- शहर में कोचिंग सेंटर्स ने नहीं ली कोई एनओसी

- हाईराइज बिल्डिंग में सुरक्षा के इंतजाम भी नाकाफी

GORAKHPUR: शहर के अंदर किसी स्थान पर आग की बड़ी घटना होने पर लोगों की नींद खुलेगी. जब लोग हादसे के शिकार होंगे तब फायर डिपार्टमेंट के अफसर जांच पड़ताल में निकलेंगे. सूरत में हुई घटना के बाद भी किसी ने सुधि नहीं ली. गली-मोहल्लों में चल रहे कोचिंग सेंटर्स ने फायर डिपार्टमेंट्स से कोई एनओसी नहीं ली है. सीएफओ डीके सिंह कहना है कि शहर में चल रहे कोचिंग सेंटर्स के बारे में कोई जानकारी नहीं है. सर्वे कराकर सभी को नोटिस दी जाएगी.

कहां कितने कोचिंग सेंटर्स, नहीं जानते अधिकारी

शहर के भीतर सौ से अधिक कोचिंग सेंटर्स संचालित हो रहे हैं. इनमें तमाम ऐसे हैं जो किसी ऊंची बिल्डिंग की ऊपरी मंजिल पर चलते हैं. 25 से 30 छात्रों के बैठने की क्षमता वाले कमरों में 50 से 70 बच्चों की पढ़ाई हो रही है. हालत यह है कि शहर के भीतर कितने कोचिंग सेंटर्स चल रहे हैं. इसके बारे में फायर ब्रिगेड डिपार्टमेंट को कोई जानकारी नहीं है. किसी कोचिंग सेंटर संचालक ने फायर सेफ्टी के लिए सूचना नहीं दी है. न ही किसी का वेरीफिकेशन कराकर उसे विभाग की तरफ से एनओसी जारी किया गया. इसलिए यह भी बता पाना मुश्किल है कि कितने कोचिंग सेंटर्स संचालित हो रहे हैं.

कैसे पहुंचे दमकल की गाडि़यां, नहीं बची जगह

शहर के अंदर मार्केट की हालत ऐसी हो गई है कि कई जगहों पर दमकल की गाडि़यों का पहुंच पाना मुश्किल हो गया है. आग लगने पर फायर ब्रिगेड की गाडि़यां रास्ते में फंस जाती है. सघन आबादी और मार्केट में जब भी कोई घटना होती है तो फायर डिपार्टमेंट को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. शहर में रेती चौक, घंटाघर, अली नगर, शाही मार्केट सहित कुछ ऐसी जगहें हैं, जहां पर फायर ब्रिगेड की गाडि़यां आसानी से नहीं पहुंच सकती हैं. इसलिए इन जगहों पर भी हरदम खतरा बना रहता है.

क्या मिली कमियां जो हो सकती हैं जानलेवा

कोचिंग सेंटर्स संचालकों ने फायर डिपार्टमेंट से कोई एनओसी नहीं ली है.

कोचिंग सेंटर्स में कमरों के भीतर फायर सेफ्टी के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं.

क्लासरूम, कमरों में इमरजेंसी एग्जिट के लिए दूसरा कोई रास्ता नहीं.

गैलरी से होकर छात्रों की इंट्री होती है. भगदड़ में सभी एक साथ निकलेंगे.

आग से बचने के उपाय, हादसा होने पर सुरक्षा से संबंधित कोई जानकारी नहीं दी जाती.

ये होना चाहिए उपाय

हर कोचिंग सेंटर के संचालक को फायर सेफ्टी पर जोर देना चाहिए.

कोचिंग में आग से बचाव के पुख्ता प्रबंध किए जाने चाहिए.

फायर सेफ्टी के लिए स्टूडेंट्स को समय-समय पर मॉकड्रिल कराया जाना चाहिए.

हर छात्र को आग और भूकंप से बचाव की जानकारी दी जानी चाहिए.

क्लासरूम में फायर कैटेगरी के अनुसार एंस्टिग्यूसर लगे होने चाहिए.

इमरजेंसी एग्जिट प्वांइट्स के बारे में सभी को जानकारी दी जाए.

स्कूलों में अभियान चलाकर बच्चों को प्रापर ट्रेनिंग देने पर जोर दें.

हाईराइज बिल्डिंग में करें ये इंतजाम

बिल्डिंग के भीतर फायर फाइटिंग सिस्टम चालू हालत में होना चाहिए.

आपदा के दौरान बचकर निकलने के लिए एग्जिट प्वाइंट्स बनाए गए हों.

आग से बचाव के लिए लगे उपकरणों के संचालन की जानकारी सभी को हो.

ऐसी बिल्डिंग में फ्लैट खरीदें जिसको फायर डिपार्टमेंट से एनओसी जारी की गई.

घर में एक लंबी रस्सी रखें ताकि सूरत जैसी घटना में बचाव का उपाय हो सके.

एसी, इनवर्टर सहित अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरणों के शार्ट सर्किट से खतरा होता है.

फैक्ट फीगर

वर्ष 2019 में 31 मार्च तक

अगलगी की कुल घटनाएं- 117

आग में कुल प्रापर्टी जलकर हुई राख- 9254000

आग में कुल प्रापर्टी नुकसान- 1076876000

वर्ष 2018 में हुआ नुकसान

अगलगी की घटनाएं - 781

आग में कुल प्रापर्टी का हुआ नुकसान- 4433700 रुपए

अगलगी में कुल प्रापर्टी जो बचाई गई- 41811100 रुपए

ये संसाधन हैं मौजूद

हाइड्रोलिक प्लेटफार्म 01 32 मीटर ऊंचाई

वाटर मिस्ड हाईप्रेशर 05

पोर्टेबुल पंप बोलेरो कैंपर 05

बुलेट 05

फोम टेंडर 01

वाटर बाउजर 02

वाटर टेंडर छोटा 03

वाटर टेंडर बड़ा 07

वर्जन

शहर में कोचिंग सेंटर्स के संचालकों ने कोई एनओसी नहीं ली है. दुर्घटनाओं को देखते हुए सर्वे कराकर सभी को नोटिस भेजी जाएगी. जरूरत के हिसाब से व्यवस्था में बदलाव किया जा रहा है. फायर ब्रिगेड को हाईटेक करने की प्रक्रिया चल रही है. जो कमियां होंगी उनको दूर किया जाएगा.

डीके सिंह, सीएफओ

Posted By: Syed Saim Rauf