फ्लैग- सख्त आदेश के बाद भी मेडिकल में बाहर से लिखी जा रही दवाइयां

गंदगी से अटे पड़े टॉयलेट्स, वार्डो में गंदगी का अंबार

Meerut। साहब सरकारी अस्पताल नाम के सरकारी हैं। खर्चा तो यहां भी प्राइवेट जैसा ही है। डॉक्टर सारी की सारी दवाइयां बाहर की लिख रहे हैं। फिर क्या फर्क है कि सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में। डीएम के औचक निरीक्षण और सख्त आदेशों के बाद भी स्वास्थ्य विभाग में नियम कायदों का खूब खिल्ली उड़ाई जा रही है। नतीजा यह है कि सख्त मनाही के बाद भी मेडिकल में डॉक्टर्स बाहर से दवाइयां लिख रहे हैं। रही बात साफ-सफाई की तो वार्डो में बदबू के कारण मरीजों का ठहरना दूभर हो रहा है।

क्या है मामला

सरकारी विभागों की व्यवस्था सुधारने उतरे डीएम ने मंगलवार को मेडिकल हॉस्पिटल का निरीक्षण किया था। इस दौरान अव्यवस्थाओं से नाराज दिखे डीएम ने बाहर से लिखी जा रही दवाइयों पर सख्त पाबंदी लगाने के निर्देश दिए थे, वहीं वार्डो में गंदगी और बदबू पर भी तुरंत काम करने के आदेश दिए थे।

असर रहा बेअसर

डीएम के निरीक्षण के बाद आईनेक्स्ट टीम ने बुधवार को मेडिकल का रियल्टी चेक किया। टीम ने हॉस्पिटल परिसर से लेकर जब वार्डो तक का दौरा किया तो परिणाम चौंकाने वाले आए। एक वार्ड में जहां गंदगी की वजह से टिकना दूभर था, वहीं टॉयलेट्स की स्थिति तो और बदहाल थी। टॉयलेट्स के जहां दरवाजे टूटे पड़े थे, वहीं फैली गंदगी के कारण वहां सांस लेना भी दुश्वार हो रहा था। यहां तक की डीएम की फटकार बेअसर ही साबित हुई।

बाहर से लिखी जा रही दवाई

डीएम की फटकार के बावजूद मेडिकल के डॉक्टर्स अधिकांश दवाइयां बाहर की लिख रहे हैं। यही कारण है कि मेडिकल परिसर के बाहर स्थित मेडिकल स्टोर्स पर मरीजों का जमावड़ा रहता है। दवाइयों के कमीशन के इस खेल में लिखी जा रही महंगी दवाइयां गरीब मरीजों का दम निकाल रही है।

प्रशासनिक दफ्तरों में असर

बुधवार को डीएम के दौरे का प्रशासनिक दफ्तरों में असर दिखा है। मेवला पुल स्थित ब्लाक कार्यालय में एसीएम ज्योति राय अधिकारियों के साथ बैठक कर रही थीं तो वहीं एडीएम समेत विभिन्न प्रशासनिक दफ्तरों में अफसर राइट टाइम थे। वहीं संयुक्त कृषि निदेशक कार्यालय बुधवार को भी खाली पड़ा था। निदेशक रामचंद्र सिंह काय0000000000000000000000000000000र्0ालय में नहीं थे तो वहीं प्रभार भी किसी को नहीं दिया गया था। शिक्षा विभागों में दौरे का खौफ साफ नजर आ रहा था।

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सभी विभागीय अधिकारियों को सख्त आदेश दिए गए हैं कि वे 10-12 बजे तक कार्यालय में बैठकर जनसमस्याओं की सुनवाई करेंगे, यदि ऐसा नहीं होता है तो संबंधित के खिलाफ विभागीय कार्रवाई होगी। बुधवार को भी मेडिकल कॉलेज में दवा पर्चे पर मेडिकल स्टोर्सं की दवाएं लिखी होने की जानकारी मिली है। इस प्रकरण को गंभीरता से लिया जा रहा है।

जगत राज, जिलाधिकारी, मेरठ

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सरकारी अस्पताल में आने से कोई फायदा नहीं है। यहां डॉक्टर सारी दवाइयां बाहर से लिख देते हैं। महंगी दवाई खरीदकर कहीं से नहीं लगता कि हम सरकारी अस्पताल में आए हैं।

बिलकिश, किठौर

डॉक्टर ने अधिकांश महंगी दवाई बाहर के लिए लिख दी। जब निशुल्क दवाई के बारे में पूछा तो स्टोर में दवाई खत्म होने की बात कही। हर जगह लूट मची है।

सोनू, गढ़ रोड

सरकारी सुविधाओं के नाम पर मरीजों का बेवकूफ बनाया जा रहा है। दवाई बाहर से लिखी जा रही हैं। कोई सुनने वाला नहीं है। अगली बार प्राइवेट हॉस्पिटल में जाऊंगा।

जगमोहन सिंह, कंकरखेड़ा

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डिमांड और सप्लाई में फर्क आने पर कभी-कभी कुछ दवाओं की कमी आ जाती है। ऐसी स्थिति में अस्थाई रूप से कुछ दवाई बाहर के लिखी जाती हैं। हालांकि ऐसा प्रैक्टिस में नहीं है।

विभु साहनी, सीएमएस मेडिकल

Posted By: Inextlive