- दो अरब रुपए खर्च होने के बाद भी रामगढ़ताल में गिर रहा गंदा पानी

- खुले नाले को रोकने में भी असफल साबित हुआ जल निगम

- ताल के किनारे बसे मोहल्लों की जल निकासी की नहीं हुई व्यवस्था

GORAKHPUR: रामगढ़ताल के सौंदर्यीकरण के लिए जल निगम की कछुआ चाल गोरखपुर के लिए अभिश्राप बनती जा रही है। जल निगम पिछले छह साल में रामगढ़ताल में शहर के गंदे पानी को रोकने के लिए दो अरब रुपए खर्च कर चुका है, लेकिन अभी भी रोज 30 से 40 एमएलडी (मिनियल लीटर डेली) गंदा पानी सीधे रामगढ़ताल में गिर रहा है। जल निगम की लापरवाही का देन है कि अभी तक गंदे पानी को रोकने का कोई उपाय नहीं किया जा रहा है।

घरों का 25 एमएलडी डेली गिर रहा गंदा पानी

2009 में रामगढ़ताल को साफ करने की योजना बनी और सबसे पहले एसटीपी का निर्माण किया गया। इसमें था कि रामगढ़ताल में गिरने वाले सभी नालों को जोड़ा जाए और उसका पानी एसटीपी में साफ हो और उसके बाद रामगढ़ताल में गिराया जाए। स्थिति यह है कि शहर के एक तिहाई हिस्से का पानी एसटीपी में साफ होकर गिर रहा है, लेकिन मोहद्दीपुर रामगढ़ताल के किनारे बसे मोहल्लों का 10 एमएलडी और कूड़ाघाट की तरफ से 15 एमएलडी डेली गंदा पानी रामगढ़ताल में गिर रहा है। इस पानी को भी रोकने के लिए योजना थी, लेकिन जल निगम की लापरवाही के कारण डेली गंदा पानी रामगढ़ताल में गिर रहा है। स्थिति यह है कि जिस तरफ रामगढ़ताल में पानी गिरता है, उस तरफ का पानी काला दिखता है। लोगों का कहना है कि अगर इस पानी को रोक दिया जाता तो रामगढ़ताल लगभग 99 प्रतिशत साफ हो जाता।

गेट तक लगाना भूल गए

कसया रोड को रामगढ़ताल दो हिस्सों में बांटता है। आरकेबीके के पास पुल बना है। इस पुल के पास गेट लगाकर जल निगम को रेलवे और हाइवे के पास के पानी को रोकना था। क्योंकि इस हिस्से में गोडधोइया नाला आकर मिलता है और इस एरिया में जलकुंभी भी बहुत अधिक है। यहां पर गेट लगाकर पानी रोकना था और अधिक पानी होने पर एसटीपी द्वारा ओवरफ्लो पानी को मेन ताल में गिराना था, लेकिन अभी तक केवल बालू भरा बोरा और टिन लगाकर पानी रोका गया है और जैसे ही पानी ओवरफ्लो होता है तो सीधे पानी रामगढ़ताल में गिरने लगाता है।

यहां से आता है इतना गंदा पानी

पैड़लेगंज से मोहद्दीपुर- 3.5 एमएलडी

मोहद्दीपुर से पुलिस चौकी से आरकेबीके तक- 6.5 एमएलडी

कूड़ाघाट की तरफ के नाले से- 15 एमएलडी

आरकेबीके के पास के गेट से- 5 एमएलडी (बारिश के समय यह 10 एमएलडी तक हो जाता है)

नोट- यह आंकड़े जल निगम के हैं।

वर्जन

रामगढ़ताल को विकसित कर गोरखपुर की एक अलग पहचान दिलाई जा सकती है, लेकिन प्रशासनिक अफसरों की लापरवाही के कारण स्थिति यह है कि रामगढ़ताल आज भी उसी हालत में है। हालांकि कुछ सुधार हुआ है, लेकिन जितनी उम्मीद थी, उतनी नहीं हुई है।

जर्नादन, व्यापारी

गोरखपुर वासियों के लिए रामगढ़ताल प्रकृति का वरदान है, लेकिन यहां के जिम्मेदाराें की लापरवाही की देन है कि आज भी रामगढ़ताल उसी हालत में है। कुछ बदल रहा है, लेकिन इस बदलवा से कहीं बहुत अधिक बदलाव की जरूरत है।

तेज प्रकाश यादव, सर्विसमैन

रामगढ़ताल को लेकर हम नहीं चेते तो जल्द ही यही ताल को खो देंगे और जिस दिन यह रामगढ़ताल समाप्त हो गया, गोरखपुर एक विरान खंड़ के रूप में हो जाएगा। इसलिए सभी को मिलकर रामगढ़ताल को बचाना चाहिए।

अमरदीप गुप्ता, सामाजिक कार्यकर्ता

गेट नहीं लगा है, उसके बाद कई जगह से गेट मंगाने के लिए संपर्क किया गया है। जल्द ही मोहद्दीपुर और पैडलेगंज वाले हिस्से में बांध बनाकर पानी रोक जाएगा।

रतनसेन सिंह, एसई, जल निगम

Posted By: Inextlive