आने वाली 26 मई को सचिन तेंदुलकर की बायोपिक सचिन अ बिलियन ड्रीम्स 26 मई को पांच भाषाओं में एक साथ रिलीज हो रही है। 24 सालों तक भारतीय दर्शकों के लिए क्रिकेट की पहचान रहे सचिन ने फिल्‍म के प्रचार के दौरान अपने क्रिकेट जीवन से जुड़े कई तथ्‍यों का खुलासा किया। इस मौके पर उन्‍होंने बताया कि कुछ लम्‍हें ऐसे हैं जिन्‍होंने उनका कड़ा इम्‍तिहान लिया और एक बॉलर ऐसा था जिसने उन्‍हें वाकई सबसे ज्‍यादा परेशान किया जिसके खिलाफ खेलना वो बिलकुल पसंद नहीं करते थे। आइये सुनाये सचिन की मुश्‍किलों की कहानी।

सबसे मुश्किल टेस्ट सीरीज
सचिन तेंदुलकर ने एक कार्यक्रम में अपने से जुड़े कई अनजाने तथ्यों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि 1999 में ऑस्ट्रिलिया में हुई टेस्ट सीरीज को वे अपने करियर की सबसे मुश्किल सीरीज मानते हैं। उन्होंने कहा कि कप्तान स्टीव वॉ के नेतृत्व में खेलने वाली उस समय की ऑस्ट्रेलियाई टीम वाकई बेजोड़ थी। सात आठ मैच विनर से सजी उस टीम ने सालों तक वर्ल्ड क्रिकेट में अपना दबदबा बनाकर रखा था। ये टीम काफी अटैकिंग शैली में खेलती थी।  इस टीम ने भारत के खिलाफ व्हाइट वॉश करते हुए 3-0 से सीरीज अपने नाम की थी। सचिन ने कहा कि सारी दुनिया इस ऑस्ट्रेलियाई टीम के खेलने के स्टाइल के कायल थे। हालाकि भारतीय टीम का खेल भी अच्छा था पर जो कंगारू करते थे वो विशेष था।
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नापसंद था ये बॉलर
सचिन ने बताया कि उन्होंने दुनिया के बेहतरीन गेंदबाजों के खिलाफ बल्लेबाजी की है। कुछ के खिलाफ उन्हें मुश्किल भी हुई पर उन्होंने उससे पार पा लिया। लेकिन एक गेंदबाज ऐसा था जिसके सामने उन्हें बैटिंग करना बिलकुल अच्छा नहीं लगता था। उन्होंने कहा कि 1989 में जब उन्होंने अपना क्रिकेट डेब्यु किया था खेलने शुरू किया तब कम से कम 25 विश्व स्तरीय गेंदबाज खेल रहे थे, लेकिन जिनके खिलाफ बल्लेबाजी करना उन्हें कभी पसंद नहीं आया वे दक्षिण अफ्रीका स्वर्गीय क्रिकेटर हैंसी क्रोन्ये थे। सचिन ने स्पष्ट किया कि हैंसी के सामने वे किसी ना किसी कारण से आउट हो जाते थे। एक समय तो उन्हें लगने लगा था कि  क्रोन्ये के सामने वे नॉन स्ट्राकिंग एंड पर खड़े ही बेहतर हैं।  
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पसंदीदा है टैस्ट मैच
सचिन ने हर तरह का क्रिकेट खेला है और एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय और टैस्ट मैच दोनो में सर्वाधिक शतक का किर्तिमान बनाया है। इसके बावजूद उनका मानना है खेल का सबसे लंबे प्रारूप यानि टेस्ट मैच उनका पंसदीदा फारमेट है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अगर टेस्ट और वनडे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की उन्हें तुलना करनी पड़े तो नि:संदेह सबसे अधिक संतोष उन्हें तब मिलता है जब वे टेस्ट क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करके और टीम के लिए कुछ विशेष करते थे।
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Posted By: Molly Seth