जुकरबर्ग ने नहीं एक भारतीय ने बनाया था Facebook
चालाकी का शिकार
जी हां 29 साल के दिव्य नरेंद्र के माता पिता उनके जन्म 18 मार्च 1982 से पहले भारत से जाकर अमेरिका में बस गए थे। जिससे दिव्य का जन्म न्यूयार्क में हुआ है। दिव्य के पैरेंट्स उन्हें अपनी तरह ही डॉक्टर बनाना चाहते थे लेकिन वह एक एंटरप्रिन्योर बनने का सपना देख रहे थे। वह हमेशा कुछ अलग करना चाहते थे। जिससे उनका सपना पूरा भी हुआ और कड़ी मेहनत से वह फेसबुक फाउंडर भी बने। हालांकि वह भारतीयों द्वारा किए गए आविष्कारों को चोरी कर दुनिया में अपने नाम से फैलाने वालों की रणनीति का शिकार हो गए।
हर्जाना भी देना पड़ा
इस दौरान यह साफ हो गया कि इसके असली फाउंडर दिव्य नरेंद्र है। इस फ्रॉड के बदले में जुकरबर्ग को हर्जाना भी भरना पड़ा। जुकरबर्ग को हर्जाने के तौर पर 650 लाख डॉलर देने पड़े लेकिन दिव्य इस हर्जाने से दिव्य खुश नहीं थे। उनका कहना था कि उन्हें फेसबुक के शेयरों की उस समय की बाजार कीमत के हिसाब से हर्जाना नहीं मिला। हालांकि कुछ भी हो इस मामले के बाद से जुकरबर्ग की हकीकत साफ हो गई है कि वह नहीं बल्कि फेसबुक के फाउंडर दिव्य नरेंद्र हैं। जिससे अब अगर आपसे भी कोई पूछे तो आप भी सही जवाब में दिव्य नरेंद्र का ही नाम लेंगे।