शासन ने इस संबंध में निर्देश दिए हैं.

ऐसे होगा काम

बारिश के सीजन में मच्छरों के प्रकोप और वैक्टर बॉर्न डिजीज के बढ़ते खतरे को देखते हुए शासन ने एडवाइजरी जारी की है. इसके तहत सरकारी अस्पतालों में फीवर हेल्प डेस्क को तत्काल एक्टिवेट कराया जाएगा. इस डेस्क पर अस्पताल प्रशासन ट्रेंड स्टाफ तैनात करेगा. मरीज के साथ आने वाले परिजनों को भी यहां पर बुखार से बचाव और एहतियात बरतने के बारे में पूरी जानकारी देंगे . स्टॉफ मरीज की जांच कर मरीज को संबंधित डाक्टर के पास भेजेगा. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार इस सीजन में वैक्टर बॉर्न डिजीज का खतरा बढ़ जाता है. जलभराव, गंदगी आदि की वजह से जिले में इसका खतरा बढ़ जाता है.

वार्ड किए जाएंगे सुरक्षित

वैक्टर बॉर्न डिजीज से बचाव के लिए अस्पतालों को पहले से वार्ड भी तैयार करने होंगे. इसके तहत 10 बेड को सुरक्षित किया जाएगा. इसके अलावा इन बेडों पर मच्छरदानी भी लगाई जाएगी. वहीं स्वास्थ्य विभाग की टीमें स्कूलों में भी बच्चों को जाकर अवेयर करेंगे. पैरेंट्स-टीचर मीटिंग में बच्चों को जानकारी दी जाएगी.

ये हैं डेंगू का लक्षण

- शरीर में दर्द,

- ठंड लगना, बुखार, भूख न लगना

- त्वचा पर चकत्ते, उल्टी, जी मिचलाना

- प्लेटलेट्स का कम हो जाना

यह मिले थे डेंगू के केस

2018-153

2017- 660

2016- 183

2015- 205

डेंगू से ऐसे करें बचाव

- हर तीन दिन बाद कूलर, बाल्टी, कंटेनर आदि का पानी बदलें.

- साफ पानी के बर्तन ढककर रखें

- पूरी आस्तीन के कपड़े पहने

- रात में सोने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें

- बुखार होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें

-इकट्ठे हुए पानी का निकलना संभव ना हो तो मिट्टी का तेल या ट्रैक्टर का जला हुआ काला तेल डाले.

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यह न करें

- नालियों, बर्तन, कूलर, टायर, गमलों में साफ पानी स्टोर न होने दें.

- घर के आसपास कूड़ा इकट्ठा न होने दें.

- छत और कबाड़े में रखे टायर, डब्बे, टूटे गिलास, टूटे मटकों को इकट्ठा न करके रखे.

- बिना डॉक्टरी परामर्श के किसी प्रकार की दवा न लें

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बरसात में वैक्टर बॉर्न डिजीज का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. मरीजों में इन बीमारियों को लेकर भ्रम न हो और जागरूकता बढ़े इसलिए सभी अस्पतालों का निर्देशित किया गया है.

डॉ. राजकुमार, सीएमओ, मेरठ.

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