-आरबीएएसके टीम को मिली जिम्मेदारी

-शनिवार टीम को दी गई ट्रेनिंग

GORAKHPUR: राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत काम करने वाली जनपद की फ्8 मेडिकल टीम अब बच्चों में ब्ब् तरह की बीमारियां सर्च करेगी। टीम स्क्रीनिंग कर बाल मरीजों का इलाज कराएंगी। इसमें छह नई बीमारियों को ढूंढने और इलाज करवाने के लिए टीम के सभी मेंबर्स को दो अलग-अलग बैच में प्रेरणा-श्री सभागार में ट्रेनिंग दी गई। ट्रेनिंग प्रोग्राम की अध्यक्षता कर रहे सीएमओ डॉ। श्रीकांत तिवारी ने बताया कि फिलहाल फ्8 बीमारियों को चिह्नित कर बीमार बच्चों का इलाज करवाया जाता है। सीएमओ ने बताया कि योजना से जुड़ी टीम क्8 साल तक के एज ग्रुप के बच्चों में इन बीमारियों की स्क्रिनिंग करती हैं और अफेक्टेड बच्चों का इलाज कराती हैं।

क्ब्7 बच्चों की कराई सर्जरी

आरबीएसके के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ। नंद कुमार ने बताया कि आरबीएसके योजना के तहत बच्चों को जांच, दवा और इलाज की सभी फैसिलिटी फ्री ऑफ कॉस्ट दी जाती है। उन्होंने बताया कि फायनेंशियल ईयर ख्0क्8-ख्0क्9 में स्कीम के तहत म् हफ्ते से तीन साल तक के भ्8,क्ख्8 जबकि फ् साल से म् साल तक के क्,08,ब्ब्भ् और म् साल से क्8 साल तक के ख्,क्म्,फ्89 बच्चों की स्क्रीनिंग की गई। इनमें से क्ब्7 बच्चों की अगल-अलग तरह की सर्जरी कराई गई। जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ। एके प्रसाद व उनकी टीम के डॉ। भोला गुप्ता व मो। आसिफ ने जबकि जिला क्षय रोग विभाग से उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ। विराट स्वरूप व उनकी टीम के डॉ। सुनील, धर्मवीर प्रताप सिंह और एएन मिश्रा ने आरबीएसके टीम को प्रशिक्षित किया।

इन बीमारियों का हो रहा है इलाज

आरबीएसके की डीईआईसी मैनेजर डा। अर्चना ने बताया कि योजना के तहत न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट, डाउन सिंड्रोम, क्लफ्ट लीफ एंड पैलेट, क्लब फुट, डेवलपमेंट डिस्प्लेजिया ऑफ हिप, कंजेनाइटल कट्रैक्ट, कंजेनाइटल डीफनेस, कंजेनाइटल हार्ट डिजीज, रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमेच्योरिटी, एनीमिया, विटामिन-ए की कमी, रिकेट्स, अति कुपोषण, घेंघा, चर्म रोग, ओटाइटिस मीडिया, रुमैटिक हार्ट डिजीज, रिएक्टिव एयरवे, डेंटल कंडीशन, कंवर्जन डिसआर्डर, विजन इंपेरिमेंट, हियरिंग इंपेरिमेंट, न्यूरोमोटर इंपेरिमेंट, मोटर डिले, कांग्नीटिव डिले, स्पीच एंड लैंग्वेज डिले, विहैबियर डिसआर्डर, लर्निंग डिसआर्डर, अटेंशन डिफीसीट हाइपर एक्टिविटी डिसआर्डर, ग्रोइंग अप कंसर्न, सबस्टेंस एब्यूज, फील डिप्रैस्ड, किशोरियों के मासिक धर्म में देरी, मासिक धर्म के दौरान पेशाब में जलन, मासिक धर्म के दौरान दर्द, पानी आना व बच्चों और किशोरों की अन्य बीमारियों को चिन्हित कर उसका इलाज किया जाता है।

Posted By: Inextlive