किशोरों के उपद्रव पर डीपीओ रिलीव

-डीएम ने दिए आदेश, जुवेनाइल सेल में आए दिन हो रहा हंगामा बनी वजह

-फिलहाल पोस्ट खाली, शुक्रवार को सीजेएम ने की सेल में जाकर जुवेनाइल से बात

Meerut : शुक्रवार देर शाम डीएम पंकज यादव ने जिला प्रोवेशन अधिकारी पुष्पेंद्र सिंह को रिलीव कर दिया है। सूरजकुंड स्थित जुवेनाइल सेल में आए दिन हो रहे 'किशोरों' की फरारी और जानलेवा बवाल को रोकने में अक्षम साबित होने पर उन्हें रिलीव किया गया है। डीएम ने कहा कि फिलहाल पोस्ट खाली है, जल्द ही किसी को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। दूसरी ओर शुक्रवार को सीजेएम ने जुवेनाइल सेल और बाल सदन का निरीक्षण किया और तोड़फोड़ का आंकलन किया। बता दें कि डीपीओ को पिछले दिनों मिर्जापुर मंडल में बतौर उप मंडलीय परिवीक्षा अधिकारी के पद पर तबादला शासन ने कर दिया गया था, डीएम ने ही उन्हें रोका हुआ था।

अंकल, नहीं मिलता है खाना

शुक्रवार को जुवेनाइल सेल पहुंचे सीजेएम संजय सिंह से अपनी शिकायत और पीड़ा व्यक्त की। किशोरों ने शिकायत की कि उन्हें खाना नहीं मिलता, समय से पेशी नहीं होती, खेलकूद के स्थान नहीं है। उन्होंने जुवेनाइल सेल के कर्मचारियों और स्टॉफ पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए, हमारी शिकायतों को नजरअंदाज किया जाता है। किशोरों ने शिफ्ट करने के प्रशासन के प्रयास पर भी नाराजगी जताई है। किशोर न्याय बोर्ड की प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट श्वेता चौधरी से जुवेनाइल से अलग-अलग बात की। एडीजे ब्रजेश सिंह मौजूद थीं तो वहीं डीपीओ पुष्पेंद्र सिंह, एडीएम सिटी एसके दूबे, एसपी सिटी ओपी सिंह ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी न्यायिक अधिकारियों को दी। न्यायिक अधिकारियों ने राजकीय बाल संप्रेषण गृह और बाल सदन में किशोरों द्वारा की गई तोड़फोड़ को निरीक्षण और आंकलन किया।

वापस आए 26 बच्चे

जुवेनाइल ने बुधवार रात्रि उपद्रव कर संप्रेषण गृह और बाल सदन दोनों को कब्जे में ले लिया था। बाल सदन में रह रहे 26 बच्चों को सुरक्षा की दृष्टि से लालकुर्ती स्थित नारी निकेतन भेज दिया गया था। शुक्रवार को सभी बच्चों को नारी निकेतन से बाल सदन वापस बुला लिया गया।

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इनसेट

काश मरे भाई को देख ले

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मेरठ: मेरठ के औरंगाबाद के कुछ लोग संप्रेषण गृह के दरवाजे पर खड़े थे। पूछने पर मालूम चला कि गोकशी के आरोप में निरुद्ध एक किशोर के छोटे भाई परवेज की शुक्रवार को करंट से मौत हो गई। पिता हामिद दरवाजे पर टकटकी लगाकर खड़ा था कि और कह रहा था कि 'काश बेटे को अपने मरे भाई के आखिरी दर्शन हो जाएं.' न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए पिता ने कहा कि हमारे बच्चे को पकड़ लिया, अब तीन महीने से यह भी तय नहीं कर पा रहे है कि वो 'जुवेनाइल' है कि 'एडल्ट'। तीन माह से यहां बंद है और अभी केस ट्रायल पर भी नहीं आया है।

Posted By: Inextlive