छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : दैनिक जागरण आई नेक्सट द्वारा गुरूवार को टेल्को साउथ गेट मार्केट के समीप मिलेनियल्स स्पीक के तहत राजनी-टी का आयोजन किया गया. जिसमें युवाओं ने 'स्वास्थ के क्षेत्र में पिछले पांच वर्षो में कितना हुआ विकास क्या है समस्याएं ' मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखी. मिलेनियल्स ने कहा कि हेल्थ सेक्टर को इस तर्ज पर बनाया जाए कि लोगों को महंगी इलाज से निजात मिल सके. चर्चा की शुरुवात करते हुए कुमार गौरव ने कहा किसी भी देश में स्वास्थ्य का अधिकार जनता का सबसे पहला बुनियादी अधिकार होता है लेकिन भारत में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में रोजाना हजारों लोग अपनी जान गंवा देते हैं. भारत स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में बांग्लादेश, चीन, भूटान और श्रीलंका समेत अपने कई पड़ोसी देशों से पीछे है. इसका खुलासा शोध एजेंसी श्लैंसेट ने अपने ग्लोबल बर्डेन ऑफ डिजीज नामक अध्ययन में किया है. इसके अनुसार भारत स्वास्थ्य देखभाल, गुणवत्ता व पहुंच के मामले में 195 देशों की सूची में 145वें स्थान पर है, इस पर सरकार को ध्यान देने की जरुरत है.

सात दशक भी बहुत सुधार नहीं

चर्चा को आगे बढ़ाते हुए सिकंदर कुमार ने कहा आजादी के 7 दशक बाद भी हमारे देश में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार नहीं हो सका है. सरकारी अस्पतालों का तो भगवान ही मालिक है. आज निजी अस्पताल धड़ल्ले से खुल रहे है, पर निजी अस्पतालों में गरीब इलाज कराने में सक्षम नही है. इन अस्पतालों का उद्देश्य लोगों की सेवा करना नहीं है बल्कि सेवा की आड़ में मेवा अर्जित करना है. लूट के अड्डे बन चुके इन अस्पतालों में इलाज करवाना इतना महंगा है कि मरीज को अपना घर, जमीन व खेत तक गिरवी रखने के बाद भी बैंक से लोन लेने की तकलीफ उठानी पड़ती है.

आयुष्मान भारत से गरीबों को राहत

अमन विशाल ने कहा इस सरकार द्वारा आयुष्मान भारत बीमा योजना तथा प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का शुभारंभ किया गया है, जिससे गरीबों को फायदा मिल रहा है. प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत सरकार का देश के 10 करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को पांच लाख रुपए प्रति परिवार स्वास्थ्य बीमा सुरक्षा मुहैया कराने का लक्ष्य है. आयुष्मान भारत योजना का लाभ देश भर में दस करोड़ परिवारों को लोगों को मिल रहा है. साथ ही इस योजना के लाभार्थी देश भर में सरकारी या प्राइवेट अस्पतालों में कैशलेस इलाज करा करा रहे है. इतना ही नहीं सभी राज्यों के सरकारी अस्पतालों को इस स्कीम में शामिल माना गया है. इसके साथ ही प्राइवेट और ईएसआई अस्पताल में भी शामिल किया गया है,

सरकारी अस्पतालों में लचर व्यवस्था

मोहन कुमार ने कहा हमारे देश का संविधान समस्त नागरिकों को जीवन की रक्षा का अधिकार तो देता है लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल इसके विपरीत है. हमारे देश में स्वास्थ्य सेवा की ऐसी लचर स्थिति है कि सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी व उत्तम सुविधाओं का अभाव होने के कारण मरीजों को अंतिम विकल्प के तौर पर निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है, जिसमें गरीब अपना इलाज कराने में सक्षम नही होते. कोल्हान के सबसे बड़े अस्पताल एमजीएम हॉस्पिटल का ही दशा किसी से छिपा नही है, आए दिन वहां चिकित्सा के अभाव तथा डॉक्टरों की कमी से किसी ना किसी जान चली जाती है.

संसाधनों का अभाव

अभय ने कहा हमारे देश में स्वास्थ्य सेवा की दशा संसाधनों के अभाव में बहुत बुरी है. स्वास्थ्य सेवा पर खर्च भी मात्रात्मक एवं गुणात्मक दृष्टि से विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक से काफी नीचे है. ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति तो और भी खराब है, तकरीबन 30 फीसद ग्रामीण आबादी को इलाज के लिए 30 किलोमीटर दूर तक जाना पड़ता है. आने वाली सरकार से यही मांग रहेगी यह सारी समस्याओं को दूर करे. सुमित ने कहा भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने में निजी क्षेत्र मदद कर सकता है.

स्वास्थ में क्षेत्र में करना होगा काम

चर्चा के दौरान मिलेनियल्स ने कहा स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार के पास बड़ी चुनौतियां सामने हैं. स्वास्थ्य पर व्यक्तिगत खर्च बढ़ता जा रहा है और बुनियादी ढांचों की कमी बहुतच्ज्यादा है. स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में असमानता तो है ही, इस क्षेत्र में कर्मियों की संख्या अपर्याप्त है और उनका सही तरीके से उपयोग भी नहीं हो पा रहा है. हमारे यहां सरकार को जवाबदेह भूमिका निभाने की जरूरत है. सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा पर ध्यान केंद्रित करते हुए राजनीतिक समर्थन एवं कठिन विकल्पों पर आम सहमति के साथ सुरक्षित दीर्घकालीन निवेश से गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल की उपलब्धि हासिल की जा सकती है. एक प्रभावी नियामक ढांचा तैयार करके और केंद्र व रच्च्यों में सुसंगत नीति बनाकर इस पर कार्य किया जा सकता है, जिससे स्वास्थ संबंधित चीजें सुधरेगी साथ ही गांव, शहर एवं जिला स्तर पर एकीकृत स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए.

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Posted By: Kishor Kumar