-डीडीयू हॉस्पिटल में डॉक्टर अमरनाथ ने संभाला है मोर्चा

-आइसोलेशन वार्ड में लगातार कर रहे ड्यूटी, मिला है सेवा का मौका

पीएम मोदी ने बुधवार को अपने सम्बोधन में कहा था की सफेद कपड़े में जो डॉक्टर हैं वे ईश्वर रूप में अस्पतालों में इलाज में लगे हैं। यह बनारस में भी देखने को मिल रहा है। यहां डीडीयू हॉस्पिटल के आइसोलेशन वार्ड में कोरोना पेशेंट सहित अन्य संदिग्धों का इलाज करने वाले डॉ। अमरनाथ इस वक्त भगवान से कम नहीं हैं। खुद की सुरक्षा और घर वालों की चिंता पर पेशे का फर्ज भारी है। दीनदयाल अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में 12 घंटे की ड्यूटी कर रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि उनको यह भी चिंता नहीं है कि उनके पास पर्याप्त सुरक्षा किट नहीं है। बस, मन में एक ही जज्बा है कि वे किसी को भी कोरोना वायरस से मौत नहीं होने देंगे। पत्‍‌नी व खुद भी बीमार होने के बाद भी चेस्ट फिजीशियन डा। अमरनाथ ने मोर्चा नहीं छोड़ा है। उन्होंने ही डीडीयू हॉस्पिटल में कोरोना पीडि़त निकले चितौरा गांव के युवक का पहला परीक्षण किया था।

वाइफ है हार्ट पेसेंट

डा। अमरनाथ कहते हैं कि पत्‍‌नी हार्ट पेसेंट हैं, जिसका दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है। उनकी तीमारदारी की जिम्मेदारी उन पर ही है। वे खुद भी गंभीर बीमारी से जकड़े हैं। इन सब के बाद भी उन्होंने अपने कर्तव्य को प्राथमिकता पर रखा है। क्योंकि उन्हें भगवन का दर्जा मिला है। पीएम के मोटिवेशन के बाद उनमे और भी ऊर्जा आ गई है। डेली ड्यूटी पर आते हैं। 12 घंटे सेवा दे रहे हैं। आइसोलेशन वार्ड की जिम्मेदारी उनको दी गई है। उन्होंने करीब एक घंटे तक चितौरा के करोना मरीज से बात की और जांच के लिए सैंपल भेजा जिसमें वह पॉजिटिव पाया गया। उन्होंने संकल्प लिया है कि इस युद्ध में पीछे नहीं हटेंगे। पूरी ताकत से पीडि़तों का इलाज करेंगे।

खाने सोने की चिंता से हैं दूर

आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी कर रहे डॉ। पीके सिंह को न तो खाने की चिंता है और न ही सोने की। सुबह नाश्ता कर सात बजे तक अस्पताल पहुंच जाते हैं। फिर देर रात तक घर लौटते हैं। परिवार में छोटा बेटा उनको बहुत याद करता है। उनके घर पहुंचने के बाद ही सोता है। उन्हें खुद से ज्यादा परिवार की चिंता है। वे कहते हैं कि कोरोनावायरस से पीडि़तों की जांच करते वक्त खुद के चपेट में आने की चिंता नहीं रहती है लेकिन हां, यह जरूर है कि परिवार की चिंता सताती है। इसलिए घर जाते हैं तो बाहर हीद सभी कपड़े निकाल कर उसे सैनिटाइज करते हैं। इसके बाद नहाते हैं ताकि परिवार सुरक्षित रहे। अब वे रुकने वाले नहीं क्योंकि उन्होंने अवकाश नहीं लेने की ठान ली है।

अब मिला है असली सेवा का अवसर

सीनियर लैब टेक्निशियन संतोष श्रीवास्तव कहते हैं कि अब तो सेवा का अवसर मिला है। ऐसी विषम परिस्थिति में ही हम लोगों की जरूरत होती है। इसे हाथ से कैसे जाने दिया जाए। संतोष सुबह ही अस्पताल पहुंच जा रहे हैं। ओपीडी में आए फ्लू मरीजों की जांच में जुटे हैं। देर शाम होने पर वे घर जा रहे हैं। कोरोनावायरस से उनके हौसले पस्त नहीं हुए हैं बल्कि यह जंग जीतने के लिए उन्होंने मजबूती से कमर कस ली है। पैथलॉजी में आए हर नमूने को त्वरित जांच कर रिपोर्ट बनाना उनकी प्राथमिकता बन गई है।

सफाई करते बसंती के नहीं थकते हाथ

अस्पताल की सफाई व्यवस्था संभालने वाली बंसती के हाथ काम करते नहीं थक रहे हैं। आकस्मिक विभाग की सफाई हर घंटे कर रही हैं। उनका कहना है कि इस विपरित परिस्थिति में उनकी जिम्मेदारी और बढ़ गई है। सबकी जान बचाने के लिए अस्पताल की सफाई बेहद जरूरी है। यह हमें और हमारे साथियों को पता है। खुद को बचाते हुए दूसरों की जान बचाने में हम सभी जुटे हैं। इसके लिए हम बिना थके काम कर रहे हैं।

Posted By: Inextlive