- सीएमओ की रिपोर्ट में तीन पेयजल का नमूने मलयुक्त पाये गये

- टेस्ट में फेल हो 654 में 276 पेयजल के नमूने फेल

- अशुद्ध और मलयुक्त पेयजल संक्रामक रोग फैलने का खतरा

LUCKNOW: राजधानी के पेयजल व्यवस्था पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गये हैं। पहले से जल संस्थान डिमांड के बराबर सप्लाई न दे पाने से जलकल विभाग कठघरे में खड़ा होता रहा है, लेकिन इस बार अशुद्ध पेयजल सप्लाई होने पर विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। शहर में कई ऐसे इलाके में जहां दूषित और मलयुक्त पेयजल की सप्लाई हो रही है। यह दावा है किया है मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने। सीएमओ, नगर निगम और जल संस्थान की संयुक्त टीम ने पानी के नमूने की जांच की जिसमें यह चौंकाने वाला सच सामने आया। यहीं नहीं अशुद्ध पानी की सप्लाई से संक्रमक रोग फैलने की चेतावनी भी स्वास्थ्य विभाग ने दी है।

जांच में चौंकाने वाले आंकड़े

शहर में पानी की सप्लाई जल संस्थान करता है। पानी की शुद्धता के लिए हर दिन इसकी जांच कराई जाती है। जांच में मुख्य चिकित्सा अधिकारी, नगर निगम और जल संस्थान की संयुक्त टीम करती है। संयुक्त टीम ने इस वर्ष अप्रैल से लेकर जून तक पेयजल के कुल 654 नमूनों की जांच की। जिसमें 244 नमूनों में पानी में क्लोरीन नहीं पाई गई। जबकि 19 नमूनों को स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक लखनऊ रीजनल लैब संचारी रोग शाखा भेजा गया।

तीन नमूनों में मलयुक्त पानी

जांच रिपोर्ट में 10 नमूनों असंतोषजनक पाये गये जबकि 3 नमूनों में मलयुक्त दूषित पेयजल पाया गया। स्वास्थ्य विभाग ने इसकी सूचना जल संस्थान को भी दी, लेकिन जल संस्थान ने इस रिपोर्ट को नजरअंदाज कर दिया। जबकि हाल ही में राजाजीपुरम् और इंदिरा नगर इलाके में दूषित पेयजल को लेकर लोगों ने जमकर हंगामा किया और रोड पर प्रदर्शन तक किया। एक सप्ताह तक इन इलाकों में दूषित पानी की सप्लाई लगातार होती रही।

संक्रमक रोग फैलने की दी चेतावनी

स्वास्थ्य विभाग के लगातार सूचना देने के बाद भी जल संस्थान ने चुप्पी साध रखी है। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने दूषित पेयजल के सप्लाई की जानकारी प्रमुख सचिव नगर विकास, कमिश्नर, महानिदेशक चिकित्सा, निदेशक संचारी एवं वेक्टर जनित रोग, अपर निदेशक चिकित्सा, डीएम, नगर आयुक्त, जीएम जल संस्थान और नगर स्वास्थ्य अधिकारी को भी दी। सीएमओ ने अपने पत्र में साफ तौर पर चेतावनी दी है कि दूषित पेय जल सप्लाई के चलते संक्रामक रोग से बड़ी महामारी फैलने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि जल संस्थान ने अभी तक चुप्सी साधी हुई है।

- 654 पेयजल नमूनों की जांच अप्रैल से जून तक की गई

- 244 नमूनों में पेयजल में क्लोरीन नहीं पाई गई

- 19 नमूने रीजनल लैब संचारी रोग में भेजे गये

- 10 नमूने जांच के बाद असंतोष जनक पाये गये

- 03 नमूनों में मलयुक्त होने की रिपोर्ट मिली।

- 675 एमएलडी पेयजल की शहर में है डिमांड

- 568 एमएलडी पानी ही हो रहा है सप्लाई

Posted By: Inextlive