- 2011 में थे शहर में साढ़े दस हजार हैंडपंप

- इस बार गणना में निकले केवल साढ़े आठ हजार

mitendra.gupta@inext.co.in

Meerut। कुएं गायब हो गए। तालाब गायब हो गए। अब हैंडपंप भी गायब हो रहे हैं। पिछले पांच साल में शहर से दो हजार हैंडपंप गायब हो गए। कुछ का सामान कबाड़ में गया तो कुछ का सुराग भी नहीं मिला। कहते हैं कि चोरी हो गए, मगर एफआईआर नहीं हुई। जाहिर है कि जेब भरी गई। बड़ा घोटाला हो गया। पांच साल पहले शहर में साढ़े दस हजार हैंडपंप थे। इस बार गणना में केवल साढ़े आठ हजार हैंडपंप रह गए। आखिरकार कहां गए दो हजार हैंडपंप? नगर निगम के अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं है।

45 हजार का हैंडपंप

नगर निगम हर साल शहर में पानी की समस्या को ध्यान में रखते हुए हैंडपंप लगवाता है। देखभाल और रखरखाव के लिए हर साल इनकी गणना भी की जाती है। एक हैंडपंप को लगाने में लगभग 45 हजार रुपये का खर्च आता है। अगर दो हजार हैंडपंप गायब हैं तो ये नौ करोड़ रुपये का नुकसान है। अब सवाल ये है कि जनता का धन किसने हजम किया? इस घोटाले के लिए कौन जिम्मेदार है? हर साल गणना में हैंडपंप कम होते गए, लेकिन इसके बावजूद मेयर, पार्षद और अधिकारी चुप रहे।

आखिर गए कहां?

नगर निगम अधिकारियों की मानें तो शहर से अनेक हैंडपंप चोरी हो गए, जिनका खुलासा नंबरिंग के दौरान हुआ। यही नहीं कुछ हैंडपंप खराब भी हुए। उन्हें उखाड़कर स्टोर में रखवा लिया गया। बाद में सामान कबाड़ में बिक गया। अधिकारी यह तो मान रहे हैं कि हैंडपंप चोरी हो गए, लेकिन उनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि उन्होंने एफआईआर क्यों नहीं कराई।

2011- 10500 हैंडपंप

2016- 8490 हैंडपंप

एक हैंडपंप की लागत- 45 हजार

शहर में वार्ड - 80

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हैंडपंप की हर बार गणना कराई जाती है। उसमें ही पता चलता है कि कितने हैंडपंप लगे हुए हैं। हैंडपंप कम हुए हैं, लेकिन सभी की जानकारी है। कुछ हैंडपंप चोरी हो गए और कुछ खराब हो गए। उन्हें उखाड़ कर स्टोर में रख दिया गया है। उनके कुछ सामान प्रयोग में आ गए।

- संजीव रामचंद्र, महाप्रबंधक जलकल विभाग, नगर निगम

हैंडपंप क्यों कम हुए और इतनी बड़ी मात्रा में हैंडपंप गायब कैसे हुए, इसकी जांच कराई जाएगी। अधिकारियों को जवाब देना होगा। यह बहुत बड़ी लापहवाही है।

- हरिकांत अहलूवालिया, महापौर

Posted By: Inextlive