-दिव्यांग के नामों की एंट्री कई बार होने से अफसर हो गए कंफ्यूज रोक दी सभी की पेंशन

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PATNA : एक ओर राज्य सरकार दिव्यांगों को हर तरह की सुविधाएं देने की बात कह रही है वहीं दूसरी ओर बिहार के लगभग क् लाख दिव्यांग ऐसे है जिन्हें डेढ़ साल से पेंशन ही नहीं मिला है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब इस मामले को लेकर छानबीन की तो पता चला कि संबंधित विभाग की लापरवाही से दिव्यांगों को उनके अधिकार का पैसा नहीं मिल पा रहा है। दिव्यांगों की संस्था तोशियास के सचिव सौरभ कुमार की मानें तो दिव्यांग सामाजिक सुरक्षा पेंशन विभाग ने दिव्यांगों की नामों की गलत एंट्री कर दी है। इसके बाद वे कंफ्यूज गए और सभी की पेंशन रोक दी। इस पर दिव्यांगों का कहना है कि हमने पेंशन को लेकर अधिकारियों से कई बार शिकायत की, लेकिन किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। आज पढि़ए कहा फंसा है दिव्यांगों का पेंशन।

 

पहले हाथ में मिलता था कैश

दरअसल, इससे पहले पेंशन योजना के अंतर्गत दिव्यांगों के पासबुक में मैनुअल एंट्री कर हाथ में पैसा दे दिया जाता था। लेकिन अप्रैल ख्0क्म् से पेंशन देने की प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई। इसके बाद दिव्यांगों की परेशानी शुरू हो गई। विभागीय लापरवाही से कई दिव्यांगों का नाम सॉफ्टवेयर पर तीन से चार बार एंट्री हो गया है। इससे उनका कोड जनरेट नहीं हो पा रहा है जिससे उनके अकाउंट में पैसा ट्रांसफर किया जाता है। इसे लेकर विभाग भी स्वयं कंफ्यूज हो गया है कि एक ही नाम की एंट्री कई बार कैसे हो गई? ऐसे में विभाग ने करीब एक लाख दिव्यांगों की पेंशन ही रोक दी है।

 

पटना के दिव्यांग भी वंचित

पटना के हजारों दिव्यांगों को भी पेंशन नहीं मिल रहा है। अमित कुमार ने आई नेक्स्ट को बताया कि अंचल ऑफिस में मेरा डॉक्यूमेंट फंसा हुआ है। अफसर से पूछने पर

टालमटोल करते है। कंकड़बाग के उदय कुमार का कहना है कि पेंशन नहीं मिलने से परेशानी हो रही है।

 

वेरीफिकेशन में लापरवाही

शहरी क्षेत्रों में नगर निगम के अंचल ऑफिस से दिव्यांगों की जरूरी कागजातों के सत्यापन के बाद पासबुक में एंट्री के लिए क्ख् अंक का एक कोड जेनरेट होता है। उसी कोड के आधार पर उनके खाते में पैसा ट्रांसफर कर दिया जाता है। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों के दिव्यांगों का प्रमाण पत्र सत्यापन वार्ड सदस्य के अनुमोदन पर ब्लॉक अफसर करते हैं। ब्लॉक में जांच के बाद एक दिव्यांग का नाम कई जगह से एंट्री है। ऐसे में ब्लॉक अफसर कंन्फयूज हैं।

 

30 हजार खाते हो चुके हैं बंद

अकाउंट में पेंशन ट्रांसफर के लिए दिव्यांगों ने बैंकों में जीरो बैलेंस पर खाता खुलवा लिया था लेकिन डेढ़ साल से पैसा ट्रांसफर नहीं होने से बैंकों ने खाता बंद करना शुरू कर दिया। अब तक बिहार के फ्0 हजार खाते बंद हो चुके हैं।

 

सरकारी लापरवाही के चलते बिहार के एक लाख दिव्यांग पेंशन से वंचित हैं। इन दिव्यांगों का खाता भी बंद होना आरंभ हो गया है।

सौरभ कुमार, सचिव तोशियास संस्थान

 

एक साल से पेंशन नहीं मिला। इससे पहले पेंशन मिलता था। अंचल ऑफिस जब भी जाते हैं तो टालमटोल जवाब देकर वापस भेज दिया जाता है।

संतोष कुमार, दिव्यांग

 

मैं पैर से दिव्यांग हूं हर जगह नहीं जा सकता। पिछले डेढ़ साल से पेंशन नहीं मिला रहा है। दिव्यांगों के अधिकारों का हनन हो रहा है।

विकास कुमार,दिव्यांग

 

पेंशन नहीं मिलने का मुख्य कारण यह है कि कई दिव्यांगों ने ज्वॉइंट अकाउंट का डिटेल दिया है तो कई ने ऐसे अकाउंट दिए हैं जो बंद हो चुके हैं। रही बात सॉफ्टवेयर पर गलत एंट्री की तो मैं इसकी जांच करवाऊंगी। सरकार पर ऐसे आरोप-प्रत्यारोप लगते रहते हैं।

मंजू वर्मा, मंत्री, समाज कल्याण विभाग

Posted By: Inextlive