घिसट कर सरकारी भवनों की सीढि़यां चढ़ रहे दिव्यांग
RANCHI: पीएम मोदी दिव्यांगों को सम्मान व उनका हक दिलाने की बात करते हैं, वहीं सरकारी भवनों में उनके लिए रैंप तक की व्यवस्था नहीं है। जी हां, रांची स्थिति किसी भी सरकारी भवन में रैंप की व्यवस्था नहीं है। नतीजन, कार्यालयों में जाने के लिए दिव्यांगों को घिसट-घिसट कर सीढि़यां चढ़नी पड़ रही हैं। इतना ही नहीं, भवनों की लिफ्ट भी किसी काम की नहीं हैं, अधिकतर खराब ही रहती हैं। आईनेक्स्ट की टीम ने सोमवार को समाहरणालय व विकास भवन में रियलिटी चेक किया।
कभी नहीं खुला दिव्यांगों का गेटरांची के विजय प्रसाद का एक पैर कट गया है। वह कचहरी में ही कोई छोटा-मोटा काम करते हैं। कहते हैं कि हमेशा डीटीओ समेत अन्य सरकारी कार्यालयों में आना-जाना लगा रहता है। लेकिन, हमेशा घिसट-घिसट कर ही सीढि़यां चढ़नी पड़ रही हैं। उन्होंने बताया कि डीसी ऑफिस के लिए पीछे से रास्ता बना है, जहां से दिव्यांगों को आना-जाना है, लेकिन यह गेट बनने के बाद से कभी खुला ही नहीं। ये गेट खुले, तब तो राहत मिले।
महीने में ख्0 दिन लिफ्ट बंदविजय बताते हैं कि मैं हर दिन डीसी ऑफिस आता हूं। एक महीने में ख्0 दिन से अधिक लिफ्ट बंद पड़ी रहती है। मुझे जब तीसरे तल्ले पर स्थित परिवहन विभाग के ऑफिस में जाना पड़ता है, तो सीढ़ी चढ़ने उतरने में आधा घंटा लग जाता है।
विकास भवन मे तो सीढ़ी से जाना पड़ता है। नेपाल हाउस के पास रहने वाले नरेंद्र कुमार बताते हैं कि विकास भवन में तो लिफ्ट है ही नहीं। सीढ़ी से ही हमेशा आना-जाना पड़ रहा है। एक तो विकास भवन की सीढ़ी भी अंधेरी में हमेशा रहती है। ऊपर से हमलोग को घिसट-घिसट कर सीढ़ी चढ़ना-उतरना पड़ रहा है। जिला कार्यालय भी फर्स्ट फ्लोर पर डीसी ऑफिस में दिव्यांगों का जिला कल्याण कार्यालय फर्स्ट फ्लोर पर है। बी ब्लॉक के पहले तल्ले पर स्थित इस ऑफिस के लिए भी दिव्यांगों को सीढ़ी चढ़ना-उतरना पड़ रहा है। नरेंद्र कुमार बताते हैं कि एक तो हमलोगों को जहां दूसरे सरकारी विभागों में सीढि़यां चढ़कर जाना पड़ रहा है, वहीं, दिव्यांगों के लिए बने ऑफिस में भी जाने के लिए सीढ़ी ही चढ़ना है। ङ्खद्धड्डह्ल ह्यड्डब्ह्य ह्मह्वद्यद्ग भवनों में अनिवार्य है रैंप का निर्माणनियमानुसार, सभी सरकारी कार्यालयों में रैंप का निर्माण कराना जरूरी है, ताकि दिव्यांग को भवन में चढ़ने-उतरने में परेशानी न हो। केंद्र और राज्य सरकार की ओर से भवनों के निर्माण के साथ ही रैंप के लिए भी बजट जारी किया जाता है। लेकिन, रांची में नए भवन जो बने हैं, वहां भी अधिकतर में रैंप की व्यवस्था नहीं है।
बॉक्स भ्000 दिव्यांग हैं रांची जिले में दिव्यांगों के रांची जिला कल्याण कार्यालय में करीब भ्000 दिव्यांग रजिस्टर्ड हैं। इनमें भ्0 फ सदी से अधिक ऐसे दिव्यांग हैं, जो अपना काम कराने खुद कार्यालय जाते हैं। ऐसे में सेकेंड या थर्ड फ्लोर पर स्थित कार्यालयों में जाने के लिए दिव्यांगों को रैंप पर घिसटना पड़ रहा है। यहां तक कि डीसी ऑफिस में भी दिव्यांगों को दूसरी व तीसरी मंजिल पर चढ़ने के लिए रैंप उपलब्ध नहीं है। यही हाल जिला परिवहन विभाग व कल्याण विभाग का भी है। ये कार्यालय भी दूसरी मंजिल पर हैं, जहां दिव्यांगों के पहुंचने की कोई व्यवस्था नहीं है। वर्जन रांची में जो समाहरणालय बना है, वह पूरी तरह से डिजेबल फ्रेंडली नहीं बना है, बावजूद हमलोग लिफ्ट का प्रयोग उनके लिए प्रायोरिटी के तौर पर रखते हैं। विकलांग समिति की ओर से अगर कोई सुझाव आएगा कि दिक्कत हो रही है तो हमलोग जरूर उसको देखेंगे। मनोज कुमार, डीसी रांची