बड़े घोटाले में फंस सकते हैं लाल ब्रदर्स!
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अधिग्रहण कानून को ताक पर रख कर बदला जमीन का मालिकाना हक एसडीएम के जांच रिपोर्ट से हुआ खुलासा, 500 बीघे से ज्यादा जमीन की हेराफेरी आई सामने vikash.gupta@inext.co.in ALLAHABAD: एसडीएम की जांच रिपोर्ट से जो संकेत मिले हैं वह शुआट्स के कर्ताधर्ता रहे 'लाल ब्रदर्स' को भूमाफिया स्थापित कर सकता है। इसके साथ जो अन्य तथ्य जुड़े हुए हैं वह इनके खिलाफ प्रस्तावित कानून यूपीकोका लगाने के लिए पर्याप्त हो सकता है। एग्रीकल्चर इंस्ट्यूट के नाम दर्ज जमीन को एक संस्था के नाम ट्रांसफर होना तो गलत था ही, इसकी बिक्री ने तीनो भाइयों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के हाथ लगी एसडीएम करछना राजा गणपति आर की जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। तथ्यहीन व सत्यता से परे भेजा जवाबएसडीएम ने अपनी जांच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा है कि एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट और उसके पदाधिकारियों द्वारा व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार और अपने पद का दुरुपयोग किया गया है। इसमें ग्राम डांडी, महेवा पूरब पट्टी उपरहार, कछार, इन्दलपुर, अभयचन्दपुर, जहांगीराबाद, काजीपुर, डभाव ग्राम की जमीनो का सघन अभिलेखीय परीक्षण लेखपालों की टीम बनाकर करवाया गया था। कहा गया है कि जांच के बाद प्रो। आरबी लाल से इसपर जवाब मांगा गया तो उन्होंने जो जवाब भेजा, वह तथ्यहीन और सत्यता से परे था। एसडीएम को यह जवाब 24 नवम्बर 2017 को प्राप्त हुआ था।
500 बीघा जमीन पर गंभीर सवाल एसडीएम की तरफ से डीएम को भेजी गयी जांच रिपोर्ट में तकरीबन 500 बीघा जमीन का मालिकाना हक बिना सरकार की अनुमति के बदल देने की पुष्टि की गयी है। यह बड़े स्तर पर हुये घोटाले की ओर संकेत करता है। उन्होंने भूमि पर कब्जा करने, एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट की जमीन को बेचने, अधिग्रहित भूमि का स्वरूप बदलने के लिये एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट के पदाधिकारियों एवं एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट सोसाइटी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की संस्तुति की है। इसीसी से एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट की शुरूआत एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट की स्थापना इलाहाबाद क्रिश्चियन कॉलेज (वर्तमान में इविंग क्रिश्चियन कॉलेज) के कृषि विभाग के रूप में हुयी थी। इविंग क्रिश्चियन कॉलेज को नार्थ इंडिया मिशन ऑफ द प्रिंस ब्रिटेरियन चर्च इन द यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका द्वारा स्थापित किया गया था। यह कंपनी रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1882 के तहत पंजीकृत था 1911 में सरकार द्वारा 200.53 एकड़ भूमि मौजा महेवा पूरब पट्टी उपरहार तथा कछार परगना अरैल तहसील करछना में भूमि अध्याप्ति अधिनियम 1894 के तहत अधिग्रहित किया गया।इसका मालिकाना हक नार्थ इंडिया मिशन ऑफ द प्रिंस ब्रिटेरियन चर्च इन द यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका को प्रदान किया गया
इसके लिये एक अनुबंध सरकार की तरफ से तत्कालीन सेक्रेटरी निवासी जमुना मिशन कम्पाउंड के साथ 15 अक्टूबर 1911 को किया गया। 04 मई 1914 को भी सरकार द्वारा 53.275 एकड़ भूमि मौजा इंदलपुर में, दो बीघा एक बिस्वा मौजा अभयचंदपुर में, 02 बीघा 09बिस्वा मौजा डांडी में तथा 75.5 बीघा भूमि मौजा महेवा का मालिकाना हक नार्थ इंडिया मिशन को प्रदान किया गया। राजस्व अभिलेखों में अधिकृत भूमि पर कास्तकार के रूप में एग्रीकल्चर कॉलेज डिपार्टमेंट ऑफ इसीसी निवासी जमुना मिशन कम्पाउंड प्रबंधक सैम हिग्गिनबाटम प्रिंसिपल एग्रीकल्चर कॉलेज दर्ज है 1947 में बना डाला स्वतंत्र बोर्ड एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट से प्राप्त जवाब से यह स्पष्ट हुआ है कि वर्ष 1947 में एक स्वतंत्र बोर्ड का गठन एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट द्वारा द बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट के नाम से किया गया। ऐसा प्रतीत होता है कि तत्कालीन इसीसी और एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट के प्रबंधन की मिलीभगत से इस काम को अंजाम दिया गया।वर्ष 1950 में अपने संचालन हेतु एक सोसाइटी का पंजीयन द बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट के नाम से सोसाइटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1860 के तहत 25 अगस्त 1950 को कराया गया।
इसके बाद से राजस्व अभिलेखों में सभी भूमि पर वर्ष 1950 से पंजीकृत हुई सोसाइटी का नाम अभिलेखों में पाया जाने लगा। जो कि बहुत ही बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। अधिग्रहण कानून के तहत जिस कंपनी या निकाय हेतु भूमि का अधिग्रहण किया गया राजस्व अभिलेखों में उसी का मालिकाना हक दर्ज होना चाहिये नियमानुसार यदि कंपनी का स्वत्व या अस्तित्व समाप्त हो जाता है तो भूमि सरकार के हक में वापस हो जानी चाहिये। हक या उपयोग बदलता है तो इसके लिये भी सरकार की अनुमति नितांत आवश्यक है। हक बदला ही जमीन भी बेच डाली कंपनी अधिनियम 1882 के तहत पंजीकृत कंपनी के लिये अधिकृत/अनुदानित भूमि को किसी डिपार्टमेंट द्वारा सोसाइटी गठित करके बिना सरकार की अनुमति के लगभग 500 बीघा भूमि का मालिकाना हक बदल दिया गया। यह बहुत ही बड़े स्तर पर हुए भूमि घोटाले की ओर इशारा करता है एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट के पदाधिकारियों ने अधिग्रहित भूमि के साथ कंपनी द्वारा खरीदी गई भूमि को भी अपने हक में करके समय समय पर बेच डाला।मौजा काजीपुर परगना अरैल की 3.5 बीघा भूमि जो न तो एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट द्वारा खरीदी गई और न ही पूर्व के राजस्व अभिलेखों में इनका नाम दर्ज है। अचानक से इस भूमि पर एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट का नाम दर्ज हो गया।
इसपर वर्तमान में कुलपति प्रो। आरबी लाल की पत्नी सुधा लाल ने पीजी कॉलेज खोलकर अवैध कब्जा किया है। इस भूमि पर कब्जे के संबंध में सिविल के मुकदमें और राजस्व न्यायालय में अलग अलग जानकारियां देते हुये फर्जी प्रपत्र लगाये गये हैं।