डीएम ने भीषण गर्मी को देखते हुए कक्षा आठ तक के स्कूलों को बंद करने का दिया था आदेश

सिटी में रोज की तरह खुले रहे दर्जनों स्कूल, मंडे को भी पारा 46 पार रहा और धूप में झुलसते रहे बच्चे

ALLAHABAD: डीएम साहब आप आदेश देते रहें ये नहीं मानेंगे। सूरज तो खैर देव हैं, उन पर आपका बस नहीं चल सकता, लेकिन इन संचालकों ने कौन सा अमृत पिया है ये समझ से परे है। आपने आदेश दिया स्कूल बंद रहेंगे, लेकिन ये खुले रहे। यह हमें तब पता चला जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम आपके आदेश की सच्चाई जानने के लिए सिटी के स्कूलों पर पहुंची।

रोज की तरह खुला बाल भारती

हमारी टीम सबसे पहले सिविल लाइंस स्थित बाल भारती स्कूल पहुंची। पता चला स्कूल अपने समय पर खुला था और समय पर ही बंद हुआ। दोपहर में छुट्टी के बच्चे घर जाने की जल्दी में दिखे तो पैरेंट्स उन्हें भीषण गर्मी से बचाने की जुगत भिड़ाते नजर आए। स्कूल वाहनों में बैठे बच्चों गर्मी का असर साफ दिख रहा था।

ग‌र्ल्स हाई स्कूल में उड़ी धज्जी

हम अपने अपने टारगेट में दूसरे स्कूल सिविल लाइंस के ही ग‌र्ल्स हाईस्कूल पहुंचे तो वहां भी हाल पहले वाला ही था। छोटे बच्चों के लिए स्कूल खुला था। छुट्टी हुई तो हाल वही था, बच्चे धूप में ही किसी भी तरह घर पहुंचने की जल्दी में दिखे। बस और स्कूल के दूसरे वाहनों में बैठे बच्चों की हालत देखी नहीं जा रही थी। उन्हें राहत तभी मिली जब वाहन स्कूल से रवाना हो गए।

मेगा बाइट स्कूल भी जिद्दी

मेगा बाइट स्कूल में भी डीएम के आदेश की धज्जी उड़ाई गई। सिविल लाइंस के साथ ही दूसरे इलाकों में भी कई स्कूल ने सरकारी आदेश की नाफरमानी की और कोई उन्हें रोकने-टोकने वाला नहीं दिखा। घूमते-टहलते हम सेंट मेरीज कान्वेंट स्कूल पहुंचे तो वहां भी छुट्टी हो गई थी। जो पैरेंट्स आए थे बच्चों को कपड़े से ढंकने का प्रयास कर रहे थे तो जिनके नहीं आए थे वे धूप से बेपरवाह पसीने से लथपथ घर की ओर जाते दिखे।

पैरेंट्स को करियर की चिंता लाडले की नहीं

हमने मंडे को दर्जनों स्कूलों का दौरा किया और बच्चों की परेशानी देखी। पैरेंट्स की बेचैनी भी देखी और स्कूलों की मनमानी भी। लेकिन हद तो यह कि जब किसी पैरेंट्स को पकड़कर यह जानने का प्रयास किया कि इस जबरदस्ती का विरोध क्यों नहीं करते तो वे बस मुस्कुरा कर निकल लिए, कुछ बोले नहीं। कारण कि ये वे पैरेंट्स हैं जिन्हें बच्चे के करियर की चिंता तो है, लेकिन लाडले की नहीं। है तो बस इतनी कि स्कूल पहुंच गए और कपड़े आदि से ढंक कर घर ले आए।

Posted By: Inextlive