- बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट में चार जिले की हो रही है जांच

- जांच के लिए 24 घंटे लगातार काम कर रही वायरोलॉजिस्ट की टीम

GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट में लगातार कोरोना सैंपल्स की संख्या बढ़ती जा रही है। डॉक्टर्स और एक्सप‌र्ट्स की टीम दिन-रात काम कर रही है। वर्किग स्टाइल जहां पूरी तरह से हाईटेक हुई है, वहीं हर एक सैंपल की बारीकी से जांच की जा रही है। मेडिकल कॉलेज में गोरखपुर के साथ ही देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज और गोरखपुर जिले के कोरोना सैंपल्स की जांच हो रही है। डेली 24 घंटे काम करने वाली डॉक्टर्स की टीम तीन शिफ्ट में गोरखपुर मंडल से आने वाले सैंपल की पेंडिंग रिपोर्ट अब जल्दी-जल्दी निकलने लगी है और नए सैंपल्स के लिए जाने और उनकी टेस्टिंग की संभावनाएं बढ़ गई हैं।

तीन लोगों की टीम कर रही है काम

मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट में बनाए गए कोविड-19 सैंपल प्रोसेसिंग एंड टेस्टिंग टीम एक साथ काम कर रही है। इसमें डॉ। विवेक गौड़, डॉ। अंकुर, नरेंद्र सिंह ज्वॉइंटली वर्क कर रहे हैं। कोरोना जांच के लिए माइक्रोबायोलॉजी ट्रूनेट के लिए भी इन्हीं की टीम काम करती है। यह टीम एलीकाटिंग व आरएनए का काम कर रही है। आरटीपीसीआर पर सभी सैंपल को लोड कराना एवं उनका टेस्ट लगाने के बाद रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी भी इनकी ही है। वहीं डॉ। प्रतिमा त्रिपाठी, डॉ। आशुतोष त्रिपाठी, ज्योति कुमार टेक्नीशियन सैंपल आईडी डिकोड रिपोर्टिग व टेस्ट के बाद सभी आईडी को डिकोड कर पॉजिटिव, निगेटिव रिपोर्ट अलग करने का काम करती हैं। उसके बाद ये टीम रिपोर्टिग टीम को समय से उपलब्ध करा देती है।

छह टीम्स कर रहीं वर्क

माइक्रोबायोलॉजी के हेड ऑफ डिपार्टमेंट प्रो। अमरेश कुमार सिंह ने बताया कि कोरोना टेस्टिंग के लिए कुल 6 टीम तीन शिफ्ट में काम कर रही हैं। पहली शिफ्ट में 12-15 लोग वर्क कर रहे हैं। पहले लेवल पर सैंपल कलेक्ट किया जाता है। जिसमें संक्रमण का खतरा बना रहता है। संक्रमण रोकने के लिए सभी सावधानियां बरती जाती हैं। कोरोना के नमूने लेने के बाद उसकी थ्री लेयर पैकिंग की जाती है, जिससे नमूना लीक न हो।

क्वालिटी का भी आंकलन

नमूनों को पूरी सावधानी के साथ ट्रांसपोर्ट करना भी बड़ा चैलेंज है, इसे प्रॉपर वे में तैयार कर संबंधित लैब को भेजा जा रहा है। ऐसे में नमूना आते ही उससे संबंधित सैंपल, रेफरल फॉर्म (एसआरएफ) का मिलान किया जा रहा है, जिससे कि सैंपल बदल न पाए और सही व्यक्ति की रिपोर्ट सामने आए। वहीं नमूने की क्वालिटी का भी आंकलन किया जा रहा है। उसके बाद उस नमूने को सैंपल एंट्री रजिस्टर में दर्ज कर लैब आईडी जनरेट करने के बाद एसआरएफ डाटा एंट्री के लिए भेजा जाता है।

ऐसे होती है जांच

- सैंपल की आईडी देने के बाद उसके एलिक्वीट पूरी सावधानी से बायो इफेक्टिव केबिन में खोला जाता है।

- उसके नूमने एक अलग ट्यूब में रख लिए जाते हैं। जिससे भविष्य में उन नमूनों पर रिसर्च किया जा सके।

- बाकी नमूनों को टेस्टिंग के लिए क्वांटिटी यूज की जाती है।

- इसमें लिसिल बफर मिलाया जाता है।

- उसके बाद एसएआरएस-सीओवी-2 का वायरस डीएक्टिव हो जाता है।

- उस मिश्रण को आरएनए एक्ट्रक्शन की प्रोसेज में डाला जाता है। जिसमें लगभग एक से दो घंटे का समय लगता है।

- आरएनए निकलने के बाद इसका कोरोना वायरस के परिवार व एसएआरएस-सीओवी-2 का विशेष जिन अन्य रसायनों के साथ धुंधली रोशनी में मिलाया जाता है।

- उस मिश्रण को अब आरटीपीसीआर मशीन के विशिष्ट ट्यूब में ट्रांसफर किया जाता है।

- फिर इनपीसीआर ट्यूब को सील करके आरटीपीआर मशीन में किट्स एवं नमूनों की संख्या के हिसाब से प्रोग्राम किया जाता है।

- उसके बाद आरटीपीसीआर मशीन को चालू किया जाता है। जिसमें लगभग दो घंटे का समय लगता है।

- इस प्रक्रिया में तीन तरह का रिएक्शन होता है। अंत में प्रत्येक नमूने का ग्राफ मशीन के साथ-साथ लगे कंप्यूटर पर आ जाता है।

- इसकी रिपोर्टिग एक्सपर्ट द्वारा की जाती है। उससे संबंधित आईडी का मिलान किया जाता है।

- उसके बाद सभी नमूनों से संबंधित रिपोर्ट राज्य सरकार से संचालित एसएसओ पोर्टल पर भेजी जाती है।

- इसके बाद संबंधित जिलों के डीएसओ अपने-अपने जिले की रिपोर्ट रिलीज करते हैं।

Posted By: Inextlive