DEHRADUN : आपदा पीडि़तों के मुद्दों को मंच प्रदान करने के लिए उत्तराखंड जन कारवां मंच व अन्य सामाजिक संगठनों द्वारा क्र'आपदा के 6 माह अनुभव और जन सुनवाई प्रोग्राम का आयोजन वेडनसडे को गांधी रोड स्थित एक होटल में किया गया. प्रोग्राम में आपदा ग्रस्त स्थानों से आये लोगों ने अपनी समस्याओं को मंच के माध्यम से रखा. प्रोग्राम में चीफ गेस्ट के रूप में उपस्थित मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस राजेश टंडन ने कहा कि आपदा के दौरान मानवाधिकार उल्लंघन की लिखित शिकायत करने पर आयोग द्वारा संज्ञान लिया जायेगा और फिर उचित कार्रवाई भी की जाएगी. सभी आपदा पीडि़तों से लिखित रूप में समस्याओं की कॉपी मांगी गई.


इन सब ने रखी अपनी मांगकार्यशाला में उत्तरकाशी, घनसाली, जौनपुर, चमोली, रुद्रप्रयाग आदि जगहों से पहुंचे अधिकतर आपदा पीडि़तों ने विस्थापन की मांग की। प्रोग्राम में अर्पण संस्था की रेनू ठाकुर, उत्तराखंड योजना आयोग के पूर्व सदस्य च्च्चिदानंद भारती, उत्तराखंड जन कारवां मंच पदाधिकारी दुर्गा प्रसाद, रमा भंडारी, बीजू नेगी, विरेन्द्र पैन्यूली, लक्ष्मण सिंह नेगी आदि ने भाग लिया। आपदा पीडि़तों ने क्या कहाजोशीमठ ब्लाक की गणंई गांव की निवासी गीता मैखुरी ने बताया कि 16 जून को हुई आपदा से पूरा गांव बरबाद हो गया है। जो कुछ हिस्सा बचा हुआ है वह भूस्खलन से धीरे-धीरे धंस रहा है। अगली बरसात में पूरी तरह से सिमट जाएगा। इसलिए विस्थापन ही एक मात्र जरिया है जिससे गांव के लोगों की जान बच सकती है। -गीता मैखुरी


जौनपुर ब्लॉक के परोड़ी गांव की रहने वाली किरन लेखवार ने बताया कि आपदा में खेत-खलियान पशु सभी बह गए। कुछ सामाजिक संगठनों ने खाद्यान्न पहुंचाया, लेकिन वह कब तक चलेगा। लोगों को अपना जीवन बचाने के लिए रोजगार औरच्अच्छे मकान की जरूरत है। जिस मकान में वर्तमान में रह रहे हैं वहां हर पल जीवन पर खतरा बना रहता है। ऐसे में सरकार को शीघ्र ही पूरे गांव को विस्थापित करना चाहिए।  -किरन लेखवार

घनसाली आये पूरण सिंह गुसांई का कहना है कि उनके गांव के 85 प्रसेंट मकान ध्वस्त हो गए हैं। सरकार उन्हें ही गांव से 10 किलोमीटर ऊपर फाइबर के मकान दे रही है, लेकिन गांव के लोग पूर्ण विस्थापन की मांग कर रहे हैं। क्योंकि गांव के खेत आपदा में समा गए, लोगों के पास रोजगार के भी साधन नहीं है। गांव से कुछ ही किलोमीटर नीचे टिहरी झील है। जिससे भूस्खलन होने का खतरा भी बना हुआ है। -पूरण सिंह गुसांईचमोली में उर्गम बड़गिंडा गांव के निवासी कल्मीराम ने कहा कि आपदा में उनके गांव के 3 लोगों की मृत्यु हो गई जबकि लोगों के खेत-खलियान भी तबाह हो गए। आसपास के गांव में आपदा राहत राशि मिली लेकिन उनके गांव के 227 परिवारों को आपदा राहत राशि नहीं मिली है। -कल्मीराम

Posted By: Inextlive