'पर्यावरण एवं जीव विज्ञान में शोध: वर्तमान परिदृश्य एवं भविष्य की चुनौतियां' विषय पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार का समापन

सेमिनार में वैज्ञानिकों ने आधुनिकीकरण से बिगड़ते पर्यावरण परिदृश्य पर जताई चिंता

देहरादून, सैटरडे को डीएवी पीजी कॉलेज में 'पर्यावरण एवं जीव विज्ञान में शोध: वर्तमान परिदृश्य एवं भविष्य की चुनौतियां' विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का समापन हुआ। सेमिनार में देशभर के वैज्ञानिकों ने आधुनिकीकरण से बिगड़ते पर्यावरण परिदृश्य पर चिंता जताई।

16 युवा वैज्ञानिकों ने पेश किए शोध पत्र

सैटरडे को भारतीय पर्यावरण विज्ञान परिषद और डीएवी पीजी कॉलेज जंतु विज्ञान विभाग की ओर से आयोजित सम्मेलन में कई वैज्ञानिकों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। इस मौके पर अवध विवि के प्रो। जीसी पांडे ने कहा कि अगर इसी तरह प्राकृतिक संसाधनों का दोहन होता रहा तो भविष्य में इसके परिणाम घातक होंगे। प्रो। विनिता शुक्ला ने मोबाइल से निकलने वाले रेडिएशन से होने वाले नुकसान की जानकारी दी। जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की वैज्ञानिक डॉ। अर्चना बहुगुणा ने विलुप्त होते जीवों की पहचान करने में मॉलीक्यूलर बायोलॉजी की भूमिका बताई। इस दौरान प्रो। नीरा कपूर, डॉ। मोहम्मद युसुफ, डॉ। ज्योति वोहरा समेत 16 युवा वैज्ञानिकों ने शोध पत्र प्रस्तुत किए। 18 युवा वैज्ञानिकों ने पोस्टर के माध्यम से अपने शोध प्रस्तुत किए। सम्मेलन में कानपुर विवि की कुलपति प्रो। नीलिमा गुप्ता, डीएवी प्राचार्य डॉ। अजय सक्सेना, हिमालयन ड्रग निदेशक डॉ। फारुख, डॉ। शशि किरण सोलंकी, डॉ। विवेक त्यागी, डॉ। राखी उपाध्याय, प्रो। बीडी जोशी, प्रो। पीसी जोशी, डॉ। पीके शर्मा, प्रो। बीएन पांडे, प्रो। एसपी त्रिवेदी आदि मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive