छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : साकची स्थित टैगोर एकडमी में चल रहे राष्ट्रीय पुस्तक मेले में रौनक नहीं दिख रही है। पुस्तक मेले के आठवें दिन शुक्रवार को मेले का अवलोकन करने पर स्टॉलों से लोग गायब रहे। तेजी से बदलते परिवेश और इंटरनेट के प्रयोग से युवा पुस्तकों से दूरी बना रहे है। पुस्तक मेले में अब जब दो दिन शेष रह गए है, ऐसे में लोगों के न आने से बुक स्टॉल मालिक मायूस है।

इंटरनेट का असर

एक पब्लिकेशन के कर्मचारी ने बताया कि इंटरनेट के बढ़ते प्रयोग और साहित्य के प्रति युवाओं के उदासीन रवैये से बुक फेयर की रौनक गायब हो रही है। 25 नंवबर तक चलने वाले दस दिवसीय पुस्तक मेले में देश- विदेश के साथ हिंदी, अंग्रेजी, बाग्ला, संस्कृत, कंपटीशन, धर्म सहित सभी प्रकार की बुक और हस्तशिल्प के तैयार समान उपलब्ध हैं।

साल दर साल घट रहा पुस्तकों का क्रेज

इंटरनेट पर आसानी से चीजें उपलब्ध होने के चलते युवा वर्ग तेजी से किताबों से दूरी बना रहे है। साहित्य के प्रति खत्म होते रुझान के चलते युवा अब पुस्तक मेले से दूरी बना रहे हैं। पुस्तक मेले में आए राजकुमार ने बताया कि पहले इंटरनेट न होने से कुछ भी जानने और पढ़ने के लिए बुक खरीदनी पड़ती है लेकिन अब इंटरनेट होने से इंडीविजुएल प्रश्नों के आंसर मिल जाते है। जिससे युवाओं को अब किताबें नहीं लेनी पड़ती है।

गीताप्रेस के स्टॉल पर रही भीड़

बुक फेयर में धार्मिक बुक के स्टॉल गीता प्रेस में अच्छी भीड़ रही जहां पर लोगों ने व्रत पूजन की किताबों के साथ ही रामायण, वेद, पुराण और साहित्य की किताबें देखी। गीता प्रेस के स्टॉल पर कार्यरत कर्मचारी से बात करने पर उन्होंने बताया कि इंटरनेट के युग में अब हम सीमित हो गए है। पहले महिलाएं खाली समय में किताबों को पढ़ती थी। लेकिन टीवी और मोबाइल के बढ़ते प्रयोग के चलते अब लोग किताबे नहीं खरीद रहे है।

Posted By: Inextlive