विश्‍व में आज की तारीख में प्‍लास्‍टिक सर्जरी या कॉस्‍मेटिक सर्जरी एक प्रचिलित और स्‍वीकृत विधा है। लाखों लोग इससे अपने आप को निखारने का मौका हासिल करते हैं। एक कहावत है कि जो भगवान नहीं देता वो सर्जन दे देता है। पर क्‍या आप जानते हैं कि आधुनिक कही जाने वाली इस चिकित्‍सा प्रणाली का जन्‍मदाता भारत है और महर्षि सुश्रुत को प्‍लास्टिक सर्जरी का पिता कहा जाता है।

विश्व के पहले शल्य चिकित्सक
सुश्रुत विश्व के पहले चिकित्सक थे जिन्होंने शल्य क्रिया का प्रचार किया। आज जिसे एनस्थीसिया कहते हैं उसके बारे में भी उन्होंने जानकारी दी थी। वे सर्जरी से पहले रोगी को शराब पिलाने के साथ विशेष प्रकार की दवाइयां भी देते थे जिससे वो गहरी नींद में चला जाता था और उसे दर्द का अहसास नहीं होता था। इसे संज्ञाहरण का नाम दिया गया जो बाद में Anaesthesia कहलाया।
सारी जानकारी है सुश्रुत संहिता में
प्लास्टिक सर्जरी की पहली पुस्तक है सुश्रुत संहिता जो संस्कृत भाषा में है। सुश्रुत संहिता मुख्य रूप से शल्य-चिकित्सा का ही ग्रंथ है। यह पाँच खण्डों में बटा हुआ है। पहले खण्ड में 46, दूसरे खण्ड में 16, तीसरे में 10, चौथे में 40 और पांचवे भाग में 8 अध्याय हैं। इस प्रकार सुश्रुत संहिता में कुल 120 अध्याय हैं। सुश्रुत संहिता में सर्जरी के लिए जरूरी औजारों यानि इंस्ट्रूमेंटस के बारे में भी बताया गया है। जैसे एक भालेनुमा आकृति के औजार हैं, जो टूटी हुई हड्डियों एवं अनावश्यक माँस को बाहर निकालने इस्तेमाल में लाया जाता था। ऐसे करीब 101 यंत्रों की जानकारी मिलती है, जिन्हें छह भागों में बांटा गया था। 1 स्वस्तिकयंत्र, 2 संदंशयंत्र, 3 तालयंत्र, 4 नाड़ीयंत्र, 5 शलाकायंत्र और 6 उपयंत्र। 

प्रेक्टिकल का भी किया है जिक्र
सुश्रुत संहिता में कहा गया है कि सर्जरी के छात्रों को विभिन्न स्टेप्स को अच्छी तरह समझने और प्रेक्टिस के लिए हर विभाग में निरंतर प्रेक्टिकल करके प्रेक्टिस करते रहना चाहिए। इसके लिए सुश्रुत ने सर्जरी को भेद्यकर्म, छेद्यकर्म, लेख्यकर्म, वेद्यकर्म, एस्यकर्म, अहर्यकर्म, विस्रर्वयकर्म एवं सिव्यकर्म में बांटा है।

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Posted By: Molly Seth